दीपावली कथा 2024 : Diwali Katha | Diwali Kahani

दीपावली कथा 2024 - Diwali Katha | Diwali Kahani : भारतवर्ष में दीपावली का त्यौहार बहुत महत्वपूर्ण और सुख समृद्धि का त्यौहार है। दीपावली का त्यौंहार बुराई पर अच्छाई की जीत की ख़ुशी में मनाया जाता है। इस दिन समस्त भारतवर्ष दीपकों की रोशनी से जगमगाता है। सभी अपने-अपने परिवारों के साथ दीपावली का त्यौहार मनाते है। दीपावली के दिन भारतीय महिलाएं माता लक्ष्मी जी का व्रत भी करती है। ताकि उनके घर परिवार में सुख समृद्धि बनी रही। 

आज से 5-10 सालों पहले घर में बुजुर्ग महिलाये होती थी जिनको दीपावली कथा (Diwali Katha) आती थी और वे सुनाती थी। लेकिन आजकल आधुनिक युग में इंटरनेट पर दीपावली कथा सर्च करते है तो आपको आगे दीपावली की सही कहानी दी गयी है। 

दीपावली कथा 2024 : Diwali Katha | Diwali Kahani
दीपावली कथा | Diwali Katha | Diwali Kahani

दीपावली की कहानी पूरी पढ़े। मान्यता है की दीपावली की कहानी (Diwali Kahani) पढ़ने और सुनने से घर परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है। और सारे विकार दूर हट जाते है।  

दीपावली कथा | Diwali Katha | Diwali Kahani

एक गांव में साहूकार रहता था। साहूकार के एक पुत्री थी जो रोजाना पीपल के पेड़ पर जल चढाती थी। जिस पीपल के पेड़ पर साहूकार की बेटी जल चढ़ाती थी, उसी पर माता लक्ष्मी जी का वास था। एक दिन माता लक्ष्मी लड़की का रूप बनाकर साहूकार की बेटी के सामने आती है, और कहती है कि मैं तुम्हारी सहेली बनना चाहती हूं? लड़की कहती है कि मैं पिताजी से पूछ कर आऊंगी।

इसके बाद साहूकार की बेटी घर जाकर साहूकार को पूरी बात बताती है, तो साहूकार उसे सहेली बनाने के लिए हां कर देता है। दूसरे दिन जब साहूकार की बेटी पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने गई तो माता लक्ष्मी का रूप बनाकर आई लड़की वही थी और साहूकार की बेटी उसे अपनी सहेली बना लेती है।

दोनों सहेलियों की मित्रता अच्छे से चल रही थी, तभी एक दिन लक्ष्मी जी साहूकार की बेटी को बुलावा देती है और कहती हैं कि तुम मेरे घर चलो उसके पश्चात जब साहूकार की बेटी लक्ष्मी जी के घर जाती है तो लक्ष्मी जी साहूकार की बेटी का खूब स्वागत करती है उसे अनेक प्रकार के भोजन कराती हैं और दोनों खूब आनंद करती हैं।

इसके पश्चात जब साहूकार की बेटी घर लौटने होती है तो लक्ष्मी जी कहती है कि सखी तुम मुझे अपने घर कब बुलाओगी। तब साहूकार की बेटी भी लक्ष्मी जी को घर पर आने का बुलावा दे देती है।

साहूकार की बेटी घर आकर बहुत उदास हो जाती है क्योंकि वह जानती थी कि जितने अच्छे तरीके से लक्ष्मी जी ने उसका स्वागत किया वह उस तरह अपनी सहेली का स्वागत नहीं कर पाएगी।

जब साहूकार ने अपनी बेटी को उदास देखा तो वह पूरी बात जान गया। साहूकार ने अपनी बेटी से कहा कि तुम फौरन मिट्टी से चौका लगाकर सफाई करो, चार बत्ती के मुंह वाला दिया जलाओ और माता लक्ष्मी जी का नाम लेकर बैठ जाओ। 

तभी इस समय एक चील किसी रानी का नौलखा हार लेकर उधर से उड़ रही थी और वह हार चील के मुंह से छूटकर साहूकार की बेटी के दामन में आ गिरा। साहूकार उसे हर को बेचकर सोने की चौकी लाता है और भोजन वगैरह की तैयारी करता है।

थोड़े ही समय में माता लक्ष्मी जी श्री गणेश जी के साथ उसके घर आ गई साहूकार की बेटी ने माता लक्ष्मी और गणेश जी की प्रसन्नता से स्वागत किया और साहूकार बहुत धनवान बन गया।

लक्ष्मी पूजन विधि | दीपावली कथा | Diwali Katha

जिस जगह पर लक्ष्मी जी और गणेश जी को स्थापित किया है उनके आगे एक चौमुखा दीपक तथा छ: छोटे दीपको में घी डालकर रखें तथा रात्रि के 12:00 बजे के पश्चात पूजा किया करें। दूसरे दुपट्टे में लाल कपड़ा बिछाकर उस पर चांदी या मिट्टी के गणेश जी हो रखे हो उनके आगे 101 रुपए की दक्षिणा अर्पित करें।

एक एक्स बर्तन में। दक्षिणा मूली, चार केले, गुड़, हरी ग्वारफली, मिठाई, 4 सुहाली आदि लक्ष्मी जी और गणेश जी की पूजा करें। और गणेश जी और लक्ष्मी जी के सामने दीपक जलाकर सबकी पूजा करें। एक तेल का दीपक जलाकर उसका काजल उतार ले, तथा परिवार की स्त्री पुरुष आंखों में लगावे।

दीपावली की पूजन के रात के समय सोकर उठे तो स्त्रियां सूप बजाकर गाती हैं। सूप गाने का मतलब है की लक्ष्मी जी का घर में वास हो गया है। और दरिद्रता घर से निकल चुकी है। इसलिए घर की स्त्रियां सूप गाती है। सूप गाते समय स्त्रियां यह गीत गाती है।

काने भेड़े दरिद्र तू, घर से निकल जा अब भाज
तेरा यहाँ कुछ काम नहि, वास लक्ष्मी आज
नहि आगे डंडा पड़े और पड़ेगी मार
लक्ष्मी जी बसती जहाँ, गले न तेरी दार
फिर तू आवे जो यहाँ होवे तेरी हार
इज्जत तेरी नहि करे झाड़ू ते दे मार

फिर घर में आकर स्त्रियाँ कहती हैं इस घर से दरिद्र चला गया हैं हे लक्ष्मी जी आप निर्भय होकर यहाँ निवास करिये। 

माता लक्ष्मी पूजन कथा | दीपावली कथा | Diwali Katha

एक बार किसी नगर का राजा एक लकड़हारा से बहुत प्रसन्न हो गया। राजा ने लकड़हारे को उपहार के रूप में चंदन की लकड़ियों का जंगल का दे दी। लेकिन लकड़हारा तो ठहरा भला लकड़हारा। उसे साधारण लकड़ी और चंदन की लकड़ी का क्या महत्व है यह तक नहीं पता था। वह जंगल से चंदन की लकड़िया लाता और उन्हें जलाकर अपना भोजन बनाता।

कुछ दिनों बाद जब राजा को अपने गुप्तचर से बात पता चली तो राजा की समझ में आ गया कि व्यक्ति के पास धन होने के साथ-साथ बुद्धि भी होनी चाहिए। इसी कारण माता लक्ष्मी जी के साथ-साथ भगवान श्री गणेश की भी पूजा की जाती है ताकि धन के साथ-साथ बुद्धि भी प्राप्त हो।

भगवान श्री राम का अयोध्या लौटना | दीपावली कथा | Diwali Katha

हिंदू धार्मिक ग्रंथ रामायण में उल्लेखित है कि जब भगवान श्री राम 14 वर्ष का वनवास काटकर, लंका नरेश रावण का वध करके जब अयोध्या वापस लौटे थे, तब भगवान श्री राम के लौटने की खुशी में अयोध्या वासियों ने घी के दीपक जलाकर भगवान राम का स्वागत किया था, जिससे अयोध्या नगरी दीपकों की रोशनी से जगमगा उठी थी।

अन्य हिंदू कथाओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने दीपावली से एक दिन पूर्व महासुर नरकासुर का अंत किया था। नरकासुर एक दानव था जिसने समस्त पृथ्वी पर आतंक फैला दिया था और भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध करके पृथ्वी को उसके आतंक और बुराई पर अच्छाई की विजय प्राप्त की थी जिसके रूप में भी दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है।

राजा और साधु की कथा | दीपावली कथा | Diwali Katha

एक कथा के अनुसार एक समय एक साधु के मन में राजसिक सुख भोगने का मन हुआ। इसके लिए साधु ने माता लक्ष्मी जी को प्रसन्न किया और तपस्या पूर्ण होने पर देवी लक्ष्मी जी से अपना मनवांछित फल वरदान मांग लिया। वरदान प्राप्त होने के बाद राजा साधु राजा बनकर नगर में राजसिक सुख भोगने लगा।

कुछ दिनों के पश्चात साधु राजा बनकर अपने महल में सिंहासन पर बैठा था, तभी एक साधारण व्यक्ति आता है और राजा के सर से राजमुकुट को नीचे गिरा देता है तब सभी लोग देखते हैं कि मुकुट के अंदर एक सर्प बैठा हुआ था जिससे उस व्यक्ति ने राजा की जान बचाई।

उसके पश्चात सभी दरबारी राजमहल से तुरंत बाहर की ओर भाग जाते हैं और उसके पश्चात ही समस्त राजमहल गिरकर खंडहर में बदल जाता है। 

साधु को यह सब देखकर अपनी गलती का एहसास हो गया और उसने श्री गणेश जी की तपस्या की जिससे भगवान श्री गणेश प्रसन्न हुए और साधु की नाराजगी दूर हुई इसके पश्चात साधु वापस अपने कुटिया में लौट जाता है।

इसीलिए कहा गया है कि धन होने के साथ-साथ बुद्धि होना भी आवश्यक है और इसी कारण दीपावली पर माता लक्ष्मी और भगवान श्री गणेश जी की एक साथ पूजा की जाती है क्योंकि माता लक्ष्मी धन की देवी है और श्री गणेश जी ज्ञान और बुद्धि के देवता है।

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इंद्र और बली की कथा | दीपावली कथा | Diwali Katha

एक बार देवताओं के राजा इंद्र और राक्षस राजबली में भयानक युद्ध चल रहा था। युद्ध में से भाग कर राक्षस राजबली कहीं छुप जाते हैं। इसके पश्चात देवराज इंद्र रक्षा राजबली को ढूंढते हुए एक खाली खानदान में पहुंचते हैं जहां बाली गधे के रूप में छुपा हुआ था दोनों आपस में बातचीत करते हैं।

तभी राक्षस राजबली के शरीर से एक स्त्री बाहर निकलती है। जब देवराज इंद्र हैं सब देखते हैं तो पूछते हैं की देवी आप कौन? 

तो वह स्त्री रहती है कि मैं देवी लक्ष्मी हूं और मैं राक्षसों को छोड़कर आपकी आपके पास आ रही हूं।  

देवराज इंद्र पूछते हैं कि आप मेरी तरफ क्यों आ रही हैं तब लक्ष्मी जी कहती है कि मैं एक स्थान पर कभी भी नहीं रहती हूं। 

मैं उसी स्थान पर स्थिर होकर रहती हूँ जहाँ दानी, व्रत करने वाले,पराक्रमी तथा धर्मात्मा रहते हैं और जो सत्यवादी होता है, जितेंद्र होता है, ब्राह्मणों का हित करता है, धर्म की मर्यादा का पालन करता है, प्रतिदिन सूर्य से पहले जगाता है, उपवास एवं तपस्या करता है और सोते समय से सोता है, दीन दुखियों, अनाथ एवं वृद्ध रोगी, शक्तिहीन को नहीं परेशान करता उसी के पास में रहती हूं।

हमें हमेशा अपने मित्रों से प्रेम का व्यवहार करना चाहिए आलीशान इंदिरा सर प्रसन्नता है संतोष विवेक हीनता और कामुकता जैसे बुरे कोनो बुरे गुना से दूर रहना चाहिए। 

FAQ : दीपावली कथा | Diwali Katha | Diwali Kahani

दीवापली की कथा किससे संबंधित है?

दीवापली की कथा भगवान श्री राम और धन की देवी लक्ष्मी जी के बारे में है।

दिवाली कब है? Diwali Kab Hai?

वर्ष 2023 में दीपावली 12 November को है।

दीपावली कब मनाई जाती हैं? हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार?

हिंदू धर्म ग्रंथों में निहित तिथि के अनुसार दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती हैं।

निष्कर्ष : दीपावली कथा | Diwali Katha | Diwali Kahani

आशा है दोस्तों आपको दीपावली कथा 2024 - Diwali Katha | Diwali Kahani के बारे में दी गई जानकारी अच्छी लगी है। दिवाली की कथा | Deepawali ki Katha को अपने दोस्तों और परिवार के लोगो के साथ साझा करें। ताकि परिवार में जिन भी लोगो ने दिवाली की कथा | Deepawali ki Katha नही सुनी। वे सुने और दीपावली व्रत करें। इस लेख से संबंधित आपका कोई सवाल है तो Comments बॉक्स में पूछे। हम जल्दी ही जवाब देंगे।

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