अक्षरधाम मंदिर दिल्ली का रहस्य | Akshardham Temple Delhi

भारत की राजधानी नई दिल्ली की भागम भाग और व्यस्त जिंदगी से दूर कुछ पल धार्मिक महा नगरी मथुरा वृंदावन जैसा सुकून प्राप्त करना चाहते हैं तो ऐसे में आप अक्षरधाम जा सकते हैं क्योंकि अक्षरधाम को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि किसी प्लस में जादू शक्ति ने भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा वृंदावन को अपने विशाल हटाए हाथों से उठाकर नई दिल्ली में रख दिया हो। 

अक्षरधाम-मंदिर
अक्षरधाम मंदिर

नई दिल्ली मैं बना यह अक्षरधाम वह विशाल मंदिर है।जिसके अंदर प्रवेश करने के पश्चात आप किसी पौराणिक महानगरी में पहुंच जाते है। जहां आपको सब कुछ एक स्वपन सा लगता है। अक्षरधाम वह तीर्थ स्थल है जिसकी प्रशंसा करने के लिए अक्षरों का ताना-बाना नहीं बना जा सकता। अक्षरधाम की प्रशंसा में सुंदर शब्द कहना कुछ इस प्रकार होगा जैसे सूरज को दीपक दिखाना। अक्षरधाम मंदिर दिव्य धाम है जो भारत के प्राचीन गौरवशाली इतिहास को याद दिलाता है।

अक्षरधाम भारतीय संस्कृति का पर्याय है 

अक्षरधाम मंदिर भारत में नई दिल्ली नोएडा में स्थित है। जो लगभग 100 एकड़ की भूमि में बना हुआ है। यह एक ही धार्मिक स्थल है। अक्षरधाम का निर्माण भगवान स्वामीनारायण की स्मृति में कराया गया है। अक्षरधाम को विश्व का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर माना गया है, जिसके कारण अक्षरधाम का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी सम्मिलित किया गया है। अक्षरधाम मंदिर में हिंदू धर्म के स्वामी नारायण संप्रदाय के जन्मदाता भगवान स्वामीनारायण की मूर्ति भी स्थापित की गई है। जिन्हें धरती पर ईश्वर का अवतार माना जाता है। भगवान स्वामीनारायण स्वामी रामानंद के शिष्य थे। अक्षरधाम में भगवान स्वामीनारायण की पूजा अरना भी की जाती है।

अक्षरधाम वास्तु कला की अनुपम धरोहर 

अक्षरधाम मंदिर भारत के प्राचीन मध्यकालीन युग और आधुनिक युग की वास्तुकला का एक अनुपम संगम है। जिसको देखने के पश्चात हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है। और इस अक्षरधाम को आदित्य बनाने वाले की प्रशंसा करते हुए नहीं थकता। अक्षरधाम का निर्माण गुलाबी सफेद संगमरमर और बलुआ पत्थरों के सम्मिलित रूप से किया गया है। लगभग 100 एकड़ भूमि में बने हुए अक्षरधाम को हजारों वास्तु कारों ने मिलकर बनाया है।

अक्षरधाम को बनाने के लिए देश-विदेश के मूर्तिकारों को बुलवाया गया था।

अक्षरधाम मंदिर को बनाने से पहले भारत के प्राचीन मंदिरों का पूरा अध्ययन किया गया। ऐसा प्रतीत होता है कि देश के पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण के सभी मंदिरों का अध्ययन करने के पश्चात एकत्र सर्वश्रेष्ठ जानकारी से अक्षरधाम मंदिर को और भी सर्वश्रेष्ठ बनाए जाने का पूरा प्रयास किया गया है। अक्षरधाम मंदिर में लगी हुई है। विशाल स्तंभ, मूर्तियां और गुंबद सभी भारत के गौरवशाली वास्तुकला की गाथा बताते है। अक्षरधाम मंदिर में लगभग 20000 मूर्तियां हैं जिनको देखने के पश्चात ऐसा लगता है कि यह मूर्तियां किसी भी समय बोल सकती है।

अक्षरधाम मंदिर के प्रवेश द्वार पर मयूर नृत्य करते है

अक्षरधाम का मयूर द्वार मंदिर में आने वाले लोगों को अपनी और आकर्षित करता है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है। इस द्वार पर सुंदर मोर को दिखाया गया है। आप सभी को यह जानकर आश्चर्य होगा कि यहां पर एक दो या तीन नहीं बल्कि 900 मोरों की नृत्य करती हुई प्रतिमाएं बनाई गई है जो आने जाने वाले लोगों का मन मोह लेती है।

इतिहास की पन्नों को खोलता अक्षरधाम

प्रभु की प्रेम रस में भिगोने वाला भक्ति द्वार भी पर्यटकों को बहुत आकर्षित करना है। इस द्वार पर खड़े होने पर ऐसा अनुभव होता है कि हम सम्राट अशोक के महल के सामने खड़े हो। अक्षरधाम में प्रवेश करने के पश्चात हम यह भूल जाते है कि हम आधुनिक काल में जीवन जी रहे है क्योंकि अक्षरधाम मंदिर में आने के पश्चात हम हजारों साल पीछे चले जाते है। हजारों साल पुराने जीवन को देखने लगते है।

वेद पुराणों के मंत्र गूंजते है

अक्षरधाम में दश द्वार में प्रवेश करने पर ऐसा लगता है। कि इस मंदिर में वेद पुराणों की मंगलकारी आभा की चमक चारों ओर फैली हुई हो। अक्षरधाम का दश द्वार दसों दिशाओं का प्रतिबिंब है। अक्षरधाम के परिसर में आने वाले लोगों पर शुभ वर्षा होती रहती है। अक्षरधाम की हवाओं में वेद पुराणों का स्वर गूंजता रहता है। 

अक्षरधाम-मंदिर

फव्वारा कहानी कहता है।

अक्षरधाम का सबसे मन मोह लेने वाला दृश्य यहां का उठने वाला फव्वारा है। यह फव्वारा बोलता है और यह जो बोलता है वह अद्भुत कहानी है जो हमारे जीवन और संस्कृति से जुड़ी हुई होती है। अपने रंग बिरंगी प्रकाश युक्त गिरते उठते जल के द्वारा यह फव्वारा कहानी सुनाता है। जो देखने सुनने में कर्णप्रिय और दर्शनीय लगता है।

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सीढियों वाला अक्षरधाम 

अक्षरधाम मंदिर में 2870 सीढ़ियां बनी हुई है। यह सीढ़ियां हमें अध्यात्म और अलौकिक संसार की ओर अग्रसर करती है। इन सीढ़ियों को चढ़कर हम प्रभु भक्ति में लीन हो जाते है। ऐसा अनुभव होता है कि कोई अदृश्य शक्ति हमें अपनी ओर खींच रही है। 

भारतीय गणितज्ञों का कुंड 

यह मंदिर भारतीयता के रंगों से रंगा हुआ है। अक्षरधाम मंदिर हमें अध्यात्म के अलावा विज्ञान और गणित की ओर भी अग्रसर करता है। अक्षरधाम मंदिर भारतीय गणितज्ञों की महानता की एक झलक दिखाने वाला अनुपम स्थल है जो हमें गौरवान्वित करता है।

गुरु के अक्षरों का धाम 

अक्षरधाम में पुरानी की मध्यकालीन एवं आधुनिक युग की पुस्तकों को प्रदर्शित करने वाला पुस्तकालय भी है। जहां हजारों की संख्या में ग्रंथ आगंतुकों का इंतजार करते है। यहां मौजूद पुस्तकों का महल हमारी नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति, कला एवं आध्यात्म से परिचित कराता है। धार्मिक पुस्तकों को पसंद करने वालों के लिए अक्षरधाम ज्ञान का प्रकाश प्रदान करता है।

परमानंद की अनुभूति का स्थल अक्षरधाम 

अक्षरधाम का होल ऑफ वैल्यू जहां अहिंसा, शाकाहार और नैतिकता का पाठ पढ़ाया जाता है। वहीं दूसरी ओर नीलकंठ यात्रा हमें अलौकिक दुनिया में ले जाती है। ऐसे में नौकायन हमें प्राचीन काल की समय यात्रा कर आता है। जिस की अनुभूति अत्यंत रोमांचकारी और मन को सुकून देने वाली है। शाम के समय में चलने वाले संयुक्त संगीत युक्त फव्वारे भक्तों को परम आनंद की अनुभूति कराते है। वही गार्डन ऑफ इंडिया और अभिषेक मंडप हमें कुछ क्षण के लिए परमात्मा से जोड़ देता है। 

शालीन वस्त्रों के बिना प्रवेश असंभव है 

अक्षरधाम मंदिर की सबसे खास विशेषता यह है कि अक्षरधाम में शालीन वस्त्रों को पहने बिना किसी आगंतुक का आना मना है। क्योंकि अक्षरधाम भारतीय संस्कृति का पक्षधर है। इसलिए पर्यटकों को भारतीय संस्कृति के अनुरूप शालीन वस्त्र धारण करके ही अक्षरधाम में प्रवेश दिया जाता है। जो आगंतुक शालीन वस्त्र पहन कर नहीं आता उन्हें अक्षरधाम मंदिर में प्रवेश करने से पहले भारतीय संस्कृति के अनुसार वस्त्र दिए जाते है। जिनको पहनकर अक्षरधाम में प्रवेश किया जा सकता है। 

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज है 

अक्षरधाम मंदिर को विश्व का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर घोषित किया गया है। इस वजह से अक्षरधाम मंदिर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। यह गौरवशाली वर्ष दिसंबर 2007 था जब अक्षरधाम के प्रमुख स्वामी महाराज को इस आशय के दो प्रमाण पत्र दिए गए जिसमें अक्षरधाम की भव्यता की भव्य प्रशंसा की गई है।

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