भूत ने रेलवे स्टेशन को बंद कर दिया | Begunkodor Railway Station Haunted Story In Hindi

लोग इस रेलवे स्टेशन को भूतिया रेलवे स्टेशन कहते है। आप सबने भूतिया कहानिया तो बहुत सुनी होगी। यदि आप हकीकत में किसी भूतिया जगह पर जाये तो आप किस हाल में होंगे? भारत का सबसे हॉन्टेड प्लेस (most haunted place in india) के बारे में जानने वाले है। 

रेलवे स्टेशन को तकनिकी खराबी के कारण बंद किया जा सकता है। लेकिन एक ऐसा रेलवे स्टेशन जिसको शुरू हुए 6-7 साल ही हुए हो और किसी भूत की वजह से रेलवे स्टेशन को बंद कर दिया जाये। आपको यह मजाक लग रहा होगा, लेकिन ये पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन की सच्चाई है। 

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Begunkodor Railway Station at Night

असाधारण गतिविधियों का नाम आते ही हमारे दिमाग में भूतिया तस्वीर, भूत की स्टोरीभूतिया किले(भानगढ़ का किला, भूतिया गाँव) का दृश्य उभर जाता है। लेकिन बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन को भूतिया रेलवे स्टेशन कहते है। 

बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन | Begun Kodar Railway Station

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से 260 किलोमीटर दूर पुरुलिया जिले के बेगुनकोडोर में भूतिया रेलवे स्टेशन स्थित है। इस रेलवे स्टेशन का नाम बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन(Begunkodar Railway Station) है। बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन की शुरुआत 1960 के दशक में हुयी। बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन को  खुलवाने में संथाल की रानी की अहम भूमिका रही। 

जिसके बाद यहां के लोगो को शहर जाने के लिए, ट्रैन पकड़ने के लिए 50-60 किलोमीटर दूर सफर करके नहीं जाना पड़ता था। बल्कि वो लोग बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन(Begunkodar Railway Station) से ही ट्रैन पकड़ कर शहर जाने लग गए थे। इसके साथ ही यहाँ के लोगो की मुसीबत भी ख़त्म हो गयी थी। 6-7 सालों तक बिना किसी परेशानी के रेलवे स्टेशन चालू रहा लेकिन 1967 के समय यहाँ अजीबो गरीब गतिविधियां होने लग गयी। 

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जिसके बाद अचानक बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन को बंद कर दिया गया। रेलवे कर्मचारियों ने स्टेशन को बंद करने का कारण किसी तकनिकी समस्या या किसी व्यक्ति को नहीं बताया बल्कि एक भूत को बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन के बंद करने का कारण बताया गया। 

बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन स्टोरी इन हिन्दी | Begunkodar Railway Station Haunted Story In Hindi

वर्ष 1967 की बात है बेगुनकोडोर रेलव स्टेशन ( Begunkodar Railway Station ) पर एक रेलवे कर्मचारी ने सफ़ेद साड़ी पहने एक महिला के भूत को देखा। कर्मचारी ने जब यह बात अन्य लोगों को बताई तो किसी ने भी उसकी बात पर विश्वास नहीं किया। भूतिया कहानी

लेकिन उस समय सब दर गए जब रेलवे कर्मचारी का मृत शरीर रेलवे क्वार्टर में मिला। रेलवे कर्मचारी की मौत और बेगुनकोडोर रेलव स्टेशन पर भूत के होने की बात तेजी से फैलने लगी। लोगों ने रेलवे कर्मचारी की मौत का कारण उसी भूत को बताया। 

कई लोगों ने Begunkodar Railway Station पर भूत को देखा था। भूत चलती ट्रैन के साथ-साथ नजदीक की पटरियों पर भागता था। और दौड़ते दौड़ते ट्रैन से भी आगे निकल जाया करती थी। जब भी ट्रैन बेगुनकोडोर रेलव स्टेशन से गुजरने वाली होती तो ट्रैन ड्राइवर ट्रैन की रफ़्तार बढ़ा देता। 

बेगुनकोडोर रेलव स्टेशन पर भूत का खौफ धीरे धीरे बढ़ने लगा। कोई भी व्यक्ति सूरज ढलने के बाद बेगुनकोडोर रेलव स्टेशन पर नहीं उतरता था और न ही रात्रि के समय ट्रैन बेगुनकोडोर रेलव स्टेशन पर रूकती थी।

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Begunkodar Railway Station 42 सालों तक बंद रहा ?

बेगुनकोडोर रेलव स्टेशन पर भूत का खौफ इस कदर बढ़ गया था की लोग 56-60 किलोमीटर दूर जाकर शहर के लिए ट्रैन पकड़ने लग गए थे। और यहां के अन्य कर्मचारी भी विभाग में अपना ट्रांसफर करने की अर्जी देने लग गए। कोई भी कर्मचारी बेगुनकोडोर रेलव स्टेशन पर काम करने को तैयार नहीं था। जो भी नए कर्मचारी यहाँ आते वो भी जल्दी ही वापस लौट जाते। कर्मचारियों के बिना किसी भी रेलव स्टेशन को चलाना असंभव है। अंत में विभाग ने बेगुनकोडोर रेलव स्टेशन को बंद कर दिया। begum kodar railway station

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Begunkodor Railway Station Images

बेगुनकोडोर रेलव स्टेशन को बंद करने का जो कारण कर्मचारियों ने फाइल में लिखा वो थे - बेगुनकोडोर रेलव स्टेशन भूतिया रेलवे स्टेशन है। west bengal begunkodor railway station

जिसके बाद लगभग 42 सालों तक बेगुनकोडोर रेलव स्टेशन बंद पड़ा रहा। यहाँ कोई भी नहीं आता था। बेगुनकोडोर रेलव स्टेशन रात के समय एक खौफनाक भूतिया रेलव स्टेशन बन जाता था।  जहाँ सिर्फ शांत और खौफनाक हवाएं चलती थी जो किसी को भी डरने के लिए पर्याप्त थी। 

बेगुनकोडोर रेलव स्टेशन के नजदीक आते ही लोग ट्रैन की खिड़किया दरवाजे बंद कर लेते थे। ट्रैन का ड्राइवर ट्रैन  की रफ़्तार दुगुनी कर देता था। लोग बेगुनकोडोर रेलव स्टेशन के गुजर जाने के बाद राहत की सांस लेते थे। 

Begunkodor Railway Station को दुबारा शुरू किया

42 सालों 2009 में गाँव वालो के कहने पर तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी ने बेगुनकोडोर रेलव स्टेशन को दुबारा से हरी झंडी दिखा दी। लेकिन आज भी सूरज ढलने के बाद आपको बेगुनकोडोर रेलव स्टेशन पर कोई भी व्यक्ति नहीं दिखेगा।

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