आप सभी ने भूतों की कहानियां, भूतिया कहानियां तो बहुत सुनी होगी। आज की भूतिया कहानी सच्चाई से जुडी हुयी है। भूतों की कहानी जो नाशिक की भूतों वाली हवेली की कहानी है।
नाशिक की भूतिया हवेली को कई सौ वर्षों पहले राजा महाराजाओं ने बनवायी थी। लेकिन पिछले कई सालों से इनमे कोई नहीं रहता। नाशिक की भूतिया हवेली कई वर्षों से वीरान और सुनसान पड़ी हुयी है। लोग इसको भूतो की हवेली भी कहते है।
क्या है भूतों की हवेली की कहानी ? Ghost Stories In Hindi, Bhutiya Kahani
स्थानीय लोग कहते है की भूतो की हवेली में आज भी भूत प्रेत रहते है। कोई भी इस हवेली में नहीं जाता।
भूतिया हवेली की कहानी | भूतिया कहानियां
आत्माओं का अध्ययन करने वाले दिल्ली के वैज्ञानिक वैभव प्रजापति को जब नाशिक की भूतिया हवेली के बारे पता चला। तो उन्होंने इस भूतों की हवेली के बारे अध्ययन करने का निर्णय लिया। क्योकि वो पिछले कई समय से Most Haunted Places (भूतिया जगह) की तलाश में थे। ताकि वो भूतिया आत्माओं पर अध्ययन कर सके।
वैभव भूतिया हवेली में रहने की तैयारी करने लगे। वो जानना चाहते थे की क्या सच में भूत होते है। भूतो की कहानी क्या है। हवेली का रहस्य क्या है। इसके बाद वैभव दिल्ली से नाशिक पंहुचा। और अंत में टैक्सी लेकर नाशिक की हवेली पहुंच चूका था। जिसके बारे कई भूतिया कहानिया कही जाती थी। जिसको लोग भूतों की हवेली कहते है।
वैभव ने भूतिया हवेली के नजदीक होटल में रूम ले लिया। शाम होते ही वैभव आवश्यक सामान लेकर हवेली के बाहर जा पंहुचा। वैभव चुपचाप छुपते हुए हवेली का मुख्य दरवाजा खोलने लगे तो पता नहीं कहा से एक आदमी आ गया।
अनजान आदमी ने पूछा – आप कौन है ? इस वक़्त इस हवेली में कोई नहीं जाता।
वैभव उस आदमी को देखा और सामान्य होते हुए उस आदमी से पूछा - हेलो ! आप कौन है ?
अनजान आदमी बोला – मैं हरिलाल | यहां पास ही में मेरा घर है। मैं यहाँ से जा रहा था। तभी आपको देखा और यहाँ आ गया। क्योकि बाहरी लोग ही यहां आते है जिनको इस भूतिया हवेली की कहानी के बारे में नहीं पता होता।
जो भी व्यक्ति इस भूतिया हवेली की कहानी के बारे में जानता है। वो शाम और रात के समय इस हवेली के भीतर जाना तो दूर, इसके आस-पास भी नहीं आते है।
वैभव – हां, मैंने सुना तो है की नाशिक की ये हवेली भूतिया है। यहाँ कोई नहीं रहता। इसलिए मैं यहाँ आया हु। ताकि इस हवेली में रुक कर, इसकी हक़ीक़त लोगों को बता सकू।
हरीलाल – क्या मतलब है आपका? आप सब जानते हुए भी इस भूत बंगला मतलब इस हवेली में रुकना चाहते है ?
वैभव – जी हाँ। आपने सही सुना। मैं रात में यहाँ रुकने वाला हु।
हरिलाल – आप मेरी बात मानो और अभी यहां से वापस लौट जाओ। इस भूतिया हवेली में जाने वाला कोई भी वापस लौटकर नहीं आता है। और आपको तो इस हवेली की कहानी के बारे में भी पता है।
हरिलाल की पूरी बात सुनकर वैभव बहुत खुश हो गया क्योंकि उसको आत्माओं का अध्ययन करने के लिए ऐसे ही मौके की तलाश थी। और वह मौका आज उसको मिल गया था।
वैभव को खुश देखकर, हरिलाल आश्चर्यचकित होते हुए पूछते है - इस भूतिया हवेली के बारे में सब पता होने के बावजूद भी तुम इतना खुश हो रहे हो, क्यों?
वैभव – हां क्योंकि मैं एक वैज्ञानिक हूं जो आत्माओं का अध्ययन करता है और मैं यहां पर यही जानने के लिए आया हूं कि इस भूतिया हवेली की कहानी में कितनी सच्चाई है।
इस हवेली के बारे में जो भूतिया कहानी बनाकर समाज में फैलाई गई है। मैं उसका सच आप सभी के सामने लाऊंगा । जिसके लिए आज की पूरी रात मैं इस हवेली में रहूंगा।
इसके बाद वैभव हवेली के अंदर प्रवेश कर जाता है। हरिलाल की वैभव को रोकने की सभी कोशिश नाकाम हो जाती हैं। वैभव के अंदर जाते ही, हरिलाल भी जल्दी-जल्दी अपने घर की तरफ लौट जाता है।
वैभव जैसे ही हम इनके अंदर पहुंचता है, हवेली का नजारा देखकर वैभव कि हाथ पैर ठंडे हो जाते है । क्योंकि यह हवेली सच में भूतिया थी। दीवारों पर उलूल-जुलूल भाषा में कुछ लिखा हुआ था। चारों तरफ मकड़ी के जाले और धूल जमी हुई थी।
कुछ पल के लिए तो वैभव को लगा कि यहां सच में भूत रहते है। फिर कुछ सोचते हुए अपना सामान एक जगह रखा । हवेली में इधर-उधर घूमने लगा चारों तरफ घूमने के बाद पहली मंजिल और दूसरी मंजिल पर भी चला गया। कुछ समय बाद हवेली का पूरा मुआयना करके वैभव वापस नीचे आ गया।
कुछ समय बाद वैभव हवेली की ड्राइंग रूम की तरफ गया जहां पहले से सामान बिखरा हुआ पड़ा था। वहां पर रखे गए सोफे पर जमी धूल को साफ करके वैभव बैठ गया। तभी उसकी नजर ड्रॉइंग रूम में रखी शराब की बोतलों पर गई। वहां से वैभव ने रेड वाइन की बोतल ली और उसको खोल कर 2–3 पैक पी लिए।
भूतों की हवेली | भूतिया हवेली
पीने के बाद वैभव शराब पीने के बाद वैभव अपने मोबाइल में गाने चालू करके झपकियाँ लेने लग गया। जैसे ही वैभव की झपकी लगी तो दूसरी मंजिल से फ्लावर पोट नीचे फेंका गया। जो फर्श पर गिरते ही टूट कर बिखर गया । फ्लावर पोट के गिरने की आवाज से वैभव डर गया और झट से खड़ा हुआ।
तभी ड्राइंग रूम का बल्ब चालू बंद होने लगा। इसके साथ पूरी हवेली के बल्ब एक साथ चालू बंद होने लगे। जिनको देखकर वैभव बुरी तरह डर गया और डर के मारे पसीने से पूरा भीग गया।
अचानक से सब शांत हो गया। मानो जैसे कुछ हुआ ही ना हो। वैभव खुद को संभालते हुए, कांपती आवाज में बोला – कौन.....है ......कौन है..... कौन है...... यहां
तभी एक कुर्सी वैभव की तरफ उड़ती हुई आई जिससे बचने के लिए वैभव साइड हो जाता है और कुर्सी दीवार पर लग कर टूट कर वही गिर जाती है।
ऐसा लग रहा था जैसे वैभव को किसी ने कुर्सी फेंक कर मारी हो। यह सब देख कर वैभव बहुत बुरी तरह डर गया।
कुछ सेकंड बाद ही ड्राइंग रूम गोल गोल घूमने लगा। अब वैभव कुछ भी नहीं समझ पा रहा था। बस डर के मारे चिल्लाए जा रहा था, लेकिन वैभव की आवाज को हवेली की चार दीवारी बाहर ही नहीं जाने दे रही थी।
डर के मारे वैभव बेहोश होकर वहीं गिर पड़ा। अचानक से एक फ्लावर पोट वैभव के सिर में आकर लगा। जिससे वैभव खून से लथपथ हो गया।
कुछ घंटों बाद वैभव को होश आया जैसे ही उसने घड़ी देखी तो रात के 12:00 बजे हुए थे। वैभव डर से कांपता हुआ अपना सामान वही छोड़ता हुआ, दरवाजे की तरफ भागा।
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वैभव के दरवाजे के पास पहुंचने से पहले ही दरवाजा धड़ाम से बंद हो गया। वैभव ने पूरी ताकत से दरवाजा खोलने को कोशिश की लेकिन वो नाकाम रहा।
वैभव चिल्ला रहा था – प्लीज़ मेरी मदद करो। मुझे बचाओ। लेकिन वैभव की सभी कोशिशें बेकार थी।
वैभव हिम्मत करके जोर से बोला – कौन है? सामने आओ।
तभी वैभव के सामने 6-7 फुट लंबा एक काला साया (भूत)उसके आमने खड़ा हो गया। जिसके लाल आंखे आग के समान थी, भयानक डरावना काला चेहरा जिसको देखकर कोई भी उसके सामने खड़ा होने की हिम्मत नही कर पाए।
उसके बड़े बाद घुंघराले बाल, बिना पैरो का वो काला साया, जमीन से 5 फुट ऊपर हवा में ही घूम रहा था।
जिसको देखते ही वैभव का गला सूखने लगा, पूरा शरीर पसीने से तर हो चुका था। वैभव ने पूछा – कौन हो तुम ? मुझे क्यों मारना चाहते हो? मैंने क्या नुकसान किया है तुम्हारा?
काला साया बोला(भूत) – तुमने हवेली में आकर बहुत बड़ी गलती की है। अब तुम जिंदा नहीं बचोगे। मैं सबको मार दूंगा। किसी को भी यहां नहीं रहने दूंगा।
वैभव – आखिरकार तुम क्यों सबको मारना चाहते हो? इस हवेली में ऐसा क्या है जिसके लिए तुम सभी कि जान लेना चाहते ही?
काला साया – कई साल पहले इसी हवेली की मालिक ने किसी गलती के मुझे तड़पा-तड़पा कर मार दिया था। और इसी हवेली में मुझे दफना दिया था। मेरी आत्मा हवेली में ही कैद हो गई, क्योंकि यहीं पर मेरा खून हुआ और यही मुझे दफना दिया गया।
अब मैं किसी को भी इस हवेली में नहीं रहने दूंगा। जैसे मुझे तड़पा-तड़पा कर मारा गया था वैसे ही मैं सभी को तड़पा तड़पा कर मार दूंगा। अब तुम भी मरने के लिए तैयार हो जाओ।
कुछ ही समय में वह भूत और भी भयानक हो गया। हवेली में चारों तरफ घूमने लगा। कभी वैभव के आगे, कभी पीछे वैभव को बुरी तरह डराने लगा।
तभी वैभव ने पुजारी जी द्वारा दिए गए अभिमंत्रित राख को जेब से निकाला और भूत के का पास आने का इंतजार करने लगा।
जैसे ही वह काला साया वैभव के पास आया तो तुरंत ही वैभव ने अभिमंत्रित राख भूत पर फेंक दी।
अभिमंत्रित राख के गिरते ही भूत भयानक आग में जलने लगा और जलकर भस्म हो गया। अब उसकी आत्मा हवेली को छोड़कर, अलौकिक दुनिया में जा चुकी थी।
वैभव ने राहत की सांस ली और हवेली की सभी लाइटों को जलाकर वही ड्राइंग रूम में रखे सोफे पर सो गया।
दूसरे दिन सुबह जब वैभव की आंख खुली तो 7:00 बज चुके थे। उसके बाद वैभव ने अपना सामान उठाया और हवेली से बाहर आ गया।
तभी हरिलाल गांव के कई लोगों के साथ हवेली के दरवाजे पर आता दिखाई दिया। वैभव को जिंदा देखकर सभी आश्चर्यचकित थे।
हरिलाल – तुम जिंदा कैसे हो? जो भी रात के समय इस हवेली में रुका वह कभी वापस नहीं आया।
हरिलाल आगे कुछ बोल पाता उससे पहले ही वैभव ने हरिलाल की बात काटते हुए कहां – इस हवेली में अब कोई भूत नहीं है। जो भूत यहां था वह जा चुका। अब उसकी मुक्ति हो गई है।
हरिलाल – जा चुका? मुक्ति हो गई है? क्या मतलब?
तब वैभव ने हरिलाल समेत सभी लोगों को भूतिया हवेली में बितायी रात की कहानी बताई। और कहां – अब यह हवेली पूरी तरह सुरक्षित है।
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