दफ़न हैं किले में मराठाओं का इतिहास | Shaniwar Wada Pune Haunted Story In Hindi

बाजीराव मस्तानी की अधूरी प्रेम कहानी की गाथा आज भी इस किले की चार दीवारों में कैद है। पेशवाओं की उन्नति और पेशवाओं के पतन की कहानी छिपी है इस किले में। लोग इस किले को भूतों का डेरा कहते है।  

भारत में भानगढ़ का किला, भूतिया गाँव | कुलधरा गांव, नाले बा - चुड़ैल की आवाज जैसे कई भूतिया जगहें है। जो आज भी भूतिया (Haunted) है। इन जगहों का नाम सुनने से ही लोगों के शरीर में सिहरन सी दौड़ जाती है। मस्तिष्क में भूतिया ख्याल आने लगते है। 

इस भूतिया किला कहने के पीछे कई किस्से-कहानियाँ कही जाती है। इसी किले में मराठाओं का इतिहास दफ़न है। भूतिया किला shaniwar wada pune (शनिवार वाडा पुणे) पेशवाओं की पूरी जिंदगी की कहानी बताता है। 

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शनिवार वाडा किला | Shaniwar Wada Pune

प्राचीन समय से लेकर मध्यकाल तक भारत में कई ऐतिहासिक किलों का निर्माण हुआ।  जिनमे प्रत्येक किले की एक अलग कहानी है। ऐतिहासिक किलों को घूमने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आते है। इन्ही ऐतिहासिक किलों में से एक है - Most Haunted Places - shaniwar wada pune

18 वीं शताब्दी में बना शनिवार वाडा किला, भी भूतिया किला की सूची में सम्मिलित है। shaniwar wada pune के बारे में कई रहस्यमयी कहानिया कही जाती है। 

shaniwar wada pune की नीवं 10 जनवरी 1730 को शनिवार के दिन रखी थी। शनिवार वाडा किला पुणे (shaniwar wada pune) महाराष्ट्र का प्रमुख स्थल है। शनिवार वाडा किला पुणे महाराष्ट्र की Most Haunted Places में से एक है।  

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शनिवार वाडा किला मराठाओं के काले अध्याय और मराठाओं का अन्याय की कहानी को चीख-चीख बताता है। बाजीराव काशीबाई का धोखा। बाजीराव मस्तानी की प्रेम कहानी का इतिहास भी Most Haunted Places - shaniwar wada pune में सिमटा हुआ है। 

शनिवार वाडा किला का इतिहास | Shaniwar Wada History Story

Shaniwar Wada बाजीराव प्रथम द्वारा बनाया गया था। बाजीराव प्रथम मराठा शासक छत्रपति साहू के पेशवा थे। Shaniwar Wada मराठा शैली और मुग़ल शैली दोनों शैलियों से बनाया गया है। शनिवार के दिन किले की नीवं रखे जाने के कारण किले का नाम शनिवार वाडा किला रखा गया। 

सात मंजिला Shaniwar Wada बनाने की पूरी जिम्मेदारी राजस्थान के कारीगरों/ठेकेदारों को दी गयी थी। जिनको उस समय कुमावत क्षत्रिय (Kumawat Kshatriya) कहा जाता था। Shaniwar Wada Kila पत्थरों से बनाने की योजना थी। लेकिन सतारा की प्रजा ने छत्रपति साहू से "किले का निर्माण पत्थरों से किया जायेगा" की शिकायत कर दी थी। 

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क्योकि उस समय पत्थरों से किला बनाने का अधिकार सिर्फ राजा को होता था। जिसके बाद छत्रपति साहू महाराज ने पेशवाओं को पात्र लिखकर "किले का निर्माण पत्थरों से करने" के बारे में आपत्ति जताई। और पत्थरों के बजाय ईंट से निर्माण करने को कहा। 

उस वक़्त तक किले का आधार निर्मित हो चुका था। साहू महाराज आदेश मान कर पेशवाओं ने Shaniwar Wada ईंट से बनाना शुरू किया। इस प्रकार Shaniwar Wada पत्थरों और ईंटों दोनों से बनकर तैयार हो गया। 

Shaniwar Wada kila  बनाने में टीक की लकड़ी-जुन्नार के जंगलों (Junnar Forest) से ,चुना-जेजुरी खदानों(Jejuri Mines) और पत्थर-चिंचवाड़ की खदानों (Chichwad Mines) से मंगाया गया था। 

Shaniwar Wada Pune के निर्माण में तक़रीबन 1,61,100 रूपए का खर्चा हुआ था। Shaniwar Wada बनने के बाद पेशवाओं ने खुश होकर राजस्थान के कारीगरों/ठेकेदारों को "नाईक" की उपाधि से नवाजा था। 22 जनवरी 1732, शनिवार के दिन ही Shaniwar Wada Pune (शनिवार वाडा किला) का उद्द्घाटन किया गया। 

Shaniwar Wada करीब 3-4 बार आग में झुलसा और Shaniwar Wada Pune किले के कई मुख्य भाग राख हो गए। अंग्रेजों ने भी Shaniwar Wada Fort पर हमला किया था जिसमे कई मंजिले धवस्त हो गयी थी। 

शनिवार वाडा किले की सरचना | Shaniwar Wada Horror Story

Shaniwar Wada बनाते समय किले में 5 दरवाजों का निर्माण किया गया था। जिनको अलग-अलग नाम दिया गया था। 

दिल्ली दरवाजा | Dilli Darwaza or Delhi Gate

दिल्ली दरवाजा Shaniwar Wada का मुख्य दरवाजा है। जो दिल्ली की तरफ खुलता है। जिसके कारण इसे दिल्ली दरवाजा कहते है। शनिवार वाडा में उत्तर दिशा में खुलने वाला दिल्ली दरवाजा बनाने के पीछे पेशवा बाजीराव की मुग़ल साम्रज्य को खत्म करने की महत्वकांक्षा थी। 

दिल्ली दरवाजा अधिक चौड़ा और ऊंचाई पर बनाया गया था। पालकी सहित हाथियों को दिल्ली दरवाजे से आसानी से निकाला जा सकता था। दिल्ली दरवाजे में 72 नुकीली किले लगायी गयी थी जो दुश्मन से दरवाजे की रक्षा करने के उद्देश्य से लगायी गयी थी। 

दरवाजे के दाहिने तरफ सैनिको के प्रवेश के लिए छोटा सा द्वार बनाया गया था। कोई भी सेना जल्दबाजी में इस द्वार से प्रवेश नहीं कर सकती थी। हमले की दृष्टि से Shaniwar Wada kila का दिल्ली दरवाजा सुरक्षित था। 

Mastani Mahal | मस्तानी महल

Mastani Mahal दरवाजा भी उत्तर दिशा की ओर खुलता था। पेशवा बाजीराव का प्रेम जो पेशवा बाजीराव की दूसरी पत्नी मस्तानी, Mastani Mahal में आने-जाने के लिए इसी दरवाजे का इस्तेमाल करती थी। इसी कारण इसको "मस्तानी दरवाजा" कहा जाता है। 

खिड़की दरवाजा | Window Gate

पूर्व दिशा की ओर खुलने वाले इस दरवाजे में खिड़कियां बनी हुयी थी।  जिसके कारण इसको खिड़की दरवाजा कहा गया। 

गणेश दरवाजा | Ganesh Gate

Shaniwar Wada किले के परिसर में गणेश मंदिर बना हुआ है। जिसके कारण दक्षिण-पूर्व दिशा में खुलने वाले इस दरवाजे का नाम गणेश दरवाजा पड़ा। इसी द्वार से महिलाएं क़स्बा गणपति मंदिर में दर्शन के जाती थी। 

जम्भूल दरवाजा

दक्षिण दिशा की तरफ खुलने वालरे जम्भूल दरवाजा दासियों के आने जाने के लिए था। जम्भूल दरवाजे को पेशवा नारायणराव की मृत्यु के बाद नारायणराव दरवाजा कहा गया। पेशवा नारायणराव के मृत शरीर को इसी दरवाजे से निकला गया था। 

शनिवार वाडा किले में समय-समय पर अन्य निर्माण भी किया गया। जिसमे जलाशय, लोटस फाउंटेन भी बनवाया गया। 

Shaniwar Wada Kila सात मंजिल तक बना हुआ था। जिसकी सबसे अंतिम मंजिल पर पेशवा रहते थे। जिसको मेघादंबरी (Meghadambari) कहते थे। कहते है की मेघादंबरी से देखने पर लगभग 17 किलोमीटर दूर आनंदी में स्थित ज्ञानेश्वर मंदिर का शिखर दिखाई देता है। 1828 में लगी आग में मेघादंबरी ईमारत भी नहीं बच पायी। 

किले की अन्य इमारतों में थोरल्या रायांचा दीवानखाना (Thorlya Rayancha Deewankhana), नाचचा दीवानखाना (Naachachaa Deewankhana) और जूना अरसा महल (Old Mirror Hall) भी 1828 में लगी आग में राख हो गयी थी। 

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लोटस फाउंटेन | Lotus Fountain

Shaniwar Wada का मुख्या आकर्षण यहाँ बना हुआ लोट्स फाउंटेन है जिसे हज़ारी कारंजे भी कहा जाता है। Lotus Fountain में कमल के आकर की 16 पंखुड़ियां है। जो कलात्मकता का एक अनूठी कृति है। यहाँ पर 100 नृत्यक एक साथ नृत्य करते थे। 

यहाँ पर ही कोने में गणेश जी की प्रतिमा बनी हुयी है। Lotus Fountain के साथ ही Shaniwar Wada में फूलों का एक बेहद सुन्दर बगीचा भी बना हुआ है। 

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शनिवार वाडा की कहानी | Shaniwar Wada Horror Story

सन 1600 मराठाओं का उदयकाल माना जाता है। उस समय शनिवार वाडा भारतीय राजनीति का मुख्य केंद्र हुआ करता था। लेकिन महल में लगी आगा के कारण यह राख हो गया। आज यह अवशेष के रूप में बचा हुआ है। 

पेशवा बाजीराव के बाद Shaniwar Wada में राजनीति का उथल पुथल का दौर शुरू हो गया था। सत्ता के लालच में मराठाओं के 5 वे पेशवा नारायणदास जिनकी उम्र महज 16 साल थी, की निर्दयता से ह्त्या की गयी थी। 

कहते है की 16 साल के पेशवा नारायणदास की आत्मा Shaniwar Wada में भटकती है। अंतिम घडी में ली गयी साँसे आज भी शनिवार वाडा किले में गूंजती है। लोग कहते है की अमावस की रात को दर्द भरी आवाज में बचाओ-बचाओ की आवाज आती है। 

कहते है की आज भी नारायणराव अपने चाचा राघोबा को बुलाते है - काका माला बचावा। नारणराव की हत्या किसने और क्योंकी इसकी एक दर्दनाक निर्दयता भरी कहानी है। 

शनिवारवाडा की भूतिया कहानी | Shaniwar Wada Haunted Story In Hindi

पेशवा बाजीराव प्रथम के दो बेटे थे। बालाजी बाजीराव, जिनका दूसरा नाम नाना साहेब भी था। रघुनाथराव। बाजीराव प्रथम के बाद नाना साहेब को पेशवा बनाया गया। 

नाना साहेब के तीन बेटे थे। 

  1. विशवराव 
  2. महादेवराव 
  3. नारायणराव 

पानीपत का तीसरा युद्ध में नाना साहेब के प्रथम बेटे विशवराव की मृत्यु हो गयी थी। जिसके बाद दूसरे पुत्र महादेवराव को गद्दी पर बैठाया गया। परन्तु 27 वर्ष की उम्र में उनकी भी मृत्यु हो गयी।

जिसके बाद नाना साहेब के तीसरे बेटे नारायणराव को 16 साल की उम्र में पेशवा बनाया गया। 16 साल के नारायणराव को पेशवा बनते देख, उनके काका रघुनाथराव और काकी आनंदी बाई को अच्छा नहीं लगा। काका रघुनाथराव खुद पेशवा बनना चाहते थे। 

रघुनाथराव, महादेवराव की हत्या करने का प्रयास कर चुके थे। जिसके बारे में नारायणराव जानते थे। इस कारण नारायणराव अपने काका को पसंद नहीं करते थे। हमेशा अपने काका को शक की दृष्टि से देखते थे। 

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जब नारायणराव और उनके काका से सम्बन्ध बिगड़ गए तो पेशवा नारायणराव नेकाका को उनके घर में नजरबन्द कर दिया। जिससे उनकी काकी आनंदी बाई बहुत गुस्सा हो गयी। नजरबन्द होने के बाद रघुनाथराव ने शिकारी कबीलाई गर्दी के मुखिया - सुमेंद्र सिंह गर्दी को पात्र लिखा।

जिसमे लिखा था -'नारायण राव ला धारा' जिसका अर्थ था - नारायण राव को मारो। पत्र मिलते ही कबीलाई मुखिया ने शनिवार वाडा किले पर हमला कर दिया। कबीलाई सारी बाधाओं को हटाते हुए नारायणराव के कक्ष तक पहुँच गए। 

जिनको देखकर नारायणराव अपने काका के कक्ष की तरफ चिल्लाते हुए भागे और बोले - "काका माला वाचवा" जिसका अर्थ है - चाचा मुझे बचाओ। लेकिन कक्ष तक पहुंचने से पहले ही गार्दीयोँ ने उसकी हत्या कर दी। 

इतिहासकार इस घटना में मतभेद मानते है। कुछ इतिहासकार बताते है की नारायणराव अपने चाचा के सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना करते रहते की - चाचा मुझे बचा लो। लेकिन उसने कुछ नहीं किया। कबीलाई गार्दीयोँ ने नारायणराव की हत्या कर शरीर के छोटे-छोटे टुकड़े करके नदी में बहा दिए। 

कहा जाता है की नारायणराव की आत्मा आज भी शनिवार वाडा किले में भटकती है। और नारायणराव द्वारा कहे गए अंतिम शब्द - काका माला वाचवा। आज भी गूंजते है। 

17 फरवरी 1823 को शनिवार वाडा किले में आग लगी, जिसमे किले का अधिकांश हिस्सा जल गया। आग को 7 दिन में भी काबू नहीं किया गया। और आज शनिवार वाडा किला अवशेष पाए जाते है।  

शनिवार वाडा प्रवेश शुल्क | Shaniwar Wada Timings

Shaniwar Wada Timings प्रातः 07:00 से शाम 06:30 बजे तक खुला रहता है। इस समय पर्यटक शनिवार वाडा किला घूम सकते है। 

शनिवार वाडा किला प्रवेश शुल्क | Shaniwar Wada Entry Fee

शनिवार वाडा किले में प्रवेश शुल्क भारतीय और विदेशियों के लिए अलग अलग है। 

  • भारतीय नागरिक - 5 रूपए 
  • विदेशी नागरिक - 125 रूपए 

शनिवार वाडा किला लाइट एंड साउंड शो | Shaniwar Wada Light and Soind Show

Shaniwar Wada में रोजाना शाम के समय light and sound show का आयोजन किया जाता है। तक़रीबन 1.25 करोड़ की लागत से इस show की व्यवस्था की गयी है। ताकि लोग मराठाओं का इतिहास जान सके। 

यहाँ light and sound show अलग-अलग भाषा में आयोजित किया जाता है। 

  • English में :-  07:25 - 08:10 pm
  • मराठी में :-  0815 - 09:10 pm

शनिवार वाडा किले में चलने वाले light and sound show की टिकट शाम 06:30 - 08:30 तक खरीदी जा सकती है। इन टिकट को आप शनिवार वाडा जाकर ही खरीद पाएंगे।  इनकी online या advance बुकिंग नहीं होती है। 

शनिवार वाडा पर्यटकों के लिए टिप्स | Tips for Visitors at Shaniwar Wada

  • शनिवार वाडा किला काफी दूर में फैला हुआ है। जिसके लिए आपको बहुत चलना पड़ेगा। इसलिए आरामदायक जूते चप्पल पहने। 
  • अप्रैल से जुलाई शनिवार वाडा घूमने के लिए सबसे सही समय है। 
  • शनिवार वाडा किले के भीतर खाने-पिने की कोई व्यवस्था नहीं है। इसलिए अपने खाने-पिने की व्यवस्था पहले ही कर ले। 
  • शनिवार वाडा किले में गंदगी फैलाने पर सख्त पाबंदी है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। इसलिए किले के परिसर में गंदगी न फैलाये। 

शनिवार वाडा किला कैसे पहुंचे | Shaniwar Wada Kahan Hai

शनिवार वाडा किला महाराष्ट्र में है। जहा भारत के किसी भी हिस्से से आना संभव है। महाराष्ट्र आने के लिए सड़क मार्ग, वायु मार्ग, रेल मार्ग किसी का भी उपयोग कर सकते है।

महाराष्ट्र पहुंचने के बाद ट्रांसपोर्ट बस, ऑटो या कैब के द्वारा आप शनिवार वाडा किला घूमने जा सकते है। 

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