रात को लगती है जिन्नों की महफिल | जमाली-कमाली मस्जिद | Jamali Kamali Masjid Haunted Story In Hindi

भारत की ऐतिहासिक धरोहर में कई भूतकालीन ईमारत शामिल है। जो आज भी गुजरे हिन्दुस्तान के इतिहास को दोहराती है। ऐसी ही ऐतिहासिक धरोहर भारत की राजधानी दिल्ली के महरोली क्षेत्र में स्थित है जिसे लोग जमाली कमली मस्जिद(Jamali Kamali Masjid) के नाम से जानते है। 

जमाली-कमाली मस्जिद | Jamali Kamali Masjid

लोदी वंश के गुजरे इतिहास को पढ़ने पर हम मुगल शासन काल के पहले के समय में चले जाते है। दिल्ली महरौली में बनी जमाली कमाली मस्जिद मुगल साम्राज्य के शासनकाल से पहले के समय में ले जाती है।

जमाली-कमाली मस्जिद

भूतिया जमाली कमाली मस्जिद | Jamali Kamali Masjid Haunted Story In Hindi

कुछ लेखों में बताया जाता है कि जमाली कमाली मस्जिद भूतिया है। कुछ लोगों को जमाली कमाली मस्जिद में किसी अनजान परछाई का एहसास हुआ है तो किसी ने रात के समय जमाली कमाली मस्जिद में डरावनी आवाजें सुनी है। हालांकि अभी निश्चित होकर यह नहीं कहा जा सकता कि जमाली कमाली मस्जिद सच में भूतिया है। जमाली कमाली मस्जिद उन लोगों के लिए ज्यादा रुचिकर जगह है जो रहस्यमई कहानियां और रहस्यमई स्थानों पर जाना पसंद करते है। जिनको असाधारण गतिविधियों का निरीक्षण करना भी पसंद है।

जमाली-कमाली मस्जिद

शेख जमाल-उद-दीन हामिद बिन फ़जलुल्लाह, महान कवि और सूफी संत थे, जो सूफी संत समाउद्दीन के शिष्य और दामाद थे। जमाल अपनी एक यात्रा में दिल्ली भ्रमण के लिए आए थे। जहां लोधी साम्राज्य के संरक्षण में राज कवि बन कर रहे। वो एक बहुत ही नायाब शायर और कवि थे। जमाल को कविताओं ने उनको बहुत प्रसिद्ध किया था। कुछ ऐतिहासिक जानकारियों के अनुसार यह भी बताया जाता है कि वह बाबर और हुमायूं के दरबार में राज कवि भी थे।

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रहस्यमयी कमाली मस्जिद | Jamali Kamali Masjid Mystry

जमाली कमाली मस्जिद की सबसे रहस्यमय और दिलचस्प बात यह है कि इसका नाम कमाली जिस इंसान के नाम पर रखा गया था। उसकी कोई भी जानकारी इतिहास में मौजूद नहीं है। हालांकि जमाली और कमाली दोनों मकबरे का निर्माण साथ-साथ हुआ है। लेकिन किसी को भी उनकी जानकारी नहीं है। ऐतिहासिक दस्तावेजों में सिर्फ जमाली मस्जिद के बारे में ही वर्णन किया गया है। कमाली मस्जिद के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं है।

कुछ लोग बताते हैं कि जमाली कमाली के शिष्य थे, कुछ लोगों के अनुसार उनके भाई, या दूसरे कवि साथी थे। और कुछेक के अनुसार कमाली नाम जमाली की पत्नी का है। सत्य जो भी हो, लेकिन इतना जरूर मालूम पड़ता है कि कमाली नाम का इंसान, जमाली का बहुत अजीज और प्रिय था। तभी दोनों की कब्र एक ही छत के नीचे पास पास बनी है।

जमाली-कमाली मस्जिद

मस्जिद को सूफी संत जमाली की मौत के बाद निर्मित किया गया था जमाली मस्जिद की दीवार पर सुंदर शैलियां अंकित हैं 44 मानक समय की कसौटी पर भी खरा उत्तरा है बताया जाता है कि इसको सन 1528 से 1529 के समय में निर्मित किया गया था विशाल आंगन तोरण और कुंभ दो कि अति उत्तम कलाकारी उस काल की कुशल वास्तु शैली और वास्तुकला को दर्शाती है।

जमाली कमाली मस्जिद के अंदर नक्काशी दार मूर्तियां खिड़कियां और दीवारों पर अंकित बेल बूट पुराने इतिहास के शाही सौंदर्य और कलात्मक कथाओं को साफ तौर पर चित्रित करती हैं आज के समय में जमाली कमाली मस्जिद और स्मारक दिल्ली के पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है।

जमाली कमाली मस्जिद शायरी

जमाली मकबरे पर उनके द्वारा लिखी पंक्तियां बहुत उम्दा है 

कब्र में आकर नींद आई है । 
ना उठाएं, खुदा करे कोई ।।
  

और एक स्थान पर उन्होंने लिखा है 

रंग ही रंग, खुशबू ही खुशबू  ।
गर्दिश-सागर-ए-ख्याल है हम 

जमाली कमाली मस्जिद कैसे पहुंचे

जमाली कमाली मस्जिद दिल्ली के महरौली क्षेत्र में है। जहां आपको इतिहास से जुड़ी कई हमारे देखने को मिलेंगे। जो दिल्ली के सभी रास्तों से बेहद आसानी से जुड़ी हुई है दिल्ली के महरौली तक पहुंचने के लिए डी.टी.सी बस की सुविधा उपलब्ध है। महरौली मुगल साम्राज्य के बसने से पहले ही एक प्राचीन स्थल है महरौली के आसपास कई ऐतिहासिक स्थल है जो लोगों को इतिहास से जुड़े रखते है।

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