भारत की भूतिया जगहें | India's Most Haunted Place

भारत की 10 भूतिया जगहें, जहां रहती हैं आत्माएं, डर के मारे कोई आसपास भी नहीं फटकता

अनजाने रहस्य और आज स्थान दोनो शब्द सुनते ही लोगों के दिल और दिमाग में डरावने और रहस्यमयी विचार आने लगते है। लोग बड़े ध्यान से इन भूतिया कहानियां को सुनते है। इन रहस्य से जुड़ी कहानियों की वजह से ही लोग इनको ध्यान से सुनते है। अक्सर आप सभी ने भूतिया फिल्मों में भी डरावने भुतहा दृश्य देखे होंगे। कैसे लोग भूतों से जंगलों में, इमारतों में अपनी जान बचाना चाहते है। भूतों से बचने के लिए लोग कैसे भागते है। लेकिन क्या भूतों की कहानी सच होती है? क्या हकीकत में भूतिया किलो में लोग रात ने नही जा सकते है। क्या भूतिया आत्माएं पुराने किलो, पुरानी इमारतों में रहते है।

भूतिया किला, भूतिया कहानियां की सच्चाई को लेकर हमारे मन में भी कई सवाल आते है। आज 21वीं सदी का युग है। विज्ञान और तकनीकी बहुत उन्नति कर चुका है। लेकिन अंधविश्वास आज भी कायम है। पूरी दुनिया में प्राचीन समय के किस्से कहानियां आज भी प्रचलित है।

भारत में आज भी लोग भूत प्रेत, चुड़ैल की कहानियां, भूतिया कहानियां पर विश्वास करते है। यहां के लोग भूतिया कहानियां बहुत ही उत्सुकता से सुनते है। अक्सर बच्चे भूतिया कहानियां सुनने के बाद बहुत डर जाते है। लेकिन क्या ही यदि ये कहानियां सच्ची हो तो हर कोई इंसान डर जाएगा।

भूत को अपने सामने देखने की बात सुनकर ही लोगो को पसीने आने लगते है। कई इतिहासकार बताते है की भारत में भूतिया किले, भूतिया इमारतों की कहानियां आज भी कही जाती है। भटकती आत्माओं और पुराने भूतिया खंडर की कहानी जो हजारों वर्षों से श्रापित है।

इन श्रापित भूतिया जगहों पर जाना अपनी मौत को निमंत्रण देना है। ये आत्माएं इनकी सीमा में आने वाले व्यक्ति को नुकसान पहुंचाती है। 

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आज भूतिया जगहों और उनसे जुड़े भूतिया किस्से कहानियां आपको बताने वाले है।

पिसावा के जंगल

उत्तरप्रदेश के मथुरा जिला का देहात इलाका पिसावा का जंगल । जहा जाने वाले इंसान मौत का सामना खुद करते है। ये इलाका पर्यटकों के लिए बंद है। स्थानीय लोग कहते है की यहां सर सर की आवाजें आती है। रात के समय में पिसावा के जंगलों में काला साया घूमता है। पिसावा गांव के आसपास के पेड़ों छाड़ियों पर ये काला साया रहता है। यहां हजारों बंदर रहते है।

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वेद पुराणों में लिखा है कि महाभारत युद्ध समाप्ति के बाद, महाबलशाली द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा कोरवों की महाभारत युद्ध में हार के बाद यही पिसावा के जंगलों में गए थे। पिसावा जंगल के घुमावदार स्थान पर शनिवार को यज्ञ होता है। यहां श्रद्धालु भी आते है। जो आपको यह परिक्रमा करते हुए दिख जायेंगे। बच्चे बूढ़े महिलाएं तो रोजाना यहां आती है। पिसावा जंगल की छाड़ियों में कोई भी नही जाता, यहां जाना सख्त मना है। यदि आप भी पूजन या परिक्रमा करने के लिए जाना चाहते है तो यहाँ गाड़ियां चलती है। लेकिन पिसावा जंगल की प्रसिद्धि आज बहुत कम हो गई है जिसका कारण इस विश्व विरासत के प्रति लापरवाही है।

मान्यता है की पिसावा जंगल से ‘झाड़ी वाला बाबा’ जंगल से कोई भी इंसान लकड़ी घर या बेचने के लिए नहीं ले जा सकते। यदि कोई व्यक्ति भूलकर पिसावा जंगल से लकड़ी ले जता है तो उसके साथ कुछ अनहोनी जरूर होती है।

स्थानीय लोगो के अनुसार एक दबंग व्यक्ति अपने घमंड मे पिसावा जंगल से पेड़ो को काट करके बेचने चला गया। उसके पशु मारे गए और उसके नाकों से खून बहने लग गया था। तब से सब इस बात को मानने लग गए की पिसावा जंगल से कोई भी लकड़ी नही लेकर जा सकता।

लेकिन धर्म आस्था जैसे: पुण्य प्रसादी, भंडारा आदि कार्यों के लिए इस जंगल से लकड़ी लेकर जा सकते है।

पिसावा जंगल में कई पुराने खंडहर है, इनका निर्माण किसने करवाया कोई नही जानता। अकेला इंसान यहां जाने की सोच भी नही सकता। 

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मेरठ का भूत बंगला

उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में बेहद डरावनी हवेली है। जिसे लोग भूत बंगला कहते है। यह भूत बंगला मॉल रोड स्थित कैंट बोर्ड के CEO आवास के नजदीक है। CEO आवास और Wheelrs Club से होकर एक रास्ता अंदर की तरफ जाता है। 

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मॉल रोड से 650 किलोमीटर अंदर की तरफ जाने पर कई झाड़ियां है। भूत बंगले तक पक्की सड़क बनी हुयी है। भूतिया बंगले में आज कबूतर रहते है। भूत बंगले का फर्श बहुत मजबूत है यह आज भी पहले जैसी स्थिति में है। यहाँ दीवारों पर अपशब्द लिखे है। जो जल्दी ही आप समझ जायेंगे। कुछ दीवारें टूटी हुई है लेकिन ऊपर जाने की सीढ़ियां सही है। धुल गंदगी का ढेर लगा हुआ है। भूत बंगले के कमरे हवादार है। धूप, बारिश से बचने के लिए यह पूरी तरह से सुरक्षित है। 

बंगले में 1947 तक Sub Area Headquarter था

मेरठ का भूत बंगला किसी समय Sub Area Headquarter हुआ करता था। जिसकों आज दुनिया की सबसे डरावनी जगहों में शामिल किया गया है। आजादी से पहले यहाँ Sub Area Headquarter था। जो मेरठ छावनी की प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखता था। उस समय कर्नल रैंक के अधिकारी Sub Area कमांडर के पद पर होते थे। 1947 के बाद Sub Area Headquarter सरधना रोड पर बनाया गया। जहां पहले अंग्रेजी अफसरों का अस्पताल था।

भानगढ़ का किला

भानगढ़ का किला राजस्थान के अलवर जिले में है। भानगढ़ का किला Top Most Hanutred Places में से एक है। भानगढ़ को लोग भूतों का भानगढ़ भी कहते है।  भानगढ़ एक वीरान रियासत है जहाँ कोई भी इंसान नहीं रहता। एक खुशहाल रियासत कैसे रातों रात वीरान हो गयी इसके पीछे क्या कहानी है। 

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भानगढ़ की कहानी 

16 वीं शताब्दी तक भानगढ़ समृद्ध और खुशहाल रियासत थी। करीब 300 सालों तक भानगढ़ उन्नित के मार्ग पर रहा। लेकिन एक समय बाद भानगढ़ भूतों का घर बन गया।  भानगढ़ किला जहाँ भूत रहने लग गए। 

भानगढ़ की राजकुमारी बहुत खूबसूरत थी।राजकुमारी की सुंदरता की खबर आसपास की सभी रियासतों में फैली हुयी थी। सभी रियासतों के राजा, राजकुमार भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती से शादी करना चाहते थे। 

भानगढ़ में सिंधु सेवड़ा नाम का एक साधू भी रहता था जो राजकुमारी पर मोहित हो चूका था। साधू हर हाल में राजकुमारी रत्नावती से शादी करना चाहता था। 

राजकुमारी रत्नावती केवड़े का इत्र लगाती थी। एक दिन राजकुमारी की दासी भानगढ़ के बाजार में राजकुमारी के लिए केवड़े का इत्र लेने गयी। तब तांत्रिक साधू सेवड़ा ने वशीकरण मन्त्र से अभिमंत्रित इत्र राजकुमारी के पास भिजवा दिया। 

तांत्रिक साधू की योजना थी की वशीकरण मन्त्र से अभिमंत्रित केवड़े का इत्र लगते ही रत्नावती उसके पास आ जाएगी।  और वो रत्नावती को हासिल कर लेगा। 

लेकिन राजकुमारी को साधू के छल के बारे में पता चल जाता है और रत्नावती उस इत्र की शीशी को फेक देती है। शीशी एक शिला पर गिरकर फुट जाती है। और वशीकरण के प्रभाव से वो शिला  तरफ जाने लगती है। 

साधू सब समझ गया और मरने से पहले सिंधु सेवड़ा ने भानगढ़ को श्राप दिया की भानगढ़ बर्बाद हो जाएगा। जिसके बाद उस शिला से साधू की मृत्यु हो जाती है। 

 कुछ समय बाद भानगढ़ और अजबगढ़ में युद्ध हो जाता है। जिसमे भानगढ़ हार जाता है। यहाँ के लोगों मृत्यु हो  जाती है। 

यहाँ के लोगों की आत्माएं  भानगढ़ में भटकती है। कई लोगो ने भानगढ़ में भूतों के देखे जाने की बात कही है। तांत्रिक के श्राप ने भानगढ़ को बर्बाद कर दिया। 

भानगढ़ का पुरातत्व विभाग बोर्ड

भानगढ़ का किला भूतिया है। पुरातत्व विभाग ने यहाँ छानबीन करने के बाद भानगढ़ किला लोगो के लिए असामान्य बताया। इसके बारे में पुरातत्व विभाग ने सुचना बोर्ड भी लगाया है। 

जिसके अनुसार - भानगढ़ किले में सूर्यास्त के बाद और सूर्य उदय से पहले प्रवेश करना मना है। 

भानगढ़ किला घूमने के लिए देश विदेश से पर्यटक आते है। लेकिन शाम होने से पहले वापस लौट जाते है। 

लोग कहते है की तांत्रिक की आत्मा आज भी भानगढ़ में भटकती है। तांत्रिक के श्राप के कारन आज कोई भी भानगढ़ में बसने की हिम्मत नहीं करता है।  

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कुलधरा गाँव

Kuldhara Village भूतिया कहानियां को सच करने वाला जिन्दा उदहारण है। कुलधरा गांव 200 सालों से वीरान पड़ा हुआ है। आज कुलधरा गांव को लोग भूतिया गाँव कहते है। 

कुलधरा गांव को पालीवाल ब्राहम्णों ने बसाया था। जिसके बाद कई 100 सालों तक यहाँ खूब उन्नति हुयी।  लेकिन रातों रात यहाँ गाँव वीरान हो गया। 

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कुलधरा गांव के मुखिया की बेटी पर रियासत के दीवान की बुरी नजर थी। 

दीवान ने दीवान ने गांव वालों और मुखिया पर उसकी बेटी से शादी करने का दबाव बनाया लेकिन मुखिया ने दीवान से अपनी बेटी की शादी कराने से इंकार कर दिया।

अपने घमंड मे चूर दीवान ने कुलधरा गांव वालों पर भारी मात्रा में कर वसूली लगा दिया और गांव वालों को परेशान करने लगा।

गांव वाले किसी भी हाल में अपनी बेटी की इज्जत पर दीवान के हाथ नहीं लगने देना चाहते थे। इसलिए पंचायत में सभी लोगो ने कुलधरा गांव को छोड़ने का फैसला किया।

कुलधरा गांव समेत आसपास के 83 गांव के लोग भी गांव को छोड़ कर वहां से एक ही रात में पलायन कर गए।

जाते समय कुलधरा गांव के लोगों ने कुलधरा गांव को श्राप दिया कि यहां कोई भी नहीं बस पाएगा जो भी यहां रहेगा उसका परिवार खत्म हो जाएगा।

कुलधरा गांव को कुलधरा गांव को श्रापित गांव भी कहते है।

कुलधरा गांव में घूमने के लिए आने वाले पर्यटकों को यहां पर ऐसा अनुभव होता है। जैसे उनके साथ कोई चल रहा हो, बाजार में आज भी लोग है, लोगों और महिलाओं के बात करने की आवाज आती है, महिलाओं की पायल और चूड़ियों की आवाज भी सुनाई देती है।

कुलधरा गांव में पुरातत्व विभाग ने बोर्ड लगाया है जिसके अनुसार सूर्य अस्त के बाद और सूर्य उदय से पहले कुलधरा गांव में प्रवेश नहीं कर सकते।

क्या गांव में कुलधरा गांव में पैरानॉर्मल सोसायटी की टीम ने रात बिताकर वहां पर असामान्य गतिविधियां रिकॉर्ड की।

बहुत से लोग कुलधरा गांव को घूमने के लिए जाते हैं लेकिन रात होने से पहले ही गांव से वापस लौट जाते है।

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