आमेर का किला रहस्य : Amer Fort History In Hindi

राजस्थान की राजधानी जयपुर से लगभग 11 किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों पर स्थित एक किला जो राजस्थान के साथ-साथ पूरे भारत में अनूठी वास्तुशैली और शानदार संरचना के लिए प्रसिद्ध है। जयपुर का यह किला राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल है। आज हम आपको राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित आमेर किले के बारे में आपको बताने वाले है।

आज हम जानेंगे क्या है आमेर के किले का रहस्य,आमेर का किला हिस्ट्री इन हिंदी,Amer Fort History In Hindi, आमेर का किला,Amer Fort Timings,Amer Fort Timings And Fees

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Amer Fort Images
(फोटो आमेर का किला, आमेर का किला फ़ोटो)

आमेर किला जयपुर, राजस्थान | Amer fort Jaipur, Rajasthan

किले की सुंदर संरचना और किले की विशालता को देखते हुए आमेर किले को विश्व विरासत में शामिल किया गया है राजस्थान के आकर्षण का केंद्र आमेर का किला राजा मानसिंह के द्वारा बनवाया गया था। हिंदू राजपूताना वास्तु शैली से बना यह किला समृद्ध इतिहास और विशाल स्थापत्य कला का एक नायाब नमूना है।

आइए जानते हैं राजस्थान के आकर्षण के केंद्र आमेर किला जयपुर के इतिहास और इससे जुड़े बातों के बारे में।

आमेर का किला कहां स्थित है ?

राजस्थान की राजधानी जयपुर से लगभग 11 Km दूर आमेर किला स्थित है।

कब हुआ आमेर किले का निर्माण ?

16 वी शताब्दी में

आमेर का किला किसने बनवाया, आमेर का किला कहां स्थित है ?

राजा मानसिंह सवाई जय सिंह और मिर्जा जय सिंह ने आमेर किले का निर्माण करवाया

आमेर के किले का इतिहास | History of Amer fort in Hindi

हिंदू राजपूताना वास्तुशैली से बना आमेर का किला राजस्थान के सबसे विशाल किलो में से एक है जो जयपुर से लगभग 11 किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों पर स्थित है। आमेर के इतिहास और इस किले के निर्माण पर चर्चा करें तो पता चलता है कि आमेर पहले सूर्यवंशी कच्छावाहा राजवंश की राजधानी हुआ करता था, जिसका निर्माण मीनास नामक जनजाति में करवाया था।

इतिहासकार बताते हैं कि राजस्थान के सबसे बड़े आमेर किले का निर्माण 16 वी शताब्दी में राजा मानसिंह प्रथम ने करवाया था। जिसके बाद लगभग150 सालो तक राजा मान सिंह के उत्तराधिकारियों और शासकों ने आमेर किले का विस्तार और नवीनीकरण का कार्य किया था। 

1727 में सवाई जयसिंह द्वितीय के शासनकाल में जयपुर को राजधानी बनाया गया। उस समय जयपुर की स्थापना हाल ही में हुई थी। जयपुर से पहले कच्छावाहा राजवंश की राजधानी आमेर थी। इसी किले में कदमी महल है जिसका निर्माण राजदेव/रामदेव नाम राजा ने करवाया, जहाँ आमेर शासकों का राज्याभिषेक होता था। 

आमेर किला जयपुर के अंदर शीला माता देवी का मशहूर मंदिर भी है जिसका निर्माण राजा मानसिंह ने करवाया था।

कुछ लोग बताते है कि आमेर किला जयपुर का नाम भगवान शिव के नाम अंबिकेश्वर पर रखा गया था। जबकि कुछ लोग मां दुर्गा का नाम अंबा से आमेर किले के नाम का संबंध बताते हैं।

राजस्थान के सबसे मशहूर आमेर किला जयपुर को अलग-अलग शासकों ने नुकसान भी पहुंचाया तो कई शासकों ने नई और शानदार संरचनाओं का इमारतों का निर्माण भी किया। इन सभी आपदाओं को झेलते हुए आज भी आमेर का किला राजस्थान की शान बढ़ा रहा है और गौरवपूर्ण समृद्ध इतिहास को समेटे रखा है।

आमेर का किला जयपुर सरचना | Amer Fort History In Hindi

गुलाबी शहर जयपुर से 11 किलोमीटर दूर स्थित आमेर किले का निर्माण हिंदू और राजपूताना शैली द्वारा किया गया है बाहर से आमेर किला को देखने पर यह मुगल वास्तुशैली से निर्मित दिखाई पड़ता है लेकिन अंदर से यह किला राजपूताना स्थापत्य शैली से निर्मित है।

आमेर का किला मुगल और हिंदू वास्तुशैली का नायाब नमूना है। आमेर किले के अंदर प्राचीन वास्तु शैली और इतिहास के प्रसिद्ध एवं साहसी राजपूत शासकों की तस्वीरें आज भी लगी हुई है। किले के अंदर बने ऐतिहासिक महल बगीचे जलाशय एवं सुंदर मंदिर इसकी खूबसूरती को और भी बढ़ा रहे है।

राजस्थान के आमेर किले में प्रवेश के लिए पूर्व दिशा में एक प्रवेश द्वार बना है आज के समय में पर्यटक पूर्व में बने इसी द्वार से आमेर किले में प्रवेश करते है। यह किला का मुख्य द्वार है जिसे सूर्यपाल भी कहा जाता है इस द्वार का नाम सूर्य के उगने से लिया गया है। पूर्व दिशा के अतिरिक्त आमेर किले में दक्षिण दिशा की तरफ भी एक बड़ा द्वार स्थित है जोकि चंद्रपाल द्वार कहा जाता है इस द्वार के ठीक सामने जलेब चौक स्थित है जहां से पर्यटक महल के प्रांगण में प्रवेश करते है।

आपको बता दें कि आमेर किले में स्थित जलेबी चौक का उपयोग सेना द्वारा अपने युद्ध के समय को पुनः प्रदर्शित करने के लिए किया जाता था, जिसको महिलाएं खिड़कियों से देख सकती थी। जलेब चौक के दोनों तरफ सीढ़ियां स्थित है जिनमें एक तरफ की सीढ़ियां राजपूत राजाओं की कुलदेवी शिला माता के मंदिर की तरफ जाती है।

शिला माता मंदिर किले के गर्भ ग्रह में स्थित है। जिस का ऐतिहासिक महत्व होने के साथ-साथ धार्मिक महत्व भी है। आज के समय में जो भी पर्यटक आमेर किला घूमने के लिए आते है। वह लोग शिला माता मंदिर में दर्शन करने जरूर जाते है और वही जलेब चौक से दिखने वाली दूसरी तरफ की सीढ़ियां सिंह पोल द्वार को जाती है।

सिंह पॉल द्वार के नजदीकी ही बेहद आकर्षक संरचना दीवान-ए-आम बनी हुई है। जहां पहले राजा आम जनता के लिए दरबार लगाते थे जिसमें वह जनता की फरियाद सुनते थे लाल-पीले बलुआ संगमरमर पत्थरों से बने इस विशाल किले में दक्षिण की तरफ गणेश पोल द्वार भी स्थित है जो इस किले का सबसे आकर्षक और सुंदर वार है गणेश पोल द्वार को बेहतरीन नक्काशी एवं शानदार कारीगरी के द्वारा सजाया गया है।

गणेश पोल द्वार के ऊपर भगवान श्री गणेश जी की एक छोटी मूर्ति स्थापित की गई है इसी कारण इस द्वार को गणेश द्वार कहा गया है। शाही ढंग से सजाए गए आमेर किला जयपुर के अंदर जाने पर सुख महल, शीश महल (अपनी शीशे की पच्चीकारी के लिए प्रसिद्द है), दीवान-ए-खास और भी कई प्रकार के बेहद आकर्षक और ऐतिहासिक संरचना की बनी हुई है। किले में बनी इन संरचनाओं को अद्भुत कलाकारी और नक्काशी द्वारा सजाया गया है।

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अरावली की पहाड़ियां
(Amer fort images)

इसके साथ ही विश्व धरोहर (UNESCO) की सूची में शामिल आमेर किला जयपुर में एक चारबाग शैली द्वारा बना खूबसूरत बगीचा भी है जो इस किले की शोभा को अपनी प्राकृतिक छटा बिखेर कर और भी अधिक सुंदर बना देता है।

आपातकालीन और संकट की परिस्थिति में राजा के परिवार को जयगढ़ दुर्ग पहुंचाने के लिए आमेर किले के अंदर सुरंग का निर्माण भी किया गया था। आमेर किले से जयगढ़ दुर्ग और इसके आसपास का खूबसूरत नजारा दिखाई देता है राजस्थान के प्रसिद्ध और ऐतिहासिक दुर्गों में से एक आमेर किले की सुंदरता और भव्यता देखने के लिए हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक आते है।

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दर्शनीय स्थल | Amer Fort History In Hindi

आमेर किला जयपुर में कुछ स्थान है जो ऐतिहासिक और धार्मिक दोनों ही प्रकार से महत्वपूर्ण है।

दीवान-ए-आम 

जयपुर की अरावली पड़ गयो पहाड़ियों पर स्थित आमेर दुर्ग के परिसर में बनी ऐतिहासिक संरचनाओं में दीवान-ए-आम बहुत ही खास और ऐतिहासिक है। दीवान-ए-आम का निर्माण राजा जयसिंह द्वारा किया गया था। दीवान-ए-आम को जनता के लिए बनाया गया था। विशाल परिसर में राजा आम जनता से मुखातिब होते थे और उनकी समस्याएं सुनकर उनका निवारण करते थे।

दीवान-ए-आम को शीशे के पच्चीकारी काम के साथ खूबसूरत नक्काशीदार स्तंभों के साथ बनाया गया है। दीवान-ए-आम में बेहद आकर्षक 40 खंभे बने हुए हैं जिसमें से कुछ संगमरमर के भी है। इन खंभों पर बेशकीमती हीरे जड़े हुए है। दीवान-ए-आम के ऐतिहासिक इमारतों के पत्थरों पर अलग-अलग प्रकार की खूबसूरत चित्रों की मूर्तियां बनाई गई है।

सुख निवास

आमेर किले के अंदर दीवान-ए-आम के ठीक सामने बहुत खूबसूरत सुंदर सुख-निवास बना हुआ है जो आमेर किले की प्रमुख आकर्षणों में से एक है। सुख निवास के दरवाजे चंदन लकड़ी के बने हुए है। जिनको हाथी दांतो से सजाया गया है।

इतिहासकार बताते है कि आमेर किले के परिसर में बने सुख निवास में राजा अपनी पत्नियों के साथ रानियों के साथ अपना समय व्यतीत करते थे इसी वजह से इसे सुख निवास कहा जाता है। सुख निवास की अद्भुत कलाकारी और शानदार नक्काशी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है।

शीश महल

विश्व धरोहर की सूची में शामिल आमेर फोर्ट में एक शीश महल भी बना हुआ है, जो कई प्रकार के सुंदर दर्पण से मिलकर बनाया गया है। शीश महल को बेहद ही अनूठे तरीके से बनाया गया है। शीश महल के भीतर जब प्रकाश की कुछ करनी पड़ती है तो पूरे हॉल में प्रकाश फैल जाता है। शीश महल की सबसे खास बात यह है कि इस को प्रकाशित करने के लिए एक मोमबत्ती की रोशनी ही पर्याप्त है।

गणेश पोल द्वार

गणेश पोल आमेर किले के मुख्य ऐतिहासिक संरचनाओं में शामिल है। किले के अंदर बने दीवान-ए-आम के दक्षिण दिशा की तरफ गणेश पोल स्थित है। गणेश पोल को मिर्जा राजा जयसिंह ने लगभग 1621 से 1667 ईसवी के मध्य बनवाया था। 

राजस्थान की शान माने जाने वाले आमेर के किले में सात बेहद आकर्षक और सुंदर इमारतों में से एक गणेश पोल बारे में कहा जाता है कि जब भी कोई राजा युद्ध जीतकर आते थे तो इसी द्वार से प्रवेश करते थे जहां पर फूलों की वर्षा राजाओं पर की जाती थी।

इस बार को बेहद आकर्षक तरीके से सजाया गया है इस बार के ऊपर गणेश जी की एक प्रतिमा रखी गई है जिस कारण इस द्वार को गणेश पोल द्वार कहा जाता है।

चांदपोल दरवाजा

चांदपोल दरवाजा भी आमेर किले की ऐतिहासिक संरचनाओं में से एक है। आम जनता के प्रवेश के लिए बनाया गया था। यह दरवाजा पश्चिम दिशा में होने के साथ साथ इसको चंद्रमा उदय के कारण इसको चांदपोल दरवाजा कहते है।

दिल आरामबाग (दौलाराम बाग)

विशाल दुर्ग के अंदर दिल आरामबाग भी आमेर किले की शोभा बढ़ा रहा है। इस शानदार बाग का को 18वीं शताब्दी में निर्मित किया गया था। इस बग में सुंदर सरोवर है। दिल आरामबाग की सुंदरता को देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है। यह दिल को सुकून देने वाला बाग है। इसी कारण इस बाग को दिल आरामबाग नाम दिया गया है।

देवी शिला माता मंदिर

आमेर किले(जयपुर का किला) के अंदर माता शीला देवी का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। शिला माता मंदिर को राजा मानसिंह ने बनवाया था इस मंदिर को सफेद संगमरमर के पत्थरों द्वारा निर्मित किया गया है ऐसा कहते हैं कि महाराजा मानसिंह माता शीला देवी की मूर्ति को बंगला से लेकर आए थे।

लोग यह भी मानते है कि केदार राजा ने जब महाराजा मानसिंह से अपनी बेटी की शादी की थी तब उन्हें यह मूर्ति भी दी गई थी आज के वक्त में आमेर के परिसर में स्थित शिला माता मंदिर से हजारों लोगों की श्रद्धा आस्था जुड़ी हुई है। शिला माता के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं ऐसी श्रद्धा है कि मान्यता है, कि सच्चे मन से मानी गई सभी मुरादें शिला माता देवी मंदिर में पूरी होती है।

दीवान-ए-खास

दीवान-ए-खास भी आमेर दुर्ग की आकर्षण संरचनाओं में सम्मिलित है। दीवान-ए-खास राजाओं के मेहमनों के लिए बनवाई गई थी, इसमें राजा अपने खास मेहमानों और दूसरे राज्यों से मिलते थे।

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आमेर का किला, जयपुर का किला

आमेर का किला जयपुर राजस्थान को 16 वीं शताब्दी में महाराजा मानसिंह ने बनवाया था इस किले का नाम मां दुर्गा के अंबा नाम पर रखा गया था। हिंदू मुगलों की वास्तु शैली से बना यह अनूठा किला अपने आकर्षण की वजह वर्ष जून 2013 में यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज (UNESCO World Heritage) की सूची में सम्मिलित किया गया है।

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झील से आमेर महल  का दृश्य

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भारत के सबसे महत्वपूर्ण किलो में सम्मिलित आमेर किला। इसके परिसर में शीश महल, दीवाने खास, दीवाने आम, सुख निवास आदि बने हुए है। आमेर दुर्ग का निर्माण राजाओं के परिवार के रहने के लिए किया गया था। इस दुर्ग के परिसर में बनी ऐतिहासिक संरचनाओं में शीश महल सबसे मुख्य है, जो अपनी अद्भुत नक्काशी और कलाकारी के लिए प्रसिद्ध है। शीश महल को दुनिया का सबसे बेहतरीन कांच घर भी माना जाता है।

आमेर का किला तथ्य | Amer fort facts

  • राजस्थान की राजधानी जयपुर से करीब 11 किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों पर स्थित आमेर का किला (जयपुर किला)कई शताब्दियों पहले कच्छावाहा वंश की राजधानी हुआ करता था, लेकिन जयपुर शहर की स्थापना के पश्चात नवनिर्मित जयपुर शहर को कच्छावाहा वंश की राजधानी बना दिया गया।
  • आमेर दुर्ग के अंदर 27 कचहरी नामक एक विशाल इमारत भी बनी हुई है जो यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है। आमेर फोर्ट, आमेर किला, जयपुर का इतिहास
  • आमेर दुर्ग के सामने मोटा नामक एक बेहद खूबसूरत झील भी है जो इस किले की शोभा बढ़ा रही है।
  • 2007 के आंकड़ों के मुताबिक उस वर्ष यहां करीब 15 लाख से ज्यादा पर्यटक आमेर किले को घूमने के लिए आए थे।

  • राजस्थान के इस बेहद आकर्षक और विशाल आमेर दुर्ग के अंदर पर्यटकों के लिए एक बाजार भी लगता है। जहां पर पर्यटक रंग-बिरंगे पत्थर एवं मोतियों से बनी वस्तुएं हस्तशिल्प की वस्तुएं खरीद सकता है।
  • आमेर दुर्ग के अंदर बॉलीवुड और हॉलीवुड की कई सुपरहिट फिल्मों की शूटिंग भी की जा चुकी है। जिनमें बॉलीवुड की फिल्म बाजीराव मस्तानी , शुद्ध देसी रोमांस , mughal-e-azam , भूलभुलैया  , जोधा अकबर आदि सम्मिलित है वही हॉलीवुड फिल्मों में द बेस्ट एग्जॉटिक मेरीगोल्ड होटल , नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर आदि सम्मिलित है।

आमेर किला लाइट एंड शो | Amer fort Light and Sound show

राजस्थान की सबसे ऐतिहासिक दुर्ग आमेर में हर रोज शाम को लाइट एंड साउंड का शो (Amer Fort Light and Sound Show) भी आयोजित किया जाता है। यह शो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। शो में आमेर किले की खूबसूरत इतिहास एवं साहसी राजाओं के बारे में भी इस Light and Sound Show में बताया जाता है। यह शो करीब 50 मिनट तक चलता है।

बॉलीवुड के महान अभिनेता अमिताभ बच्चन ने आमेर फोर्ट लाइट एंड शो (Amer Fort Light and Sound Show)  में अपनी आवाज दी है। पर्यटकों को इस शो के लिए अलग से टिकट खरीदनी पड़ती है।

जयपुर के प्रमुख मंदिर और धार्मिक स्थल 

  • बिरला मंदिर 
  • गलता जी मंदिर 
  • अक्षरधाम मंदिर 
  • गोविंद देव जी मंदिर 
  • जगत शिरोमणि मंदिर 
  • मोती डूंगरी गणेश जी मंदिर

जयपुर में घूमने के लिए प्रमुख जगह 

  • सांभर झील 
  • चोखी ढाणी 
  • राज मंदिर सिनेमा 
  • अमर जवान ज्योति

जयपुर के प्रमुख दर्शनीय स्थल 

जयपुर में देखने के लिए प्रमुख देखने लायक स्थान 

  • चांद बावड़ी 
  • वृंदावन गार्डन 
  • मसाला चौक 
  • चांदपोल 
  • स्टैचू सर्किल जयपुर 
  • सेंट्रल पार्क जयपुर 
  • विद्याधर गार्डन 
  • कनक वृंदावन गार्डन 
  • जवाहर कला केंद्र 
  • जूलॉजिकल गार्डन जयपुर 
  • माधवेंद्र पैलेस स्कल्पचर पार्क 
  • ईसरलाट या सरगासूली टॉवर 
  • जन्तर मन्तर जयपुर

जयपुर के प्रमुख उत्सव और त्योहार

  • पतंग महोत्सव 
  • एलीफेंट फेस्टिवल 
  • साहित्य उत्सव

आमेर किला टाइमिंग | Amer Fort timings

आमेर का किला प्रात सुबह 8 बजे से शाम 5:30 तक खुला रहता है। Amer fort jaipur timings 

आमेर फोर्ट एंट्री फीस | Amer fort entry fee

Amer fort entry fee भारतीयों और विदेशी पर्यटकों  अलग - अलग है। जो निम्न अनुसार है। 

भारतीयों लोगों के लिए | Amer Fort Entry Fee

आमेर महल घूमने के लिए भारतीय लोगों को  100 रूपए का टिकट लेना होता है। इसी टिकट के द्वारा पर्यटक पुरे आमेर किले को घूम सकते है।  वही भारतीय विद्यार्थीओं के लिए टिकट शुल्क 10 रूपए है। 

विदेशी लोगों के लिए | Amer Fort Entry Fee

विदेशी लोगों के आमेर महल घूमने के लिए 500 रूपए का टिकट और विदेशी विद्यार्थीयों के लिए 100 रूपए का टिकट खरीदना पड़ता है।

कैसे पहुंचे आमेर किला, जयपुर | How to reach Amer fort from jaipur

आमेर का किला जयपुर से लगभग 11 किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों पर स्थित है। आमेर दुर्ग को देखने के लिए आपको सबसे पहले जयपुर पहुंचना होगा। 

जयपुर कैसे पहुंचे

जयपुर पहुंचने के लिए आप सड़क रेल और वायु तीनों मार्गो का उपयोग कर सकते है। 

ट्रैन से

जयपुर में भारत के हर शहर से ट्रैन आती है। आप ट्रैन से जयपुर पहुंच  सकते है। जयपुर रेलवे स्टेशन के बाहर आपको टैक्सी मिल जाएगी टैक्सी बुक करके आप Amer Fort from Jaipur जा सकते है।

flight से

आप फ्लाइट लेकर जयपुर पहुंच सकते है। जयपुर में हर शहर से flights आती है। Airport के बाहर आपको टैक्सी मिल जाएगी। जिसके द्वारा आप आमेर किले तक पहुंच जायेंगे। जयपुर एयरपोर्ट से आमेर का किला 28 km दूरी पर  है। 

सड़क से

हर राज्य और हर शहर से सड़क आती है। आप अपनी पर्सनल गाड़ी से या टैक्सी से जयपुर पहुंच सकते है। आप Amer Fort from Jaipur जा सकते है।

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