भूतिया रेलवे स्टेशन की कहानी | Horror Story In Hindi

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हमने आपके लिए हिंदी में असली भूतों की कहानियां Real Ghost Stories in Hindi एकत्रित  की हैं। भूतों की इन कहानियों को हिंदी में पढ़ने के बाद आपको भी भूतों से डर लगने लग सकता है।

यह Ghost Stories in Hindi आसान भाषा में लिखी गयी है ताकि आपको पढ़ने में कोई परेशानी ना हो। सरल भाषा का अर्थ है सरल शब्दों का प्रयोग किया गया है। तो आपको पढ़ने और समझने में आसानी होगी।

तो बिना देरी के शुरू करते है भूतिया रेलवे स्टेशन की कहानी (Horror Story In Hindi)भूतिया कहानियां (Bhutiya Kahani)

भूतिया रेलवे स्टेशन की कहानी | Horror Story In Hindi

भूतिया रेलवे स्टेशन की कहानी | Horror Story In Hindi
भूतिया रेलवे स्टेशन की कहानी | Horror Story In Hindi

भूतिया रेलवे स्टेशन की कहानी - वैशाली की दादी को शुगर है, डॉक्टर ने उन्हें सुबह-शाम टहलने की सलाह दी थी, इसलिए वैशाली अपनी दादी को रोज रेलवे स्टेशन घुमाने ले जाती थी। वैसे तो हरिपुर गांव का रेलवे स्टेशन खाली हुआ करता था, लेकिन एक दिन वैशाली और उसकी दादी ने रेलवे स्टेशन पर काफी चहल-पहल देखी और तभी स्टेशन पर खड़ी कुछ महिलाओं ने दोनों को बुला लिया।

दादी मां - देखो वो औरतें हमें बुला रही हैं, उनसे कुछ बात कर लेते हैं, थोड़ा टाइम बीत जाएगा।

इधर वैशाली के माता-पिता (दीनदयाल) दोनों का इंतजार कर रहे थे।

दीनदयाल-माँ और वैशाली कहाँ रह गए?

मां - मुझे चिंता हो रही है, तुम देखने जाओ।

दीनदयाल वैशाली और उसकी मां को देखने जाता है, तभी वह दोनों को रेलवे ट्रैक पर सिर पर चोट के निशान के साथ लेटा हुआ देखता है। सपना अपने पति रमेश के साथ आज पहली बार अपने भाई (दीनदयाल) के नए घर हरिपुर जा रहे थे।

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सपना- जल्दी चलो, एक ही ट्रेन हरिपुर जाती है और वह भी छूट गई तो हम वहां नहीं पहुंच पाएंगे।

रमेश- हाँ, अभी तैयार हुआ, खाना खा लेता हूँ फिर चलते हैं।

ट्रेन सपना और रमेश को हरिपुर स्टेशन पर रात के 11 बजे छोड़ती है तभी डरावने चेहरे वाला एक अजीब सा बूढ़ा उसके पास चाय लेकर आता है और चाय मांगता है, सपना चाय के लिए मना कर देती है और दोनों कुछ आगे बढ़ जाते हैं।

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अब एक महिला उनके पास आती है। महिला के चेहरे पर चोट के निशान हैं और पैर उल्टे थे। सपना और रमेश उसे देखते ही तेजी से दौड़ने लगते हैं। सपना और रमेश स्टेशन के बाहर जाते हैं। सपना का भाई दीनदयाल वहां दोनों का इंतजार कर रहा है। जब दीनदयाल उन दोनों को लेकर घर आता है तो सपना और रमेश देखते हैं कि दीनदयाल की बेटी और मां खाट पर लेटे हैं, उनके शरीर और सिर पर कई जगह पट्टी बंधी है।

दीनदयाल- क्या बताऊं दीदी, जब से हम इस गांव में आए हैं, हमारे घर में कुछ अच्छा नहीं हो रहा है. हमने सोचा कि हमारे दादा और परदादा यहां रहे हैं तो हमें भी शहर से वापस आकर यहीं रहना चाहिए। एक हफ्ते पहले दोनों स्टेशन पर घूमने गए थे, मैंने देखा कि दोनों पटरियों पर पड़े थे, थोड़ी देर बाद पहुँचते तो उनका सारा खून बह जाता, ऐसा लगता है जैसे कुछ लोगों ने उन्हें फेंक दिया, मुझे समझ नहीं आ रहा है। हमारा दुश्मन कौन हो सकता है?

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सपना - उस स्टेशन पर हमारे साथ भी कुछ अजीब घटना घटी थी। हम जो भी मिले कह रहे थे इंग्लिश सर, इंग्लिश सर।

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रमेश- क्यों न हम गांव के किसी बड़े बुजुर्ग के पास जाकर उस स्टेशन के बारे में पूछताछ करें।

रमेश, सपना और दीनदयाल तीनों गांवों के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति चुन्नी लाल काका के पास जाते हैं।

चुन्नी लाल - यह घटना इतिहास में दर्ज नहीं है, मेरे जैसे कुछ ही लोग जानते हैं, दीनदयाल, आपके दादा ठाकुर भीम सिंह अंग्रेजों के बंगलों पर काम करते थे, स्वतंत्रता संग्राम चल रहा था। 1940 में जब गांव में अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा लगा तो आपके दादाजी ने अंग्रेजों को खबर दी, वे अंग्रेजों के साथ मिल गए।

जब अंग्रेज सैनिक आए तो क्रांतिकारी स्टेशन पर छिप गए, अंग्रेजों ने स्टेशन पर खूब गोला-बारूद की बौछार की और फिर सभी क्रांतिकारी मारे गए, तब से उनकी आत्माएं स्टेशन पर भटक रही हैं। दीनदयाल ने गांव के लोगों को बुलाया और घोषणा की।

दीनदयाल – मैं गांव में एक संग्रहालय बनाने के लिए अपनी जमीन दान करता हूं, इस संग्रहालय में उन सभी क्रांतिकारियों के स्मारक होंगे जो 1940 में इस स्टेशन पर मारे गए थे।

दीनदयाल गांव में संग्रहालय बनवाते हैं और फिर स्टेशन पर शांति यज्ञ करवाते हैं और फिर उसके बाद हरिपुर स्टेशन पर डरावनी घटनाएं होना बंद हो जाती हैं।

ध्यान दें : यह सब कहानी काल्पनिक है। इन कहानी से किसी भी व्यक्ति और स्थान से कोई सबंध नहीं है।

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