मेहरानगढ़ का किला | Mehrangarh Fort Haunted Story in Hindi

नेक दिल इंसान जो अपनी इच्छाशक्ति से जिंदा दफन हो गया एक रहस्मयी किले के निर्माण के लिए 

दोस्तों रहस्य की दुनिया (Rahasyo ki Duniya) पर आप सभी का स्वागत है। आज हम आपको रहस्य बने एक किले के बारे में बताने वाले है। जो एक व्यक्ति की कब्र पर बना हुआ है जिसके लिए एक व्यक्ति जिंदा दफन हो गया था। जोधपुर जिले में स्थित है रहस्मयी मेहरानगढ़ का किला । राजस्थान के जोधपुर जिले में स्थित मेहरानगढ़ फोर्ट से पूरा पाकिस्तान दिखाई देता है। 

आज हम आपको एक दिलचस्प रहस्यमयी किले के बारे में बताने वाले है, तो चलिए शुरू करते है

✦ मेहरानगढ़ फोर्ट फोटो गैलरी

मेहरानगढ़-का-किला
मेहरानगढ़ का किला सामने का दृश्य

Mehrangarh fort Haunted story in Hindi

भारत में ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों की कमी नहीं है। एक व्यक्ति अपनी पूरी जिंदगी में भी इन पर्यटन स्थलों को घूम नहीं सकता। भारत के ऐतिहासिक किले को देखने के लिए आपको कई साल लग जाएंगे। यह किले इतिहास को समेटकर भारत के ऐतिहासिक किलों ने इतिहास को समेट कर रखा है और आज भी इतिहास की गाथा बताते है।

जोधपुर का मेहरानगढ़ फोर्ट (mehrangarh fort) 120 मीटर ऊंचाई वाली पहाड़ी पर बना हुआ है। इस प्रकार मेहरानगढ़ फोर्ट कुतुबमीनार की ऊंचाई(73 मीटर) से भी ज्यादा है। मेहरानगढ़ फोर्ट के परिसर में सती माता का मंदिर भी स्थित है।

मेहरानगढ़ का किला | Mehrangarh fort in Hindi 

मेहरानगढ़ फोर्ट(mehrangarh fort) की दीवारों की परिधि 10 किलोमीटर तक फैली हुई है। इन दीवारों की ऊंचाई 20 फुट से 120 फुट और चौड़ाई 12 फुट से 70 फुट तक है। मेहरानगढ़ फोर्ट परकोटे में दुर्गम रास्तों वाले 7 आरक्षित दुर्ग भी बने हुए है। मेहरानगढ़ महल के अंदर मेहरानगढ़ फोर्ट के अंदर अद्भुत नक्काशीदार दरवाजे,  जालीदार खिड़कियां और कई प्रकार के भव्य महल है। मेहरानगढ़ किले के अंदर बहुत ही बेहतरीन और सजे हुए महल है। जिनमें मोती महल, फूल महल, शीश महल, दौलत खाने, सिलाई खाना मौजूद है। 

मेहरानगढ़ फोर्ट म्यूजियम (mehrangarh fort and museum) में पालकी या पोशाके शाही पालनो संगीत वाद्य और फर्नीचर भी मौजूद है। मेहरानगढ़ का किला जोधपुर की दीवारों पर आज भी तोपें रखी गई है, जो मेहरानगढ़ फोर्ट (mehrangarh fort in hindi) की सुंदरता कई गुना बढ़ा देती है और मेहरानगढ़ फोर्ट के इतिहास (mehrangarh fort history in hindi) को बताती है। 

जोधपुर शासक राव जोधा ने मेहरानगढ़ किला की नींव 12 मई 1459 को रखी और महाराज जसवंत सिंह ने 1638 से 1678 मेहरानगढ़ किले का निर्माण पूरा किया अर्थात मेहरानगढ़ किले का इतिहास(mehrangarh fort history in hindi) लगभग 500 साल से भी अधिक पुराना है। 

जोधपुर किला (मेहरानगढ़ किला) कुल 7 दरवाजे से बना हुआ है। जिनमें सबसे प्रसिद्ध दरवाजों के बारे में हम आपको बताने वाले है 

➤ जय पोल (विजय पोल मेहरानगढ़ फोर्ट) दरवाजे का निर्माण महाराजा मानसिंह ने जयपुर और बीकानेर पर मिली जीत की खुशी में किया था।

➤ फतेह पोल का निर्माण 1707 में मुगलों पर मिली फतेह की खुशी में किया गया था। 

➤ डेढ़ कंग्र पोल जिससे आज भी तोपें से की जाने वाली बमबारी का डर लगा रहता है। 

➤ लोहा पुल मेहरानगढ़ फोर्ट  किले का आखिरी दरवाजा है जो किले के परिसर के मुख्य भाग में
 बना हुआ है। इसके इसके बायीं दिशा की तरफ ही रानियों के हाथों के निशान बने हुए है। जिन्होंने 1843 में अपने पति महाराजा मानसिंह के अंतिम संस्कार के समय खुद को कुर्बान कर सती बन गई थी।

संत का भयानक श्राप

बहुत समय पहले राव जोधा नामक महत्वाकांक्षी शासक ने जोधपुर में राज्य से पहाड़ी पर मेहरानगढ़ फोर्ट बनाने का फैसला किया। राजा ने पहाड़ी पर रहने वाले लोगों को वहां से हटाकर अपनी मर्ज़ी को अंजाम देने के लिए( मेहरानगढ़ फोर्ट की नींव रखने का) आदेश दिया। राजा के सिपाहियों ने पहाड़ी से सभी लोगों को हटा दिया।

राजा पहाड़ी पर एक वृद्ध संत बाबा भी रहता था जिसे लोग चिड़ियावाले बाबा के नाम से जानते थे। राजा के सिपाहियों ने उस वृद्ध संत बाबा को भी वह से हटा दिया जिसके बाद संत बाबा ने श्राप दिया कि उसके राज्य में बार-बार सूखा पड़ेगा।

संत ने दिखाया एकमात्र रास्ता 

चिड़ियावाले बाबा के श्राप को सुनकर राजा भयभीत और हैरान हो गए और चिड़िया वाले बाबा के चरणों में  आत्मसमर्पण कर दिया और माफी मांगी। तब अपने श्राप को वापस लेने में असमर्थ बाबा ने श्राप के असर को कम करने के लिए एक समाधान राजा को बताया, की किसी ईमानदार व्यक्ति को अपनी इच्छाशक्ति से दफन होना होगा उसके पश्चात ही मेहरानगढ़ किले का निर्माण संभव है।

जब राजा प्रजा के बीच रक्षक को खोजने में असफल रहा तो, राजाराम मेघवाल नाम के एक व्यक्ति ने अपने जीवन का बलिदान करने का निश्चय किया और सन 1459 में राजाराम मेघवाल को एक शुभ दिन और शुभ स्थान पर जिंदा दफना दिया गया ताकि मेहरानगढ़ किले की नींव रखी जा सके।

राजाराम मेघवाल का स्मारक

राजाराम मेघवाल के महान बलिदान को ध्यान में रखते हुए राजा ने मेहरानगढ़ किले पर उनकी कब्र बना कर एक बलवा पत्थर पर राजाराम मेघवाल का नाम दफनाने की तारीख और अन्य विवरण को लिखकर लिखवाया था कि आने वाले समय में लोग राजाराम मेघवाल के महान बलिदान के बारे में जान सके।

मेहरानगढ़ किला का इतिहास | Mehrangarh fort history in hindi

मेहरानगढ़ किला का इतिहास (mehrangarh fort history in hindi) कई सालों पुराना ना होकर कई शताब्दियों(सौ वर्ष = एक शताब्दी) पुराना है। शाही परिवार की महिलाएं अक्सर अपने पति के अंतिम संस्कार के समय पति की चिता के साथ जीवित जल कर या विजय प्रतिद्वंदी द्वारा बेईमानी से बचने के लिए सती हो जाती थी। मेहरानगढ़ किले में लोहा पुल (लोहे के गेट) के बाई तरफ पूर्व राजा मान सिंह के जीवन साथी के लगभग 15 या इतने ही भित्ति चित्र अंकित है। जिन्होंने वर्ष 1843 में सती होने का अपराध किया था। मेहरानगढ़ किला का इतिहास

जैसा की किवदंती है कि इस घटना से पूर्व भी सन 1731 राजा अजीत सिंह की पत्नी और मालकिन ने राजा के निधन के बाद सती हुई थी। मेहरानगढ़ किले में देखने के लिए कई प्रकार की चीजें है। जैसे: चांदी की कलाकृतियां, लघु चित्र और पेंटिंग, फूल महल और मेहरानगढ़ फोर्ट से दिखने वाले नीले का व्यापक दृश्य फिर भी सूर्य का किला, सती के हाथ के निशान और राजाराम मेघवाल के स्मारक प्रेरकों की आत्मा को प्रभावित करते है।

सती प्रथा भित्ति चित्र

सती प्रथा भित्ति चित्र
मेहरानगढ़ किला सती प्रथा भित्ति चित्र 

मेहरानगढ़ किले का रहस्य

mehrangarh kile ka itihas जोधपुर शहर को लोग सूर्य नगरी के नाम से भी जानते है। सूर्य नगरी में ऐसा बहुत कुछ है जिसको देखने जिसको आंख बार-बार देखना चाहेंगे। लेकिन अगर आप इस शहर के गौरव की बात करें तो मेहरानगढ़ फोर्ट की सुंदरता के चर्चे देश में ही नहीं विदेश में भी चर्चित है। मेहरानगढ़ किले को जोधपुर शहर की शान कहा गया है। मेहरानगढ़ किले को देखने के लिए भारत के साथ-साथ विदेश से भी लोग आते है। मेहरानगढ़ का किला 120 मीटर की ऊंचाई वाली पहाड़ी पर बनाया गया है। मेहरानगढ़ का किला जोधपुर शहर के हर कोने से देखा जा सकता है। 

1965 में भारत-पाक लड़ाई के समय सबसे पहले को निशाना बनाया गया था। 

जोधपुर का मेहरानगढ़ किला के एक हिस्से को संग्रहालय म्यूजियम में बदल दिया गया है। जिसे मेहरानगढ़ म्यूजियम कहते है। मेहरानगढ़ म्यूजियम में शाही पालकियों एक बड़ा कलेक्शन है। इस म्यूजियम में चौदह कमरे है। जो शाही हथियारों, गहनों और वेशभूषा से सजे है। इसके अलावा मोती महल, शीश महल, फूल महल, झांकी महल चार कमरे भी है। 

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किले से दिखाई देता है पाकिस्तान

मेहरानगढ़ किले के बारे में बताया जाता है कि साल 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध में मेहरानगढ़ किले को निशाना बनाया गया था लेकिन माना जाता है कि माता की कृपा से यहां किसी का बाल भी बांका नहीं हुआ मेहरानगढ़ किले की चोटी से पाकिस्तान की सीमा दिखाई देती है

दौलत खाना

इस गैलरी भारतीय इतिहास के मुगल शासन काल के सबसे महत्वपूर्ण और संरक्षित कलेक्शन में से एक है।  राठौड़ राज वंश के शासकों ने मुगल शासकों के साथ घनिष्ठ संबंध बना रखे थे। इनमें कुछ अवशेष मुगल सम्राट अकबर के भी मौजूद है। 

शस्त्रागार

इस गैलरी में जोधपुर के शासकों के सभी सालों के कवचों के दुर्लभ संग्रह मौजूद है। प्रदर्शनी में तलवार की जेड चांदी, हाथी दांत, राइनो सींग, रतन जड़ित कवच, पन्ना-मोती और बंदूके (जिनकी नालियों पर सोने-चाँदी से काम किया गया है) शामिल है। प्रदर्शनी में राजाओं की व्यक्तिगत तलवारों को भी दिखाया गया है। जैसे राव जोधा कि खांडा के कुछ ऐतिहासिक अवशेष, जिनका वजन लगभग 3 किलोग्राम है। महान मुग़ल सम्राट अकबर की तलवार और तैमूर की तलवार भी इस प्रदर्शनी में मौजूद है।

पेंटिंग्स 

इस प्रदर्शनी में मारवाड़ और जोधपुर के रंगों को दिखाया गया है जो मारवाड़ के चित्रों का अच्छा उदाहरण है।

पगड़ी गैलरी 

मेहरानगढ़ म्यूजियम की पगड़ी गैलरी में रक्षा दस्तावेज और राजस्थान में प्रचलित पगड़ीयों के अलग-अलग डिजाइन को दिखाया गया है क्योंकि राजस्थान में हर समुदाय और क्षेत्र और त्योहारों की अपनी अलग अलग पहचान है। 

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मेहरानगढ़ फोर्ट घूमने के लिए बेस्ट समय | Best time to visit Mehrangarh Fort

मेहरानगढ़ फोर्ट घूमने के लिए बेस्ट टाइम अक्टूबर से मार्च है, क्योंकि गर्मी के समय राजस्थान में तापमान बहुत अधिक रहता है। इसलिए राजस्थान घूमने का सबसे बेस्ट टाइम सर्दियों और बरसात है।

मेहरानगढ़ फोर्ट घूमने जाये तब कहां ठहरे

मेहरानगढ़ का किला घूमने के बाद आपके रुकने के लिए यहां पर Hotels, Resort मिल जाएंगे और अगर आपका बजट कम है तो यहां धर्मशालाएं भी मौजूद है जिनमें आप रुकने की व्यवस्था ठहरने और रोकने और खाने की व्यवस्था कर सकते हैं।

मेहरानगढ़ फोर्ट टाइमिंग | mehrangarh fort timings

मेहरानगढ़ का किला सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है। 

 इसे भी पढ़े  :- उम्मेद भवन पैलेस जोधपुर

मेहरगढ़ फोर्ट टिकट | mehrangarh fort ticket

मेहरानगढ़ फोर्ट एन्ट्री सभी के लिए फ्री है। 

Mehrangarh Fort Museum Enrey fees भारतियों के लिए 100 रूपए, विद्यार्थियों के लिए 50 रूपए है। वही विदेशियों के लिए 600 और विदेशी विद्यार्थियों के लिए 400 भारतीय रूपए है। 

Mehrangarh Fort Images

Mehrangarh Fort Images   Mehrangarh Fort Images

Umaid Bhawan Palace Jodhpur Images   Umaid Bhawan Palace Jodhpur Images

Umaid Bhawan Palace Jodhpur Images   Umaid Bhawan Palace Jodhpur Images

मेहरानगढ़ फोर्ट त्यौहार | Mehrangarh fort Festival

  • Rajasthan International Folk Festival in October  
  • World Sufi Spirit Festival in February

कैसे पहुंचे मेहरानगढ़ फोर्ट | How to reach Mehrangarh Fort

मेहरानगढ़ किला पहुंचने से पहले आपको जोधपुर पहुंचना होगा। 

फ्लाइट से (By Flight)

आप फ्लाइट से जोधपुर एयरपोर्ट पहुंच सकते है।  जयपुर एयरपोर्ट से टैक्सी द्वारा आप मेहरानगढ़ किला पहुंच सकते है। 

ट्रैन से (By Train)

जोधपुर हर राज्य से ट्रैन से जुड़ा हुआ है। आप ट्रैन से जोधपुर रेलवे स्टेशन पहुंच कर वहा से टैक्सी द्वारा आसानी से मेहरानगढ़ किला(mehrangarh fort jodhpur) पहुँच जायेगे। 

सड़क से (By Road)

आप जोधपुर बस या अपने पर्सनल गाडी से भी पहुंच सकते है। और परेशानी के mehrangarh fort घूम सकते है।

नई दिल्ली और आगरा से जयपुर के लिए सीधी बसें मिलते है। दिल्ली और आगरा के बीच का यह सड़क मार्ग गोल्डन ट्रैवल्स क्षेत्र का हिस्सा है।

FaQ : Mehrangarh fort Haunted story in Hindi

यहाँ पर आपको मेहरानगढ़ फोर्ट से सम्बंधित सभी सवालो के जवाब दिए गए है। 

Q:  मेहरानगढ़ का किला कहां स्थित है? मेहरानगढ़ का किला कहां है? मेहरानगढ़ का किला कहां पर है?(where is mehrangarh fort located,where is mehrangarh fort)

Ans.  mehrangarh fort जोधपुर जिले में स्थित है। 

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