पीपल पेड़ की भूतिया कहानियां | Bhooton Ki Kahani

आप सभी ने बचपन में भूतिया कहानियां , भूत वाली कहानी जरूर सुनी है। हम अपने दादा-दादी नाना-नानी को कहते थे की हमे भूत वाली कहानी सुनाओ। बचपन की वो भूत वाली कहानी, भूतिया कहानियां बहुत डरावनी तो होती थी लेकिन रोमांच से भरी भी होती थी। 

भूत वाली कहानी डरावनी बहुत होती थी। भूतिया कहानियां सुनने के बाद हमे भी डर लगता था। हम सोचते थे की भूतिया कहानी, Bhutiya Kahani का भूत रात को आकर हमे उठा ले जायेगा। रात को जब भी कोई आवाज आती थी तो हम सोचते थे ये भूत की आवाज है। भूत वाली फिल्म देखने के बाद भी हमारे साथ ऐसा ही होता था। 

भूतिया कहानियां की कड़ी में आज हम आपको भूतों की कहानी में हल जोतने वाले भूत की कहानी सुनाने वाले है। कैसे एक भूत ने डर के मरे हल जाते। 

भूतिया पीपल का पेड़ | भूतिया कहानियां | Bhooton Ki Kahani

भूतिया पीपल का पेड़ | भूतिया कहानियां

रामपुरा गांव में मोहनलाल नाम का एक पहलवान रहता था। मोहनलाल के पास 50 भैसे थे। पुरे दिन बस भैसों की देखभाल करता और दूध पीता था। मोहनलाल पुरे दिन यही काम करता था। पहलवान अपने साथ 50 किलों का लोहे का डंडा रखता था। जरुरत के समय वह उसी लोहे के डंडे से लड़ाई करता था। 

कुछ दिनों से पहलवान रास्ते से आने जाने वाले लोगों से पूछता था की - मेरा विवाह किधर होगा ?

जब लोग उसका जवाब नहीं देते थे तो पहलवान उसी लोहे के डंडे से लोगों की पिटाई करता था। 

एक दिन पहलवान के पास वाले रस्ते से एक ब्राह्मण और एक नाई (हजाम) दूसरे देश में विवाह की रस्म करने जा रहे थे। उनको रास्ते में पहलवान मिल गया। पहलवान ने ब्राह्मण और नाई से भी वही सवाल पूछा - मेरा विवाह किधर होगा? 

नाई और ब्राह्मण दोनों भयभीत हो गए। उनको पता था कि अगर वह पहलवान की बात का जवाब नहीं देंगे तो वह उनकी पिटाई करेगा। इसलिए नाई ने एक युक्ति लगाई और पहलवान से कहा - दूर ताड़ का पेड़ है उधर तुम्हारा विवाह होगा। नाई की बात सुनकर पहलवान बहुत खुश हो गया। उसने अपनी 50 पैसे उनको दे दी।


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पहलवान - यह सब तुम लेते जाओ अब यह मेरे किसी काम की नहीं है। अब मैं अपने ससुराल चला खातिरदारी करवाने।

पहलवान ताड़ के वृक्ष को अपना लक्ष्य बनाकर उसके पास पहुंचे जाता है। वहां पहले से एक झोपड़ी थी, जिसके अंदर एक महिला और एक बच्चा था। पहलवान ने झोपड़ी के बाहर जाकर आवाज लगाई। महिला को समझ में नहीं आया कि यह व्यक्ति कौन है।

महिला ने सोचा कि मेरे पति के जानकार हो सकते है। इसलिए महिला ने पहलवान को मेहमान के कक्ष में बैठा दिया और बाल्टी लोटा हाथ पैर धोने के लिए दे दिया।

जब उस महिला का पति आता है, तो वह पहलवान को देखा आश्चर्य में सोचने लगता है कि यह व्यक्ति कौन है? 

वह अपनी पत्नी से पूछता है कि यह कौन है? तब पत्नी कहती है कि पता नहीं यह व्यक्ति कौन है? मैंने सोचा कोई तुम्हारा जानकार होगा।मगर इस बदतमीज है इसने मुझे थप्पड़ मारा। लड़का रो रहा था तो मुझे मारा कि लड़के को क्यों रुला रही हो। 

इतना सुनने के बाद उस महिला का पति क्रोधित हो जाता है। और पहलवान के पास जाकर कहता है तूने मेरी बीवी को कैसे मारा? यह कहते हुए पहलवान से झगड़ा करने लगता है। 

भूतिया कहानी

मोहनलाल पहलवान उसकी बदतमीजी बर्दाश्त नहीं कर पाया और लोहे का डंडा उठा उस व्यक्ति के सिर में मार दिया। डंडे की लगते ही वह आदमी मर गया। अब उसकी पत्नी जोर-जोर से रोने लगी। 

कहने लगी - तुमने मेरे पति को मार दिया। मेरे पति ही तो मेरा सहारा थे अब वह भी मर गए। इसलिए अब तुम्हारे साथ ही मुझे अपनी जिंदगी जीनी होगी।

पहलवान भी उस महिला और उसके बेटे के साथ घर में रहने लगते है। 10-15 दिन बीत जाते है घर में जमा सारा राशन पानी खत्म हो जाता है। तब महिला कहती है तुम कुछ कमाई करोगे या हम ऐसे ही भूखे मरेंगे? बिना कमाए जीवन कैसे चलेगा? 

मोहनलाल पहलवान भैसों का दूध पीने और उनकी देखरेख करने के अलावा कोई भी काम नहीं जानता था।  तब पहलवान बोलता है - कमाई? कमाई क्या होती है? बताओ?

वह महिला पहलवान को कहती है कि राज महल में जाकर खेती करने के लिए कुछ जमीन मांग लो जिस पर हम मेहनत करके अनाज उगाएंगे। महिला के कहे अनुसार पहलवान अपना डंडा हाथ में लेकर राज महल की तरफ चला जाता है। राजमहल कुछ दूर ही बचा होगा कि पहलवान को अपनी ओर आते देखकर सभी लोग डर जाते है। वे सोचते है कि यह पहलवान कहीं उन्हें डंडे से ना मार दे। 

तभी राजा ने अपने मुंशी को तुरंत पहलवान के आने का कारण जानने के लिए भेजा। मुंशी पहलवान के पास जाता है।


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मुंशी - तुम यहां किस कारण से आए हो? 

पहलवान - मुझे खेती करने के लिए राजा से कुछ जमीन मांगी है। 

मुंशी - तुम यहीं रुको! मैं राजा से बात करके आता हूं। 

मुंशी राजा के पास जाता है और पहलवान के आने का कारण राजा को बताता है तब राजा मुंशी को आदेश देते हैं कि पहलवान को जितनी जमीन चाहिए, वह उसे दे दो। 

मुंशी जल्दी से पहलवान के पास जाता है और अपनी चालाकी से उसे श्मशान घाट के पास वाली श्मशान घाट के पास बंजर पड़ी जमीन दे देता है।  

पहलवान जमीन पर जुताई करने से पहले सोचता है। इस खेत में पीपल का पेड़ है जिसके कारण फसल कम होगी। इसलिए मैं इस पीपल के पेड़ को हटा देता हूं। इतना सोच कर पहलवान पीपल के पेड़ पर लोहे का डंडा मारता है। 

जैसे ही पहलवान ने लोहे का डंडा पेड़ पीपल के पेड़ पर मारा तो, पीपल के पेड़ से भूत नीचे उतर आए और पहलवान से लड़ाई झगड़ा करने लगे। 

पहलवान भूतों काडटकर सामना करता है।  किसी भूत का सर फटा हुआ था, किसी भूत का हाथ टूटा हुआ था, किसी का पैर टूटा हुआ था, सभी भूत लाइन से खड़े हुए थे। और माफी पहलवान से माफी मांगने लग रहे थे। 

सभी भूत पहलवान से पीपल के पेड़ को हटाने का कारण पूछते हैं। 

पहलवान - यह पीपल का पेड़ मेरे खेत में है और इसकी वजह से मुझे कम फसल होगी। इसलिए मैं इस पेड़ को यहां से हटा दूंगा। 

भूत - हम इस खेत में पैदा होने वाली पैदावार के बराबर राशन तुम्हारे घर पहुंचा देंगे। लेकिन तुम इस पेड़ को मत हटाओ। यह हमारा भूतों का घर है। हम इस पेड़ पर कई सालों से रह रहे है।

पहलवान बहुत बलशाली था और बलशाली लोग हमेशा दया करते है। इसलिए पहलवान भूतों की बात मान लेता है। और घर चला जाता है। अब पहलवान अच्छी तरह से बिना मेहनत किए अपनी जिंदगी जीने लगा। लेकिन भूतों को यह सौदा बहुत महंगा पड़ गया। भूत काम कर करके बहुत दुबले पतले हो गए।


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एक दिन भूतों के गुरुजी सभी भूतों से मिलने पीपल के पेड़ पर आते है। सभी भूतों को दुबला पतला देखकर उनसे कारण पूछते है। 

सभी भूत कहते है - एक पहलवान है। उसकी हुजूरी करने और उसके घर राशन पहुंचाने में ही हमारा सारा समय बीत जाता है। जिसके कारण हम इतने दुबले हो गए है। भूतों के गुरु जी को यह बात बहुत बुरी लगी। और उन्हें क्रोध आया तब भूतों के गुरु ने पहलवान से बदला लेने की ठानी।

भूतों के गुरुजी बिल्ली बनकर पहलवान के घर चले जाते है। रोजाना पहलवान के घर का दूध पीने लगते है। इस पर पहलवान बहुत परेशान हो जाता है। बिल्ली को सबक सिखाने के लिए दरवाजे की आड में छुप जाता है। जैसे ही बाहर से बिल्ली के वेश में भूतों के गुरुजी अंदर आते है। तो उन्होंने पहलवान को पहले से ही दरवाजे के पीछे छुप देख लिया था। 

भूतों के गुरु जी ने सोचा कि पहलवान से चुप कर हमला किया जाए। इधर पहलवान पहले से ही दांव लगाए बैठा था कि कब बिल्ली घर में प्रवेश करें और उस पर हमला किया जाए। लेकिन बहुत देर से बिल्ली अंदर ही नहीं आ रही थी। बहुत समय हो गया तो पहलवान धीरे-धीरे पीछे हट गया और चूल्हे के पास जाकर छुप गया। बिल्ली अंदर आकर जैसे ही पहलवान पर हमला करने का प्रयास करती है। पहले से सतर्क पहलवान ने बिल्ली की कमर पर जोर से लोहे का डंडा मार दिया। 

जिससे भूतों के गुरुजी की सभी हड्डियां टूट गई और वह चिल्लाने आने लगे। 

भूतों के गुरुजी अपने असली भूतिया रूप में आ गए और पहलवान से माफी मांगी। पहलवान गुरु जी से पूछता है - उनको छोड़ने के बदले उनकी क्या सजा होगी। गुरुजी ने अपने आप ही स्वीकार कर लिया कि जितना राशन पहलवान के घर पर आता है अब उसका दुगना राशन पहलवान के घर पर भिजवा दिया जाएगा। जिसके पास बाद पहलवान गुरुजी को छोड़ देता है। 

गुरु जी अपने भूतिया चेलो के पास जाते है और सारी बात बताते है। अब दुगुना राशन पहलवान के घर पहुंचाना होगा, इस पर इस बात पर सभी चेले सिर पीट कर रह जाते है।  

एक तो पहले से ही दुबले-पतले, ऊपर से दुगुने राशन की आफत।

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