विक्रम बेताल की कहानी भाग 3 | बेताल पच्चीसी की कहानी | Vikram Betal Ki Kahani

विक्रम बेताल की कहानी का अगला भाग सुनाने वाले है। बेताल के द्वारा विक्रमादित्य को सुनाई गई कहानियां बच्चे और बूढ़े बड़ी उत्सुकता के साथ सुनते है।

आइए विक्रम बेताल की कहानीविक्रम बेताल की कहानी भाग 3

विक्रम बेताल की कहानी भाग 3

विक्रम बेताल की कहानी भाग 3 | विक्रम बेताल की कहानी

यमुना नदी के तट पर धर्मस्थान नामक नगरी थी। जहाँ गणाधिप राजा शासन करता था। धर्मस्थान नगर में केशव नाम का एक ब्राह्मण भी रहता था। ब्राह्मण रोजाना यमुना किनारे तप करने जाता था। ब्राह्मण के मालती नाम की बहुत ही रूपवान पुत्री थी। 

जब मालती की उम्र शादी योग्य हो गयी तो माता-पिता और भाई को उसके ब्याह की चिंता सताने लगी। एक दिन ब्राह्मण अपने किसी यजमान के यहाँ बारात में गया हुआ था और मालती का भाई पढ़ने गया हुआ था। 

उसी दिन सयोंगवश उनके घर एक ब्राह्मण का लड़का आता है। मालती की माँ ने लड़के के गुणों और रूप को देखकर उसे वचन देती है - मैं तुम्हारा ब्याह अपनी बेटी मालती से करुँगी। 

दूसरी तरफ मालती के पिता को भी एक ब्राह्मण का लड़का मिला और जिसे ब्राह्मण ने वचन दिया - की वह अपनी बेटी मालती का ब्याह उसी से करेगा। 

उधर मालती का भाई पढ़ने गया था ,जहाँ उसे भी ब्राह्मण लड़का मिलता है तो वह भी उसको वचन दे देता है - मेरी बहन मालती का ब्याह तुमसे ही करूँगा। 

कुछ समय पश्चात जब ब्राह्मण घर आया तो देखा की वहाँ एक ब्राह्मण का लड़का पहले से है। थोड़ी देर बाद मालती का भाई भी एक ब्राह्मण लड़के को लेकर आया। थोड़ी ही देर में मालती के माता-पिता और भाई को सब समझ आ गया। 

तीनो सोचने लग गए की अब क्या करे ? किस ब्राह्मण पुत्र से मालती का ब्याह करे ?

तभी मालती को सर्प काट लेता है। मालती के माता-पिता और भाई सहित तीनो ब्राह्मण युवकों ने वैध को बुलाया और जहर झाड़ने वाले को बुलाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। सब अपना अपना उपचार करके चले गए। लेकिन मालती की मौत हो जाती है। 

विक्रम बेताल की कहानियां | विक्रम बेताल की कहानी भाग 3

दुःख से विलाप करते हुए सभी मालती को श्मशान लेकर गये और उसका दाह-संस्कार कर वापस लौट आये। 

तीनो लड़को में से पहले लड़के ने मालती की हड्डिया समेट ली और फ़क़ीर बनकर जंगल में चला गया। 

दूसरे लड़के ने मालती की के शरीर की राख को गठरी बाँध, वही झोपड़ी बनाकर बस गया। 

तीसरा लड़का योगी (साधू, सन्यासी) बनकर नगर -नगर घूमने लगा। 

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एक बार वह तीसरा लड़का घूमते-घूमते किसी नगर में जा पहुँचा। जहां वह एक ब्राह्मण के घर गया। उस ब्राह्मण के एक लड़का था जो उस नगर के राजा के यहाँ सैनिक था। जब ब्राह्मण भोजन पर बैठा तो कुछ सैनिक उस ब्राह्मण के बेटे का शव लेकर आते है। वे सैनिक उस घटना के बारे में बताते है जिसके कराण उसके लड़के की मौत हुई थी। 

बेटे का शव देखकर ब्राह्मण की पत्नी दुख से विलाप करने लगी, जिसे देखकर योगी ने भी अपना  भोजन बीच में छोड़ खड़ा हो गया। ब्राह्मणी का रोना उसके पति से देखा नहीं गया। उसके पास पूर्वजो की दी हुई संजीवनी विद्या की पोथी थी। ब्राह्मण ने जैसे ही संजीवनी विद्या का मन्त्र पढ़ा तो उसका मरा हुआ लड़का जीवित हो उठा। 

यहाँ देखकर वह योगी आश्चर्यचकित हो गया। योगी ने सोचा की अगर वह संजीवनी विद्या की पोथी मेरे हाथ आ जाए तो मैं मालती को फिर से जीवित कर लूंगा। इसके बाद उस योगी ने खाना खाया और  ब्राह्मण के घर ही रुक गया। रात को जब सभी भोजन करके सो गये तो योगी चुपचाप धीरे से उस पोथी को लेकर चल पड़ा। 

अब योगी उसी स्थान पर जा पहुँचा जहाँ मालती का दाह-संस्कार गया था। वह जाकर देखता है - दोनों लड़के वह बैठे बाते कर रहे थे। योगी ने दोनों को संजीवनी विद्या की पोथी के बारे में बताया। दोनों ने अपने पास रखी मालती की हड्डिया और राख निकाली। जैसे ही योगी ने मन्त्र पढ़ा मालती जीवित हो उठी। अब फिर से वे तीनो मालती के लिए झगड़ने लगे।

विक्रम बेताल की कहानियाँ | विक्रम बेताल हिंदी कहानी

इतनी कहानी सुनाकर बेताल बोला - "हे राजन, अब बताओ की वह लड़की किसकी पत्नी बननी चाहिए?"

राजा विक्रम ने जवाब दिया - "जो लड़का वह झोपड़ी बनाकर रह रहा था (जो मालती के शरीर की राख को रखे हुए था) उसकी।

बेताल - "उसकी क्यों?" 

तब राजा विक्रम - "जिसने हड्डिया रखी,वह उसके बेटे के समान हुआ। जिसने संजीविनी विद्या से जीवन दान दिया,वो बाप के समान हुआ और जो राख लेकर रमा रहा,वही उसका हक़दार हुआ। 

राजा विक्रम का उत्तर सुनकर बेताल कहता है - "राजन तुमने अच्छा गणित लगाया पर अपनी शर्त भूल गये" और इतना कहकर बेताल फिर उसी पीपल के पेड़ पर जा बैठा। राजा विक्रम फिर लोटे और बेताल को लेकर फिर से चल पड़े। 

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बेताल ने राजा विक्रम को उस एक रात में 24 कहानियां सुनाई थी और अंतिम कहानी उस योगी की थी जिसके कारण बेताल विक्रम बेताल की कहानियों को एक जगह संग्रहित कर के उसको बेताल पच्चीसी नाम दिया गया।

आगे आने वाले भाग में हम आपको विक्रम बेताल की कहानियां , विक्रम बेताल की कहानी के सभी भाग सुनाएंगे।जिसमे आपको पता चलेगा की बेताल ने कौन कौनसी ज्ञानवर्धक कहानियां राजा विक्रम को सुनाई थी। 

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