विक्रम बेताल की कहानी भाग 14 | बेताल पच्चीसी की कहानी | Vikram Betal Ki Kahani

Vikram Betal Ki Kahani का अगला भाग सुनाने वाले है। बेताल के द्वारा विक्रमादित्य को सुनाई गई कहानियां बच्चे और बूढ़े बड़ी उत्सुकता के साथ सुनते है। बेताल के द्वारा सुनाई गयी सभी कहानियां बहुत ज्ञानवर्धक है जो बच्चों को जरूर सुनानी चाहिए।  

आइए Vikram Betal Ki Kahaniविक्रम बेताल की कहानी भाग 14

विक्रम बेताल की कहानी भाग 14

चोर हँसने से पहले क्यों रोया ? | विक्रम बेताल की कहानी भाग 14

बहुत समय पहले अयोध्या नगरी में वीरकेतू राजा शासन करता था। अयोध्या नगरी में रतनदत्त नामक साहूकार था जिसकी सुंदर पुत्री थी। जिसका नाम रत्नावती था। रत्नावती हमेशा लड़के के भेष में रहती थी।

रत्नावती की सुंदरता पर कई राजा और सेेठ मोहित थे और उससे विवाह करना चाहते थे। लेकिन वह किसी से भी शादी नहीं करना चाहती थी। कई राजा महाराजाओं ने विवाह का प्रस्ताव भेजा लेकिन उसने सबको मना कर दिया। जिसके कारण साहूकार का दुख और भी बढ़ गया।

इन दिनों नगर में चोरियां होने लगी। जिसके कारण प्रजा दुखी होने लगी। कोशिश करने के बाद भी चोर पकड़ में नहीं आ रहा था तो राजा स्वयं खुद चोर को पकड़ने के लिए निकले।

रत्नावती की एक अजीब आदत थी कि उसे फल चुराकर खाने में बहुत आनंद आता था। इसी आदत से रत्नावती रात के समय पेड़ से एक फल तोड़ने की कोशिश कर रही थी और उसी समय चोर वहां से गुजर रहा था जब उसने रत्नावती को फल की चोरी करते देखा तो उसकी मदद की और उसे फल तोड़ना सिखाया।

रत्नावती प्रत्येक रात को फल तोड़ने आती और चोर भी उसी समय उधर से गुजरता तो उसकी मदद करता। धीरे-धीरे दोनों में प्रेम हो गया।

कई दिनों के बाद भी जब राजा को चोर पकड़ में नहीं आया तो उसने चोर को पकड़ने के लिए एक युक्ति सूझी। जैसे लोहा लोहे को काटता है वैसे ही राजा ने सोचा।

राजा ने एक युक्ति का प्रयोग किया। एक दिन रात के समय राजा धन की पोटली लेकर चोर के भेष में घूम रहा था तो परकोटे के पास एक आदमी दिखाई दिया। राजा चुपचाप उसके पीछे चल दिया।

दोनों कुछ दूर जाने के बाद दोनों एक घर के पास पहुंचे। चोर पीछे की तरफ से घर में घुसा और राजा सामने वाले दरवाजे से। जब दोनों घर के अंदर पहुंचे तो दोनों की मुलाकात हुई।

चोर ने राजा से पूछा - तुम कौन हो और यहां क्या कर रहे हो?

राजा ने कहा - मैं चोर हूं लेकिन तुम कौन हो?

चोर ने राजा की पोटली की तरफ देखा और कहा - अच्छा तब तो तुम मेरे साथी ही हो, सुबह होने को है। चलो आओ मेरे घर चलें।

दोनों चोर के घर पहुंचे। चोर राजा को बैठाकर कुछ काम करने के लिए चला गया। उसी समय एक दासी वहां आई और बोली तुम यहां क्यों आए हो, चोर तुम्हें मार डालेगा। यहां से भाग जाओ।

विक्रम बेताल की कहानियां | vikram betal story in hindi

राजा ने ऐसा ही किया और फौज लाकर चोर के घर को चारों तरफ से घेर लिया। जब चोर ने देखा तो राजा से लड़ने के लिए तैयार हो गया। दोनों में खूब लड़ाई हुई और आखिर में चोर हार गया।

राजा चोर को पकड़ कर राजधानी में लाया और सूली पर लटकाने का आदेश दे दिया।

संयोग से रत्नावती ने उसे देखा तो पिता से बोली - मैं इसके साथ ही शादी करूंगी नहीं तो मैं मर जाऊंगी। सेठ के पास कोई उपाय नहीं था क्योंकि रत्नावती को पहली बार कोई लड़का पसंद आया था।

साहूकार राजा के पास जाता है और चोर को आजाद करने के लिए जुर्माना भरने को तैयार हो जाता है लेकिन राजा उसकी बात नहीं मानता और चोर को सूली पर लटका दिया।

सूली पर लटकने से पहले चोर बहुत रोया और फिर खूब हंसा।

चोर के सूली पर लटकने के बाद रत्नावती वहां पहुंची और चोर के सिर को अपनी गोद में लेकर चिता में बैठकर सती हो गई।

उसी समय देवी ने आकाशवाणी की - मैं तेरी पतिभक्ति से बहुत प्रसन्न हूं जो चाहे सो मांग ले।

रत्नावती ने कहा - मेरे पिता को कोई पुत्र नहीं है उन्हें पुत्र की प्राप्ति हो।

देवी बोली - यही होगा और कुछ मांग।

वह बोली - मेरा पति जीवित हो हो जाए।

देवी ने उसे जीवित कर दिया और दोनों का विवाह हो गया। जब राजा को मालूम हुआ तो राजा ने चोर को अपने दरबार में रख लिया।

इतनी कहानी सुनाकर बेताल राजा से पूछा - हे राजन! बताओ सूली पर लटकने से पहले चोर जोर-जोर से क्यों रोया और फिर क्यों हंसते-हंसते मर गया?

तब राजा विक्रमादित्य कुछ नहीं बोले। फिर बेताल बोला राजन यदि तुम उत्तर जानने के बाद भी नहीं बोलोगे तो मैं तुम्हारे सिर के टुकड़े कर दूंगा।

तब राजा विक्रमादित्य बोले - सुनो बेताल, चोर इसलिए रोया क्योंकि चोर ने चुराए हुए धन का कोई उपयोग नहीं किया और वह जिस शरीर के लिए चोरी कर रहा था अब उसको छोड़ देगा और वह हंसा इसलिए कि रत्नावती बड़े-बड़े राजाओं और धनवानो पर छोड़कर एक चोर पर मोहित होकर मरने को तैयार हो गई। स्त्री के मन को कोई नहीं समझ सकता।

इतना सुनकर बेताल बहुत खुश हुआ और बोला राजा तुम बहुत बुद्धिमानी हो लेकिन नही बोलने की शर्त तुमने तोड़ दी। राजन अब मैं चला। और बेताल पेड़ पर जाकर लटक गया।

राजा विक्रम फिर पेड़ से बेताल को पेड़ से उतार कर चलते है और रास्ते में बेताल दुबारा से राजा विक्रम को एक नई कहानी सुनाता है।

तो आज की विक्रम बेताल की कहानी में इतना ही फिर मिलते है नई कहानी के साथ सुनते रहिए Rahasyo Ki Duniya पर विक्रम बेताल की कहानियां

 विक्रम बेताल की कहानियां  :-

आगे आने वाले भाग में हम आपको विक्रम बेताल की कहानियां , विक्रम बेताल की कहानी के सभी भाग सुनाएंगे।जिसमे आपको पता चलेगा की बेताल ने कौन कौनसी ज्ञानवर्धक कहानियां राजा विक्रम को सुनाई थी। 

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