विक्रम बेताल की कहानी भाग 5 | बेताल पच्चीसी की कहानी | Vikram Betal Ki Kahani

विक्रम बेताल की कहानी का अगला भाग सुनाने वाले है। बेताल के द्वारा विक्रमादित्य को सुनाई गई कहानियां बच्चे और बूढ़े बड़ी उत्सुकता के साथ सुनते है। बेताल के द्वारा सुनाई गयी सभी कहानियां बहुत ज्ञानवर्धक है जो बच्चों को जरूर सुनानी चाहिए।

आइए विक्रम बेताल की कहानीविक्रम बेताल की कहानी भाग 5

राजकुमारी से किसका विवाह होना चाहिए | विक्रम बेताल की कहानी भाग 5

राजकुमारी से किसका विवाह होना चाहिए | विक्रम बेताल की कहानी भाग 5 | विक्रम बेताल की कहानी

मगधदेश में महाबल राजा का शासन था। जिसकी पुत्री महादेवी बहुत ही रूपवती और आदित्य थी। जब राजकुमारी महादेवी ब्याह के योग्य हो गई। तब राजा को महादेवी की चिंता होने लगी। कई राजकुमार आए लेकिन राजकुमारी महादेवी को कोई भी पसंद नहीं आया।

महाबल में सोचा – जो राजकुमार बहुत शक्तिशाली गुणवान होगा, वही राजकुमारी महादेवी से विवाह करेगा। 

एक दिन महाबल राजा के दरबार में एक राजकुमार आता है और कहता है – मैं राजकुमारी महादेवी का हाथ आप से मांगने आया हूं।

राजा बोला – मैं अपनी पुत्री का विवाह उसी से करूगा जिसमें सब गुण होंगे जो सर्वगुण संपन्न होगा।

राजकुमार ने कहा – मेरे पास ऐसा रथ है जिस पर बैठकर, पल भर में आप जहां मर्जी पहुंच जाओगे। 

राजा महाबल बोला – ठीक है। आप कुछ दिन इंतजार करें। मैं अपनी पुत्री से पूछ कर बताता हूं। 

फिर एक दिन एक नया राजकुमार आता है जो कहता है – मैं त्रिकालदर्शी हूं अर्थात में भूतकाल वर्तमान काल और भविष्य काल तीनों की बातें जानता हूं। 

राजा उसे भी इंतजार करने को कहता है। 

कुछ दिनों के पश्चात पुनः एक नया राजकुमार आता है जो कहता है – मैं धनुर्विद्या में निपुण हूं। धनुष चलाने में कोई भी मेरा मुकाबला नहीं कर सकता। 

इस प्रकार 3 वर राजकुमारी महादेवी के लिए एकत्र हो जाते है। राजा महाबल सोचते है कि मेरी पुत्री एक है। और राजकुमार 3 और तीनों ही राजकुमार बहुत सुंदर गुणवान है। अब क्या किया जाए ?

तब एक राक्षस राजकुमारी को उठाकर विंध्याचल पहाड़ पर ले कर चला जाता है। 

विक्रम बेताल की कहानी भाग 5 | विक्रम बेताल की कहानियां

तीनों राजकुमारों में से जो राजकुमार त्रिकालदर्शी था राजा उसके समक्ष जाकर बताता है – वह राजकुमारी को उठाकर विंध्याचल पहाड़ पर ले गया है। 

दूसरे राजकुमार ने कहा – आप मेरे रथ पर बैठे, कुछ पलों में ही हम विंध्याचल पर्वत पहुंच जाएंगे। 

तीसरा राजकुमार बोला – मैं शब्दभेदी बाण चलाना जानता हूं और मेरे लिए राक्षस को मारना बहुत आसान है। 

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वे सभी रथ पर बैठकर विंध्याचल पर्वत पहुंचे और राक्षस को मारकर राजकुमारी को सुरक्षित वापस ले आए। 

इतना कहकर बेताल बोला – हे राजन आप न्याय प्रिय राजा विक्रमादित्य है। आप ही न्याय करो कि राजकुमारी से किसका विवाह होना चाहिए ?

राजा विक्रम ने कहा – जिसने राक्षस को खत्म किया उससे राजकुमारी का विवाह होना चाहिए, क्योंकि असलता में वीर वही है बाकी दो राजकुमारों ने तो राजकुमारी की मदद की है। एक ने ज्ञान से और दूसरे ने रथ से।

इतना कहते ही बेताल पुनः पीपल के पेड़ पर जाकर उल्टा लटक गया और राजा विक्रम दोबारा से बेताल को लेकर आ गए निकल पड़े।

रास्ते में बेताल फिर एक नई कहानी राजा विक्रम को सुनाता है।

 विक्रम बेताल की कहानियां  :-

बेताल ने राजा विक्रम को उस एक रात में 24 कहानियां सुनाई थी और अंतिम कहानी उस योगी की थी जिसके कारण बेताल विक्रम बेताल की कहानियों को एक जगह संग्रहित कर के उसको बेताल पच्चीसी नाम दिया गया।

आगे आने वाले भाग में हम आपको विक्रम बेताल की कहानियां , विक्रम बेताल की कहानी के सभी भाग सुनाएंगे।जिसमे आपको पता चलेगा की बेताल ने कौन कौनसी ज्ञानवर्धक कहानियां राजा विक्रम को सुनाई थी। 

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