मौत का कुआ और भूत की कहानी | Mout Ka Kuaa | Horror Story In Hindi

मौत का कुआ और भूत की कहानी | Mout Ka Kuaa | Horror Story In Hindi : अक्सर हम भूतिया कहानिया पढ़ते है, जिनमे से कई भूतिया कहानियां चुड़ैल की कहानी, भूत की कहानी, Bhoot Ki KahaniReal Horror Story In Hindi होती है। आगे आप  Rahasyo Ki Duniya पर पिशाचों के भूतिया घर की कहानी | Bhutiya Kahani पढ़ने वाले है। 

यहां पर अन्य कई भूतिया कहानियां भी दी गयी है जो आपको रोचक और रोमांचित करेंगी। इन भूतिया कहानियों (Real Ghost Stories in Hindi) को पढ़ने पर आपको डर लग सकता है। इसलिए हम आपको कहना चाहेंगे की इन भूतिया कहानियों को दिन के समय में ही पढ़े। 

यह Ghost Stories in Hindi आसान भाषा में लिखी गयी है ताकि आपको पढ़ने में कोई परेशानी ना हो। सरल भाषा का अर्थ है सरल शब्दों का प्रयोग किया गया है। तो आपको पढ़ने और समझने में आसानी होगी।

तो बिना देरी के शुरू करते है मौत का कुआ और भूत की कहानी | Mout Ka Kuaa

मौत का कुआ और भूत की कहानी | Mout Ka Kuaa | Horror Story In Hindi

मौत का कुआ और भूत की कहानी | Mout Ka Kuaa | Horror Story In Hindi
मौत का कुआ और भूत की कहानी | Mout Ka Kuaa | Horror Story In Hindi

मौत के कुएं की डरावनी कहानी हिंदी में – हर साल की तरह अमरपुर की भी यही कहानी है, इस बार भी इस गांव में एक बड़े मेले का आयोजन किया गया। अगले दिन मेला शुरू होने वाला था। हर बार की तरह नए-नए झूले, खिलौने, मिठाई, चाट के गोलगप्पे भी अपनी दुकानें सजा रहे थे, लेकिन इस बार भी गांव के लोगों का ध्यान मौत के कुएं के खेल पर ही लगा रहा।

इस खेल के प्रवर्तकों ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी थी। मोहन रिक्शे पर माइक लेकर अनाउंस कर रहा था, ''आ गया...आ गया फिर एक बार सबका दिल जीतने वाला खेल आपके गांव में फिर आ गया है, अगर देर की तो समस्या गंभीर होगी क्योंकि सारे खेल बिक जाएंगे'' ” टिकट"

गाँव में हर कोई जल्द से जल्द टिकट खरीदना चाहता था और खेल का पहला शो देखना चाहता था। अगले दिन खेल का पहला शो था लेकिन उसी रात गांव में एक अजीब घटना घटी।

जहां मौत का कुआं दिखाने की तैयारी की जा रही थी, तभी अचानक आधी रात के बाद वहां से मोटर साइकिल की आवाज आने लगी जाती है।

गूंज उठा - पापा.. पापा.. जागो, देख नहीं, मौत के कुएं का खेल शुरू हो गया है, देखते नहीं।

बेटी गुंजा की आवाज सुनकर दोनों जाग जाते हैं।

देवकी- अरे क्या हुआ गुंजा, इतनी रात को जाने की बात कर रही हो क्या।

गुंजा - माँ हमने तो उस मौत के कुएँ का टिकट ले रखा है, देख नहीं वो खेल शुरू हो गया है, मोटर सायकल की आवाज़ आ रही है न?

श्यामलाल - बेटा अभी रात है वो खेल कल शाम से शुरू होगा।

गूंज उठा - पर यह आवाज कैसी है पापा।

श्यामलाल - अरे कुछ आवाज होगी.. चलो सो जाते हैं।

गुंजा सो गई लेकिन जैसे-जैसे रात बीत रही थी मोटर साइकिल की आवाज बढ़ती जा रही थी, कुछ देर बाद मोटर साइकिल की आवाज आनी बंद हो गई और वहां से एक महिला और बच्चे के रोने की आवाज आने लगी।

वह आवाज गूंजी और उसके माता-पिता जाग गए, इस बार उन दोनों ने भी उस आवाज को सुना। वे सभी बहुत डरे हुए थे, वे उस स्थान पर जाना चाहते थे लेकिन वे हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे।

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अगली सुबह जब उन लोगों ने यह बात गांव वालों को बताई तो किसी ने भी उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया क्योंकि उनके अलावा किसी ने वह आवाज नहीं सुनी थी, शायद ऐसा इसलिए भी था क्योंकि गुंजा का घर मेला मैदान के पास ही था।

उसी दिन शाम को देवकी, श्यामलाल और गुंजा मेला देखने गए। चारों ओर लोगों की भीड़ थी, कोई झूले पर बैठ कर चिल्ला रहा था, कोई हाथ में नये-नये खिलौने लिये मुस्कुरा रहा था, कोई जलेबिया देख कर लोट रहा था, कोई गोलगप्पे की दुकान पर गिने बिना गोलगप्पे खा रहा था, पर गूंज का इंतजार था मौत के कुएं का खेल शुरू होने पर भी काफी लोगों की भीड़ लग गई।

लोग खेल शुरू करने के लिए कह रहे थे तभी बाइक स्टार्ट करने की आवाज आई। मोटरसाइकिल चालक एक्सीलरेटर पर एक्सीलेटर बढ़ा रहा था। पूरे मेले में बाइक की आवाज गूंज रही थी।

बाइक की आवाज से दर्शक उत्तेजित हो रहे थे, कई लोग सीटियां भी बजाने लगे, लेकिन इसी बीच लोगों ने देखा कि एक छोटी सी बच्ची मौत के कुएं में बैठी रो रही है, लोग चिल्लाने लगे कि यह किसकी बच्ची है।

इससे पहले कि कोई उस बच्ची को बाहर निकालता, लोगों ने देखा कि अचानक एक महिला भी कुएं के अंदर आ गई, उसका चेहरा काफी डरावना लग रहा था। वह लड़की जाकर उनकी गोद में बैठ गई। लोगों ने देखा कि जब वह वहां थे तो उनकी आंखों से आंसू की जगह खून निकल रहा था। कुछ ही देर में दोनों उड़ते हुए बाहर आ गए। जिसने भी यह देखा वह एक स्वर में चिल्लाया “भूत, भूत”। सब बाहर आ गए।

यह बात उसके कर्मचारियों द्वारा मौत के कुएँ के मालिक तक पहुँची, तो वह बहुत क्रोधित हुआ और बोला, "यह क्या बकवास है और तुम लोगों ने कैसा भूत-प्रेत लगा रखा है, सारा मेला लगा हुआ है और यहाँ भूतों को रखा गया है।" पर।" लगता है तुम लोग काम नहीं करना चाहते, बस मुफ्त के पैसे चाहिए, चलो अगले शो की तैयारी करते हैं।"

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लेकिन अगला शो भी पूरी तरह खाली रहा क्योंकि अफवाह फैल गई थी कि कुएं में भूत है, अब मालिक का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया है और उसने अपना गुस्सा अपने कर्मचारियों पर निकाला है।

उसी रात जब मालिक गहरी नींद में था तो उसने तेज रफ्तार से बाइक चलाने की आवाज सुनी, उस आवाज से उसकी नींद खुल गई, वह गुस्से से बुदबुदाने लगा। जैसे ही वह वहाँ पहुँचा, उसने जो देखा, उसे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ, उसने देखा कि एक आदमी लगातार मौत के कुएँ में बाइक चला रहा था, उस आदमी ने अपना सिर नीचे कर रखा था।

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मालिक ने उसे आवाज लगाई लेकिन बाइक चालक ने कोई जवाब नहीं दिया, उधर यह आवाज आसपास के पूरे गांव को सुनाई दी। हर कोई सोच रहा था कि इतनी देर रात ये कैसी आवाज आ रही है।

सबको डर लग रहा था, फिर भी कुछ लोग हिम्मत करके गांव के सरपंच के साथ मेले में पहुंचे, श्यामलाल के साथ गुंजा भी वहां पहुंची, वहां भी उन्होंने वही नजारा देखा जो मौत के कुएं का मालिक देख रहा था।

वह आदमी अभी भी लगातार बाइक चला रहा था तभी अचानक से वही महिला और बच्चा वहां आ गया। सारे गाँव वाले उस महिला और लड़की को ध्यान से देख रहे थे। तभी बाइक सवार युवक के शरीर सिर से खून निकलने लगा , उसके खून ने मौत के कुएँ की पूरी दीवार को लाल कर दिया।

कुछ देर बाद महिला और बच्चा इसी तरह रोने लगे। अब सभी ग्रामीणों की हालत खराब हो गई है। कोई नहीं समझ पा रहा था कि ये कौन लोग हैं, तभी मौत के कुएं का मालिक फिर चिल्लाया, "सुन नहीं रहे हो, कौन हो, लोगों को क्यों डरा रहे हो, मेरे खेल को बदनाम क्यों कर रहे हो?" गया था"

मालिक की बात सुनकर बाइक सवार सिर उठाता है। उसे देखकर मालिक की आवाज लड़खड़ाने लगती है।

सरपंच - अरे जानते हो ये कौन है ?

तभी बाइक सवार बाइक रोकता है और कहता है "क्यों बॉस, आप बताएंगे या मैं उन्हें बताऊंगा"।

मालिक- क्या बताऊं, मुझे कुछ नहीं पता...

फिर विक्रम ने बताना शुरू किया कि...

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विक्रम - गाँव वालों, यह दुष्ट आदमी है, इसके सीने में कलेजा नहीं है, यह तो जानवर है। मेरा नाम विक्रम है, मैं पिछले साल तक इसके साथ काम करता था। आप जानते हैं कि मौत के कुएं में गाड़ी चलाना हर दिन मौत को गले लगाने जैसा है। मैं हर दिन अपनी और अपने परिवार की जान जोखिम में डालकर बाइक चलाता था, लेकिन उस दिन शायद मेरा दिन खराब चल रहा था। किसी और गांव में मेला लग रहा था, मैं अपना खेल दिखा रहा था कि अचानक मोटरसाइकिल की टक्कर हो गई और मेरा सिर कुएं की दीवार से जा टकराया, खून लगातार बहता रहा और मैं बेहोश हो गया और फिर मेरी मौत हो गई।

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विक्रम की मौत के बाद उसकी पत्नी और उसकी नन्ही बेटी के सामने जीवन बेहद मुश्किल हो गया था। एक दिन वह मालिक के पास गया और कुछ पैसे मांगे लेकिन उसने मदद नहीं की और उसे भगा दिया।

दोनों परेशान होकर बाहर चले गए। विक्रम की पत्नी ने दूसरी जगह काम करने की कोशिश की लेकिन कोई काम नहीं मिला। कई दिन भूखे-प्यासे सड़क पर भटकते रहे और फिर दोनों की भी भूख से मौत हो गई।

विक्रम - तुम गांव के लोग ही बताओ कि मेरा और मेरे परिवार का क्या कसूर था जिसकी सजा हमें मिली। अरे हम तो कलाकार हैं, यही तो रोजी-रोटी है, पर कल कोई हादसा हो जाए तो मालिक हमें मरने के लिए छोड़ देता है, हम तो जिंदगी भर आपके सुख-मनोरंजन के लिए काम करते हैं और बदले में हमें क्या मिलता है।

विक्रम की बात सुनकर गांव वालों ने मालिक को मारने के लिए घेर लिया।

मालिक - अरे.. अरे छोड़ो, मुझसे गलती हो गई।

सरपंच- हम आपको एक ही शर्त पर छोड़ेंगे कि आप यहां काम करने वाले लोगों को गारंटी देंगे कि अगर उन्हें कुछ हो गया तो आप उस परिवार को बेसहारा नहीं छोड़ेंगे। अरे आजकल तो बीमा होता है, हम सबका बीमा क्यों नहीं करवाते।

मालिक सरपंच की बात मान गया, उसने सभी मजदूरों का बीमा करवाया। जीवित रहते हुए विक्रम अपने और अपने परिवार के लिए कुछ नहीं कर सके, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद उन्होंने अपने साथियों का भविष्य सुरक्षित कर लिया।

ध्यान दें : यह सब कहानी काल्पनिक है। इन कहानी से किसी भी व्यक्ति और स्थान से कोई सबंध नहीं है।

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