कैलाश पर्वत का रहस्य | Kailash Parvat Rahasya

तिब्बत में स्थित रहस्यमयी कैलाश पर्वत के बारे में सब जानते है। एकबार मिलारेपा नामक बौद्ध योगी ने कैलाश पर्वत के रहस्य को जानने का निश्चय किया। वे हिम्मत करके रास्ते की सभी कठिनाइयों का सामना करते हुए समुद्र तल से 22 हजार फीट की ऊंचाई पर चढ़ गए।

कैलाश-पर्वत-का-रहस्य
कैलाश पर्वत

योगी के मन में कैलाश पर्वत के रहस्य को जानने की अदभूत जिज्ञासा थी। बताते है की बौद्ध योगी मिलरेपा के कैलाश पर्वत पर चढ़ने के पश्चात मिलारेपा ने जो कुछ भी चमत्कारिक दृश्य कैलाश पर्वत पर देखा तो मिलारेपा निशब्द हो गया।

मिलारेपा कैलाश पर्वत की दिव्यता को अपने शब्दों में बयां नहीं कर पाए। कैलाश पर्वत देव स्थान है जो दिव्यता और भव्यता के दुर्लभ रहस्यों से भरा है। इसलिए कैलाश पर्वत के वर्णन को शब्दों में बयां कर पाना संभव नहीं है। क्योंकि कैलाश पर्वत में देवों के देव महादेव स्वयं निवास करते है।

इसलिए कैलाश पर्वत की दिव्यता की व्याख्या कर पाना कोई सरल कार्य नही है। 

आज हम आपको कैलाश पर्वत के 10 रहस्यों के बारे में आपको बताएंगे।आज तक जिस किसी ने भी कैलाश पर्वत के रहस्यों के बारे में जाना है वे आश्चर्यचकित रह गए है।

भगवान शिव के कैलाश पर्वत में बसने का रहस्य

जब कभी भी कैलाश पर्वत की चर्चा होती है तो हर शख्स कहता है की कैलाश पर्वत में महादेव शिव विराजमान है। तो आइए जानते है को लोग ऐसा क्यों कहते है? इस बात का सच क्या है।

इस बात की पुष्टि करने के लिए हमने शिव पुराण,स्कंद पुराण और मत्स्य पुराण आदि ग्रंथों पर नजर डाली तो हमे आश्चर्य हुआ क्योंकि इन सभी ग्रंथो में कैलाश पर्वत के बारे में अलग से दिया गया है। जहा कैलाश पर्वत की संपूर्ण महिमा बताई गई है।

इन ग्रंथों में स्पष्ट रूप से बताया गया है की कैलाश पर्वत पर देवाधिदेव महादेव का निवास स्थान रहा है। अब मन में ये प्रश्न उठता है कि भगवान शिव ने कैलाश पर्वत को ही अपना निवास क्यों चुना ? इस बात के पीछे आखिर रहस्य क्या है?

साधु संत बताते है की कैलाश पर्वत को धरती के केंद्र में होने के कारण ही भगवान शिव ने इसे अपना निवास स्थान बनाया ताकि इस जगह से महादेव समग्र संसार को संचालित कर सके।

कैलाश पर्वत की बनावट का रहस्य

आप कैलाश पर्वत को देखेंगे तो पाएंगे कि कैलाश पर्वत अन्य पर्वत की तुलना में बिल्कुल अलग है। कैलाश पर्वत पिरामिड नुमा दिखाई देता है। जैसे कि किसी दिव्य शक्ति ने कैलाश पर्वत को अपने हाथों से बनाकर यहां रख दिया है, क्योंकि कैलाश पर्वत जैसे दिव्यता अन्य पर्वतों में नहीं मिलती। 

साधु संत बताते हैं कि कैलाश पर्वत की रचना स्वयं आदिशक्ति माता पार्वती ने अपनी तपस्या से की थी। इसलिए कैलाश पर्वत पर आकर एक नए जीवन की अद्भुत अनुभूति होती है। क्योंकि कैलाश पर्वत पर मनुष्य की सांसे यह की दिव्य शक्ति से संचालित होने लगती हैं।

कैलाश पर्वत पर ना पहुंच पाने का रहस्य 

भौगोलिक विशेषज्ञों के अनुसार कैलाश पर्वत का स्थान बदलता रहता है। जिस वजह से कैलाश पर्वत पर पहुंच पाना असंभव हो जाता है। कुछ जानकार बताते हैं कि कैलाश पर्वत अपने स्थान पर घूमता रहता है। जिसकी वजह से यहां पर आने वाले व्यक्तियों को दिशा भ्रम हो जाता है। और वह कैलाश पर्वत पर चढ़ते समय यह भूल जाता है कि वह सही रास्ते पर जा रहा है या गलत रास्ते पर।

पर्वत पर पहुंचने के लिए चढ़ाई करने वाले लोग बताते हैं कि कैलाश पर्वत अपने ही स्थान पर कभी आगे कभी पीछे कभी दाएं कभी बाएं कभी आगे कभी पीछे कि सकता हुआ दिखाई देता है जिस कृष्ण के कारण पर्वतारोही वहां पहुंचने का साहस नहीं कर पाते। कुछ लोग यह भी कहते हैं कि कैलाश पर्वत पर स्थित अदृश्य शक्तियां कैलाश पर्वत के रहस्य को उजागर नहीं होने देती। इसलिए कैलाश पर्वत चढ़कर विजय कर पाना असंभव हो जाता है।

 इसे भी पढ़े  :- 

कैलाश पर्वत के आसपास उम्र के तेजी से बढ़ने का रहस्य 

एक अंग्रेज व्यक्ति जिसका नाम लॉरेंस डिसूजा था। उसने एक बार कैलाश पर्वत को चढ़ने का निश्चय किया। उसके बाद लॉरेंस डिसूजा ने कैलाश पर्वत पर चढ़ाई शुरू कर दी।लेकिन अभी वह आधे रास्ते से वापस लौट आया।जब उस व्यक्ति ने कैलाश पर्वत चढ़ाई की यात्रा का वृतांत लोगों को बताया तो लोग उसकी बात को सुनकर सभी आश्चर्यचकित रह गए। 

डिसूजा ने बताया कि जब मैंने यात्रा शुरू की थी तो शुरू में सब कुछ सामान्य था। लेकिन जैसे-जैसे मैं कैलाश पर्वत पर चढ़ाई करता जा रहा था, वैसे-वैसे अचंभित करने वाली घटनाएं मेरे साथ घटित होने लगी थी। जिससे मैं आश्चर्यचकित हो गया था। अंग्रेज व्यक्ति ने यह भी बताया कि जब मैं इससे कैलाश पर्वत चढ़ने की यात्रा पर निकला था तो मेरी उम्र केवल 30 वर्ष की थी इस कारण मेरे सर के बाल पूरी तरह काले थे। 

लेकिन जैसे जैसे मैं कैलाश पर्वत चढ़ता गया वैसे वैसे मेरे बाल सफेद होते गए चेहरे और हाथों पर झुरिया नजर आने लगी और साथ में मैंने अपनी शारीरिक क्षमता को भी कम महसूस किया। अब मैं जवान से बूढ़ा होने लग गया था और जब मैंने अचानक से मेरी शारीरिक मेरे शरीर में इन परिवर्तनों को देखा तो मैं घबरा गया और कैलाश पर्वत चढ़ने का अपना फैसला बदल दिया  वैज्ञानिक कैलाश पर्वत की जलवायु को पर्वतारोहियों के अनुकूल नहीं मानते। इसलिए वैज्ञानिक कोई भी कैलाश पर्वत नहीं चढ़ पाता।

चीनी पर्वत होंग चो और ल्हा चोओ का रहस्य

देवों के देव महादेव का निवास स्थान कैलाश पर्वत दो अन्य चो और ल्हा चोओ चीनी पर्वतों के मध्य में स्थित है। यह दोनों पर्वत भी कैलाश के रहस्य में वातावरण से प्रभावित है। इन दोनों पर्वतों से भी रहस्यमई आवाजें सुनी गई है। इन आवाजों को सुनकर ऐसा लगता है कि मानो इन पर्वतों पर कोई अदृश्य शक्ति रहती है। कहने का तात्पर्य है कि यह दोनों पर्वत भी कैलाश पर्वत की पास होने के कारण प्रभावित है।

मोक्ष प्राप्ति का रहस्य

हिंदू ऋषि मुनि के साथ-साथ तिब्बत के धर्मगुरु भी ऐसा मानते है कि कैलाश मानसरोवर की 3 अथवा 13 परिक्रमा की जाए तो उस व्यक्ति को रोग, शोक और भय से मुक्ति मिल जाती है, और उसके पापों का नाश हो जाता है। साथ ही ऐसा भी माना जाता है कि कैलाश मानसरोवर की 108 बार परिक्रमा करने से मनुष्य शारीरिक बंधनों से मुक्त हो जाता है और मोक्ष प्राप्त कर लेता है। कैलाश मानसरोवर की परिक्रमा लगभग 40 किलोमीटर की होती है। 

कैलाश धूप का रहस्य 

कैलाश पर्वत में एक विशेष प्रकार की वनस्पति पाई जाती है। जिसे कैलाश धूप कहा जाता है। कैलाश धूप को देवों के देव महादेव के प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। लोग कैलाश धूप को संजीवनी वनस्पति मानते है। जिसको ग्रहण करने वाले व्यक्ति चिरंजीवी बन जाते है।

Friends, आशा है आपको "कैलाश पर्वत का रहस्य" में प्रदान की गई जानकारी अच्छी लगी होगी, जानकारी पसंद आने पर आप इसे Like कर ज़रूर करें. और अपने Friends को Share भी करें।

आप हमारे फेसबुक पेज Rahasyo ki Duniya को Like और Follow करें। 

ऐसी ही Indian History Related Information के लिए हमें Subscribe का लें

 इसे भी पढ़े  :- 

    एक टिप्पणी भेजें

    और नया पुराने

    संपर्क फ़ॉर्म