भूतिया ढाबा की कहानी | Bhooton Ki Kahani | Bhutiya Story

अक्सर हम सभी कहानियां पढ़ते है। हमने बचपन में भी अपने दादा-दादी, नाना-नानी से कहानी सुनी है। जब भी हम Bhooton Ki Kahani,भूतों की कहानियां,भूतिया हवेली,भूत प्रेत की कहानी सुनते थे तो हम डर जाते थे लेकिन बहुत रोमांचित भी होते थे। ये कहानियां हमे शिक्षा और नैतिकता भी सिखाती थी।  

आज हम आपको बचपन की याद करा देने वाली एक भूतिया कहानी सुनाने जा रहे है। ये कहानी भूतिया ढाबा की भूतिया कहानियांHorror Story Bhutiya Dhaba की है। 

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भूतिया ढाबा | भूतिया कहानियां

हीरापुर नाम का एक गावं था। जहाँ पप्पू नाम का एक व्यक्ति ढाबा चलाता था।  उस ढाबे भी पप्पू के नाम पर पप्पू का ढाबा था। पप्पू का ढाबा बहुत ही मशहूर था। जो भी व्यक्ति एक बार उसके ढाबे का खाना खा लेता था। वह उसका स्वाद भुला नहीं पता था और वो बार बार उसके ढाबे पर खाना खाने आता था। 

हीरापुर गांव में आने वाला प्रत्येक आदमी उसके ढाबे का खाना खाकर ही जाता था। दिनों दिन ढाबा बहुत मशहूर होता जा रहा था और पप्पू का घमंड भी दिनों-दिन बढ़ रहा था। यदि कभी खाना बच जाता तो किसी भूखे भिखारी या पशु को खिलने की बजाय वो खाने को फेक देता था। 

एक दिन एक भूखा भिखारी ढाबे के पास से जा रहा था। वह बहुत भूखा था। उसने कई दिनों से कुछ भी नहीं खाया था। भिखारी ढाबे के मालिक के पास जाता है। 

भिखारी -  मालिक बहुत दिनों से खाना नहीं खाया। बहुत तेज भूख लगी है। कुछ खाने को दे दो।  आपकी बड़ी मेहरबानी होगी। 

पप्पू - अरे आगे जा, आगे जा आगे... कुछ खाने को नहीं मिलेगा। 

भिखारी - मालिक थोड़ा सा खाना दे दो। कई दिनों से भूखा हूँ। 

पप्पू - पता नहीं सुबह-सुबह कहा कहा से चले। सारा दिन खराब कर दिया मेरा। रामु ओ रामु इसे धक्के मारकर बाहर निकालो। पता नहीं कहा से आ जाते है। 

रामु भिखारी को धक्के मारकर ढाबे से बाहर कर देता है। लेकिन पप्पू को जरा सी भी दया नही आती है। भिखारी ढाबे से सामने ही भूख के मारे बेहोश होकर गिर जाता है।

रामू - अरे मालिक.... यह तो बेहोश हो गया है।

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पप्पू - अरे तो मैं क्या करू। तु इसे ढाबे से सामने से हटा। ग्राहक आने का समय हो गया है।

रामू - जी मालिक ।

मालिक.... ओ मालिक लगता है यह तो मर गया है।

पप्पू - अरे क्या बोल रहा है रामू?

रामू - मालिक सही बोल रहा हुं। यह तो मर गया है । इसकी तो सांसे भी नही चलता रही।

पप्पू - रामू एक काम कर। इसको उठाकर ढाबे के पीछे वाले कुएं में फेंक आ। किसी को कुछ पता नहीं चलेगा।

रामू - जी मालिक। जैसा आप कहो।

रामू उस मरे हुए भिखारी को कुएं में फेंक देता है।

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पप्पू - रामू तुझे ऐसा करते हुए किसी ने देखा तो नही ना? किसी को कुछ पता तो नही चला ना?

रामू - नही मालिक। किसी ने नहीं देखा।

पप्पू - आज तो दिन भी खराब गया। ज्यादा ग्राहक भी नही आए। कल से तुम सब भी समय पर आ जाना नही तो तुम्हारी पगार काट लूंगा।

रामू - ठीक है मालिक।

Bhutiya Story In Hindi | Bhutiya Dhaba

पप्पू अपने सभी नौकरों को छुट्टी करके खुद भी घर चला जाता है। रास्ते में पप्पू को ऐसा लगता है की कोई उसका पीछा कर रहा है। पप्पू पीछे मुड़कर देखता है लेकिन उसे कोई नही दिखाई दिया। वह वापस घर की तरफ आगे चलने लगता है।

पप्पू - अरे पीछे तो कोई नही है। यह मेरे मन का वहम है।

पप्पू यह बोलकर आगे चलने लगता है। तभी पीछे से कोई पप्पू को थप्पड़ मारता है। वह अपने चारों तरफ देखता है लेकिन उसे कोई नही दिखाई देता। इसके बाद पप्पू दौड़ कर घर पहुंचता है।

घर पहुंच कर पप्पू अपनी पत्नी को आवाज लगाता है।

पप्पू - अरे भाग्यवान जल्दी से खाना ले आओ। बहुत जोरो से भूख लगी है।

पत्नी - जी बस अभी लाई।

जैसे ही पत्नी पप्पू के खाना लेकर आती है तभी भिखारी का भूत उसे जोर से धक्का मारता है। जिस कारण उसके हाथ से खाने की थाली नीचे गिर जाती है। और पूरा खाना जमीन पर गिर जाता है। 

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पप्पू - अरे भाग्यवान ये क्या किया। पूरा खाना ही जमीन पर गिरा दिया। 

पत्नी - जी पता नही कैसे मुझे पीछे से जोर का धक्का लगा और मेरे हाथ से खाने की थाली छूट गई।

पप्पू - आज का तो पूरा दिन ही खराब है। सुबह से अनहोनी ही अनहोनी हो रही है।

पप्पू उस रात बिना खाना खाए ही सो जाता है। सुबह उठकर तैयार होकर पप्पू ढाबे पर चला जाता है। पप्पू काउंटर पर बैठा होता है। तभी रामू सहित सभी नौकर आ जाते है।

रामू और सभी नौकर - प्रणाम मालिक।

पप्पू - प्रणाम। अब चलो सब काम पर लगो।

तभी ढाबे पर एक ग्राहक आता है। खाने का ऑर्डर देकर कुर्सी पर बैठ जाता है।

ग्राहक - रामू खाना ले आओ जल्दी से।

रामू - जी साहब अभी लाया।

रामू ग्राहक के लिए खाना लेकर आता है। उसके बाद जैसे ही ग्राहक में खाने का पहला निवाला खाया उसको बहुत तीखा लगा और वह खाने को थूकते हुए बोलता है।

ग्राहक - अरे रामू यह कैसा खाना है। 

पप्पू - अरे क्या हुआ भाई साहब? खाना अच्छा नहीं है क्या?

ग्राहक - अरे यह खाना बहुत तीखा है इतना तीखा खाना कोई खाता है क्या?

पप्पू - रामू अरे वह रामू आज तुमने यह कैसा खाना बनाया है।

रामू - पता नहीं मालिक मैंने तो अच्छा खाना ही बनाया था।

आज भी ढाबे पर कोई कमाई नहीं हुई। और सारा खाना फेंकना पड़ा। यह देख कर भिखारी का भूत बहुत खुश होता है। दूसरे दिन पप्पू सुबह जल्दी आ कर सभी नौकरों को बुलाकर कहता है।

पप्पू - आज तुम सब इतना अच्छा खाना बनाना कि जो भी खाए उंगलियां चाटते रह जाए।

रामू - जी मालिक।

तभी रामू सहित सभी नौकर खाने बनाने लग जाते हैं और पप्पू भी वहीं खड़ा उन सब पर नजर रखता है जब तक कि खाना बंद कर तैयार ना हो जाए।

Bhooton Ki Kahani | Bhutiya Story

पप्पू - क्या बात है रामू खाने की खुशबू तो बहुत ही अच्छी है। मजा आ गया खाना बहुत अच्छा बना है।

तभी ढाबे में एक ग्राहक आता है और रामू को खाना लगाने के लिए आवाज लगाता है। रामू गरमा गरम खाना लाकर ग्राहक के सामने रखता है।

ग्राहक - अरे वाह खाने की खुशबू तो बहुत ही अच्छी आ रही है लगता है आज खाना बहुत स्वादिष्ट बना है।

जैसे ही ग्राहक खाना खाने खाना शुरू करता है तभी उसकी रोटियां गायब हो जाती है। ग्राहक रामू को आवाज लगाता है 

ग्राहक - रामू... अरे ओ रामू... जल्दी आओ भाई 

रामू - क्या हुआ साहब 

ग्राहक - अरे रामू मेरी रोटियां गायब हो गई है 

रामू - अरे साहब यह कैसे हो सकता है। आपको हम हो रहा है।

यह सब भिखारी का भूत कर रहा था। वही ग्राहकों को डरा डरा कर ढाबे से भगा रहा था। और बहुत खुश हो रहा था। 

पप्पू को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। क्योंकि यह सब रोज-रोज होने लग गया था। जितने भी ग्राहक आते भिखारी का भूत उन सभी को डरा डरा कर भगा देता। उनको तंग करता। धीरे-धीरे ढाबे की कमाई कम हो गई और ग्राहक भी।

एक दिन कुछ लोग हीरापुर गांव से होते हुए शहर जा रहे थे। तभी उन्हें रास्ते में पप्पू का ढाबा दिखाई दिया। उन्होंने पप्पू के दबे का नाम बहुत सुना सुन रखा था। इसलिए सभी ढाबे पर खाना खाने के लिए रुक जाते हैं।

वे लोग खाने का आर्डर देते है। रामू उनके लिए खाना लेकर आता है। जैसे ही रामू उनके सामने खाना रखता है । तभी अचानक से उनकी शाही पनीर की सब्जी की जगह चिकन की सब्जी आ जाती है। यह देखकर दोनों ग्राहक बहुत डर जाते है। 

जैसे ही वे लोग पानी पीने के लिए गिलास उठाते है। तभी भिखारी का भूत पानी के गिलास को उन लोगों पर बिखेर देता है। जिसके बाद दोनों लोग डरते हुए जोर-जोर से चिल्लाने लगते है।

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ग्राहक - अरे भूत अरे भूत इस ढाबे में तो भूत है भागो यहां से

रोजाना ढाबे में अलग-अलग प्रकार की घटनाएं होने लगी कभी रोटियां हवा में उड़ने लगती तो किसी की सब्जी चिकन की सब्जी बन जाती, किसी का खाना गायब हो जाता, कभी कुर्सियां हवा में उड़ने लगती ऐसी घटनाएं हर रोज होने लगी। 


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पप्पू के ढाबे को लोग भूतिया ढाबा (Bhutiya Dhaba)कहने लगे वहां काम करने वाले लोग भी भूत से डरने लगे और इस भूतिया ढाबे में डर डर के काम करने लगे।

एक दिन पप्पू गले से पैसे निकालने के लिए जैसे ही गला खोलता है तो उसे गले में भिखारी का कटा हुआ सर दिखता है। 

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पप्पू - अरे भूत अरे भूत अरे यहां तो भिखारी का भूत है जिसे मैंने कुएं में फेंका था फिर यह ढाबे में कैसे आ गया

पप्पू की बात सुनने के बाद पप्पू की चीखती-चिल्लाती आवाज सुनकर ढाबे के सभी लोग पप्पू के पास आ जाते हैं

पहला आदमी - अरे क्या हुआ भाई साहब आप इतनी जोर से चिल्ला क्यों रहे है। 

दूसरा आदमी - क्या हुआ भाई साहब आप इतना डर क्यों रहे है। 

पप्पू - अरे भाई साहब हमारे गले में सिर कटा भूत है और सभी पैसे गायब है।  

पहला आदमी - भाई साहब ऐसा कैसे हो सकता है। 

पप्पू - अरे भाई तुम खुद ही जाकर देख लो तुम्हें भी सिर कटा भूत दिख जाएगा। 

पप्पू की बात सुनकर वह आदमी गळा खोलता है। 

लेकिन उसे सिर कटा भूत दिखाई नहीं देता और सारे पैसे वहीं पर दिखाई देते है। 

दूसरा आदमी - अरे भाई साहब आपकी तबीयत ठीक नहीं है, जरूर आपने कोई सपना देख लिया है।  वहां पर सिर कटा भूत नहीं है और आपके सभी पैसे वहीं पर है।  आपको आराम करने की जरूरत है आप छुट्टी ले लीजिए। 

पप्पू - अरे नहीं भैया मैं झूठ नहीं बोल रहा हूं नहीं मैंने कोई सपना देखा है मैंने सच में सिर कटा भूत देखा है।

पप्पू - सभी को अपनी बात मनवाने की पूरी कोशिश करता है लेकिन कोई भी उसकी बात पर विश्वास नहीं करते और वहां से चले जाते है। तब रामू पप्पू के पास आता है 

रामू - मालिक मुझे लग रहा है यह भूखे भिखारी का भूत है। जिसको आपने पीछे कुएं में फिकवाया आया था।

अरे मालिक वही भिखारी जिसकी भूख की वजह से मौत हो गई थी। उसी ने हमारे ढाबे को भूतिया ढाबा बना दिया है। और अब उसका भूत आपको डरा रहा है परेशान कर रहा है। 

पप्पू - हां रामू तुम सही बोल रहे हो मुझे भी यही लग रहा है। अगर ऐसे ही चलता रहा तो यह ढाबा जल्दी ही बंद करना पड़ेगा और मैं बर्बाद हो जाऊंगा। अब तुम ही मेरी मदद कर सकते हो रामू 

रामू - चिंता मत करिए मालिक मैं एक ऐसे बाबा को जानता हूं। मैं आपको उन बाबा के पास लेकर चलता हूं। बाबा के पास आपकी समस्या का जरूर कोई ना कोई समाधान होगा। मुझे बाबा पर पूरा विश्वास है। मैंने बाबा का बहुत नाम सुना है वह सब की समस्या का समाधान करते है।

सुबह है अगले दिन सुबह रामू अपने मालिक को बाबा के पास लेकर जाता है और अपनी सारी समस्या बाबा को बताते है। 

बाबा - मूर्ख मनुष्य! यह तुमने क्या किया एक भूखे भिखारी की तुमने हत्या कर दी। भूख की वजह से उस भिखारी की आत्मा तुम्हारे ढाबे में भटक रही है और तुम्हें डरा रही है। 

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पप्पू - बाबा मेरी रक्षा करो। मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। आगे मैं कभी ऐसी गलती नहीं करूंगा। बाबा मुझे माफ कर दो।

बाबा - अपनी मंत्र शक्ति से भिखारी की आत्मा को बुलाता है। 

भूतिया भिखारी - यदि कोई भी मुझे परेशान करेगा तो मैं उसको मार डालूंगा हा हा हा हा। 

पप्पू - मुझे माफ कर दो! मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। मैं आगे से किसी भी भिखारी को भूखा नहीं जाने दूंगा। किसी को भी भूखा नहीं रहने दूंगा। 

बाबा अपने कमंडल से पवित्र जल निकाल कर भूत की आत्मा को मुक्त कर देते हैं और पप्पू को हमेशा गरीब लोगों को खाना खिलाने का आदेश देते है।

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