विक्रम बेताल की कहानी भाग 6 | बेताल पच्चीसी की कहानी | Vikram Betal Ki Kahani

विक्रम बेताल की कहानी का अगला भाग सुनाने वाले है। बेताल के द्वारा विक्रमादित्य को सुनाई गई कहानियां बच्चे और बूढ़े बड़ी उत्सुकता के साथ सुनते है। बेताल के द्वारा सुनाई गयी सभी कहानियां बहुत ज्ञानवर्धक है जो बच्चों को जरूर सुनानी चाहिए। 

आइए विक्रम बेताल की कहानीविक्रम बेताल की कहानी भाग 6

विक्रम बेताल की कहानी भाग 6

स्त्री किसकी हुई ? | विक्रम बेताल की कहानी भाग 6 | विक्रम बेताल की कहानी

धर्मपुर नगरी में धर्मशील राजा राज करता था। राजा के अंधक नाम का दीवान भी था। एक दिन दीवान कहता है महाराज मंदिर बनवा कर देवी को बैठा कर पूजा की जाए तो बहुत बड़ा पुण्य मिलेगा।

राजा दीवान के कहे अनुसार करता है। एक दिन देवी मां प्रसन्न होकर राजा को वर मांगने को कहती हैं धर्मशील राजा की कोई संतान नहीं थी तो उसने देवी से पुत्र प्राप्ति की मांग की देवी ने बोला अच्छी बात है राजा तुझे बहुत बड़ा प्रतापी पुत्र प्राप्त होगा।

कुछ दिन बाद राजा को एक लड़का हुआ सभी राजा को पुत्र प्राप्ति की खुशी में खुश थे। 

एक दिन धोबी अपने मित्र के साथ उस नगर में आता है। धोबी की नजर देवी के मंदिर पर गई। उसने देवी मां को प्रणाम किया। उसी समय उसको एक धोबी की लड़की दिखी जो बहुत ही सुंदर और रूपवान थी। धोबी उसको देखकर उसकी तरफ आकर्षित हो गया। उसने मंदिर में जाकर प्रार्थना की - हे देवी मां यह लड़की मुझे मिल जाए, तो मैं तुझ पर अपना शीश चढ़ा दूंगा।

इसके बाद वह धोबी हर घड़ी बेचैन रहने लगा। जब उसके पिता को उसके मित्र से पूरा हाल मालूम हुआ तो वह अपने बेटे की यह हालत देखकर लड़की के पिता के पास जाता है और उनसे अपने पुत्र का विवाह उसकी सुंदर कन्या से करने का आग्रह करता है।

इसके बाद दोनों का विवाह हो जाता है।

विक्रम बेताल की कहानियां | Vikram Betal Ki Kahani

कुछ दिन के बाद लड़की के पिता यहां उत्सव हुआ। जिसमें लड़के को शामिल होने का न्योता आया। तो वह अपनी पत्नी और मित्र को साथ लेकर रास्ते में चलते है।

रास्ते में देवी का मंदिर दिखाई दिया तो धोबी को अपना वादा याद आया। उसने मित्र और अपनी पत्नी को थोड़ी देर रुकने के लिए कहा और खुद देवी के मंदिर में जाकर तलवार से अपना शीश काटकर देवी के चरणों में अर्पित कर दिया। 

जब देर हो जाने के पश्चात उसका मित्र देवी के मंदिर में गया तो देखा कि धोबी का शीश और शरीर दोनों अलग-अलग पड़े है। 

उसने यह सोचा कि यह सब यह सोचेंगे कि उसने, ही अपने मित्र की पत्नी सुंदर पत्नी को हड़पने के लिए, हत्या की है। इससे अच्छा है कि मैं भी इसी तलवार से अपना शीश काट लू। इसके बाद उसने भी अपनी अपना शीश काट लेता है। 

बाहर खड़ी धोबी की पत्नी इंतजार में व्याकुल हो रही थी। थोड़ी देर बाद जब वो भीतर गई तो वह देखती है की दोनो के सर धड़ से अलग पड़े है। वह सोचने लगी कि दुनिया बहुत बुरी है। यह सोचेंगी की इस औरत ने इन दोनों को मार दिया।

इसलिए मेरी बदनामी हो उससे अच्छा है कि मुझे मर जाना चाहिए। जैसे ही वह स्त्री तलवार को अपनी गर्दन पर रखती है देवी प्रकट होती है।

विक्रम बेताल की कहानी | vikram betal story in hindi

देवी कहती हैं - मैं तुझ पर बहुत प्रसन्न हूं तुम जो चाहे वर मांग लो। 

स्त्री बोली - हे देवी मां इन दोनों को वापस जिंदा कर दो। 

देवी ने कहा - अच्छा तुम दोनों के सिर मिला कर रखो। 

घबराहट में स्त्री ने दोनों व्यक्तियों के सिर अलग-अलग जोड़ दिए  एक का शीश दूसरे के धड़ पर लगा दिया और दूसरे का धड़ पहले के सिर पर लगा दिया। 

जैसे ही देवी ने दोनों को जिंदा किया तो वे आपस में झगड़ने लगे। एक कहता मेरी स्त्री है दूसरा कहता मेरी स्त्री है। 

इतनी कहानी सुनाने के बाद बेताल बोला - हे राजन बताओ वह किसकी स्त्री हुयी ?

राजा ने कहा - नदियों में गंगा उत्तम। पर्वतों में सुमेरू,वृक्षों में कल्पवृक्ष, और अंगों में सिर। इसलिए जिस शरीर पर पति का सिर लगा हो वही उसका पति होना चाहिए।

इतना कहकर बेताल पेड़ पर जा लटका। राजा उसे वापस पकड़ कर लाता है और नगर को निकल पड़ते है। 

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आगे आने वाले भाग में हम आपको विक्रम बेताल की कहानियां , विक्रम बेताल की कहानी के सभी भाग सुनाएंगे।जिसमे आपको पता चलेगा की बेताल ने कौन कौनसी ज्ञानवर्धक कहानियां राजा विक्रम को सुनाई थी। 

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