विक्रम बेताल की कहानियां | Vikram Betal Story In Hindi | Vikram Betal Ki Kahani

विक्रम और बेताल का नाम कौन नहीं जानता। बेताल के द्वारा विक्रमादित्य को सुनाई गई कहानियां बच्चे और बूढ़े बड़ी उत्सुकता के साथ सुनते है।

आइए विक्रम और बेताल के बारे

विक्रम बेताल की कहानियां

विक्रम बेताल की कहानियां | Vikram Betal Ki Kahaniyan | बेताल पच्चीसी

राजा विक्रमादित्य उज्जैन के राजा थे। उन्होंने किसी योगी के कहने पर बेताल को पीपल के पेड़ से उतारकर शमशान घाट से योगी के पास लाने के लिए गए थे लेकिन बेताल चालाकी में कम नहीं था। वह बार बार राजा विक्रमादित्य के हाथ से छूट कर पेड़ पर वापस चढ़ जाता था।

जब भी राजा विक्रम बेताल को ले कर चलने की कोशिश करते तो बेताल एक शर्त पर चलने को तैयार हुआ। बेताल की शर्त थी कि राजा विक्रमादित्य मार्ग में कुछ भी नही बोलेंगे। यदि बोले तो फिर से पेड़ पर चढ़ जाने के लिए बोला ।

राजा विक्रमादित्य ने यह शर्त स्वीकार कर ली। क्योंकि बेताल के सामने उनकी शक्ति कमजोर पड़ती थी।

रास्ते में चलते समय बेताल राजा विक्रमादित्य को कहानी सुनने की सलाह दी। जिससे रास्ता आसानी से कट जायेगा और इस भयानक डरावने जंगल में मनोरंजन भी हो जायेगा।

राजा विक्रमादित्य कुछ भी नही बोल सकते थे। वो बेताल के वचनों में बंधे हुए थे। हर कहानी के अंत में बेताल राजा विक्रमादित्य से एक सवाल पूछता था उस सवाल का जवाब जानने के लिए बेताल के अलावा कुछ गन्धर्व, देवतागण, ऋषिगण भी उत्सुकता रखते थे।

राजा विक्रमादित्य बड़े ही प्रतापी तथा न्याय प्रिय राजा थे। राजा विक्रमादित्य का न्याय तीनों लोकों में सर्वश्रेष्ठ था। तथा बेताल के जो भी सवाल थे वो सारे अच्भित करने वाले और न्याय पर आधारित होते थे। इसी कारण हर कोई उनके न्याय को सुनना चाहता था परंतु राजा विक्रमादित्य जैसे ही बेताल के सवाल का जवाब देते। बेताल जवाब सुन कर हवा में उड़कर पेड़ पर चला जाता था, क्योंकि राजा विक्रमादित्य ने अपनी शर्त तोड़कर उसके सवाल का जवाब दे रहे थे।

इसके अलावा राजा विक्रमादित्य को यहां एक और समस्या थी बेताल ने कहा कि कहानी के अंत मे मेरे द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब अगर आप जानते है और यदि जवाब नही दिया तो मैं अपनी शक्ति से आपके सिर के टुकड़े टुकड़े कर दूंगा। विक्रमादित्य विवश थे क्योंकि वे जवाब जानते थे।

अगर राजा विक्रमादित्य चाहते तो अपना ध्यान बेताल की कहानियों से हटा सकते थे। जिसके अनुसार वे कहानी ठीक से नही सुन पाते और उन्हे बेताल के सवालों के जवाब भी नही पता होते और उनकी न बोलने की शर्त भी नही टूटती। लेकिन उन्होंने ऐसा नही किया। क्योंकि राजा विक्रमादित्य जानते थे की बेताल की बातो में जीवन,राजकाज और गृहस्थी से जुड़ी हुई ज्ञान से परिपूर्ण बातें है। इसलिए वे बेताल की बातो को ध्यान से सुनते थे।

बेताल ने जो भी कहानियां राजा विक्रमादित्य को सुनाई वे सभी कहानियां आदरणीय सोमदेव जी ने लिखी है। इनका पूरा नाम सोमदेव भट्ट था। ये संस्कृति के कवि भी थे। इनका जन्म कश्मीर में हुआ था। यह कहना ठीक नहीं होगा कि बेताल पच्चीसी को सोमदेव जी ने लिखा था। बहुत समय पहले कविवर सोमदेव जी ने अपने काव्य ग्रंथ "कथा सरित सागर" की रचना की जो वास्तव मे एक पौराणिक भाषा में लिखा हुआ काव्य ग्रंथ "वृहत कथा" का ही संस्कृत भाषा में अनुवाद माना जाता है।

"वृहत कथा" के लेखक "गुणाड्या" है जो एक आध्रवंसी राजा सातवाहन के दरबार में मंत्री हुआ करते थे। ग्रंथ 'वृहत कथा' जो वर्तमान में उपलब्ध नहीं है।

"इस ग्रंथ को सोमदेव जी ने दो भागों में हिंदी अनुवाद किया था।

'वेताल पंचिविसंती' और 'बेताल पच्चीसी (25 stories of vikram betal)' अथवा 'सिंहासन बतीसी' कथा 'सरित सागर' के ही दो भागो में है।

बहुत ही जल्दी आपको विक्रम बेताल की कहानी भाग 1 (Vikram Betal Story In Hindi) पढ़ने को मिलेगा। हम आपके लिए विक्रम बेताल की कहानी (Vikram Betal Ki Kahani) के सभी भाग लेकर आएंगे। 

आपको आगे पता चलेगा की 

क्या विक्रम बेताल सच्ची कहानी है? | Vikram Betal

बेताल ने जो भी कहानियां राजा विक्रमादित्य को सुनाई थी। वे विक्रम बेताल की कहानियां कौन कौनसी है। 

विक्रम बेताल क्यों गया था | Vikram Betal Ki Kahani

राजा विक्रम बेताल को लाने एक योगी के कहने पर गया था। योगी ने बेताल का पता बताया था की श्मशान घाट के पीपल के पेड़ पर बेताल रहता है। 

बेताल असली है? | Vikram Betal Story In Hindi

विक्रम बेताल की कहानियां ज्ञानवर्धक और सदाचार से परिपूर्ण है। जिनको पढ़ने से हमे जीवन को और भी आसानी से समझ पाते है। 

बेताल की कहानी क्या है? | Vikram Betal Stories In Hindi

आगे आने वाले भाग में हम आपको विक्रम बेताल की कहानियां के सभी भाग सुनाएंगे।जिसमे आपको पता चलेगा की बेताल ने कौन कौनसी ज्ञानवर्धक कहानियां राजा विक्रम को सुनाई थी। 

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