विक्रम बेताल की कहानी भाग 18 | बेताल पच्चीसी की कहानी | Vikram Betal Ki Kahani

Vikram Betal Ki Kahani का अगला भाग सुनाने वाले है। बेताल के द्वारा विक्रमादित्य को सुनाई गई कहानियां बच्चे और बूढ़े बड़ी उत्सुकता के साथ सुनते है। बेताल के द्वारा सुनाई गयी सभी कहानियां बहुत ज्ञानवर्धक है जो बच्चों को जरूर सुनानी चाहिए। 

आप सुन रहे है रहस्य की दुनिया पर Vikram Betal Ki Kahani। कई कहानी सुनाने के बाद एक बार फिर राजा विक्रमादित्य बेताल को पेड़ से उतारकर योगी के पास ले जाने के लिए आगे बढ़ते है।

आइए विक्रम बेताल की कहानीविक्रम बेताल की कहानी भाग 18

विक्रम बेताल कहानी भाग 18

विद्या क्यों नष्ट हुई ? | विक्रम बेताल की कहानी भाग 18

उज्जैन नगरी का राजा महासेन था। राज्य में वासुदेव नामक ब्राह्मण भी रहता था। जिसके गुणाकर नामक पुत्र था। गुणाकर बड़ा ही ज्वारी था जिसन अपने पिता द्वारा अर्जित सारा धन जुए में हार गया। जिसके पश्चात ब्राह्मण ने उसको घर से निकाल दिया। 

जब गुणाकर दूसरे नगर में पहुंचा तो वहां उसे योगी मिला। योगी ने गुणाकर को हैरान देखा तो कारण पूछा। जिसके पश्चात गुणाकर ने सब बता दिया। योगी ने कहा पहले कुछ खा लो। जिसके बाद गुणाकर ने कहा मैं ब्राह्मण पुत्र हूं मैं आपकी भिक्षा नहीं खा सकता। 

इतना सुनकर योगी ने सिद्धि याद किया और वह आई। योगी ने उसको आवभगत करने को कहा। सिद्धि ने एक सोने का महल बनवाया और गुणाकर उसमें रात को अच्छी तरह से रहा। 

सवेरे उठते ही उसने देखा कि वहां महल कुछ भी नहीं है। उसने योगी से कहा - महाराज मैं उस स्त्री के बिना नहीं रह सकता। योगी ने कहा वह तुम्हें एक विद्या प्राप्त करने के पश्चात मिलेगी और विद्या जल के अंदर खड़े होकर मंत्र जाप करने से अर्जित होगी लेकिन जब वह लड़की तुम्हें मेरी सिद्धि से मिल सकती है तो तुम विद्या अर्जित करके क्या करोगे।

लेकिन गुणाकर ने कहा नहीं मैं खुद विद्या प्राप्त करूंगा। योगी ने बोला कहीं ऐसा न हो कि तुम विद्या अर्जित न कर पाओ और मेरी सिद्धि भी खत्म हो जाए। लेकिन यह गुणाकर नहीं माना। 

योगी गुणाकर को एक नदी किनारे ले जाकर मंत्र बता देता है और कहता है कि जब तुम जप करते हुए माया से मोहित होगे तो मैं तुम पर अपनी विद्या का प्रयोग करूंगा। उस समय तुम अग्नि में प्रवेश कर जाना। 

गुणाकर मंत्र जाप करने लगा और जब वह माया से एकदम मोहित हो गया तो देखता है कि वह किसी ब्राह्मण के रूप के बेटे के रूप में पैदा हुआ है उसका विवाह हो गया है और बाल बच्चे भी हो गए हैं लेकिन वह अपने जन्म की बात भूल गया। 

तभी योगी ने अपनी विद्या का प्रयोग किया गुणाकर माया रहित होकर अग्नि में प्रवेश करने को तैयार हुआ हो गया। उसी समय उसने देखा है कि उसे मरता देख कर उसके मां-बाप रोने लगे और उसे आग में जाने से रोक रहे है। गुणाकर ने सोचा कि मेरे मरने पर यह सब भी मर जाएंगे और पता नहीं जो भी बात सत्य हो या नहीं हो। इस तरह सोचता हुआ वो आग में घुसा तो आग ठंडी हो गई और माया भी शांत हो गई।

विक्रम बेताल की कहानियां | vikram betal story in hindi

गुणाकर चकित हो गया और योगी पास आकर उसे सारी घटना बताई। योगी ने कहा मालूम होता है कि तुम्हारे विद्या अर्जित करने के प्रयास में कोई कसर रह गई। 

योगी ने श्रम से अर्जित की सिद्धि याद की लेकिन वह भी नहीं आई। इस तरह है योगी और गुणाकर दोनों की विद्या नष्ट हो जाती है। 

इतनी कहानी सुनाकर बेताल ने राजा विक्रम से पूछा राजन बताओ दोनों की विद्या क्यों नष्ट हुई? 

राजा विक्रम बोले - इसका जवाब बिल्कुल सरल है। निर्मल और शुद्ध संकल्प करने से ही विद्या प्राप्त होती है।  गुणाकर के मन में शंका उत्पन्न हुई कि पता नहीं योगी की बात सत्य होगी या नहीं। योगी की विद्या इसलिए नष्ट हुई कि उसने अपात्र व्यक्ति को अपनी विद्या दी। 

राजा का उत्तर सुनकर बेताल खुश हुआ और बोला राजन तुमने अपने बोलने की शर्त भुला दी। अब मैं चला और बेताल वापस से पीपल के पेड़ पर जाकर लटक जाता है। इसके पश्चात राजा विक्रम बेताल के पीछे पीछे जाकर उसको पेड़ से नीचे उतारकर निकल पड़ते है। और रास्ते में बेताल दोबारा से राजा विक्रम को अपनी चालाकी में उलझा कर एक नई कहानी सुनाता है।

तो आज की Vikram Betal Ki Kahani में इतना ही फिर मिलते है नई कहानी के साथ सुनते रहिए Rahasyo Ki Duniya पर विक्रम बेताल की कहानियां

 विक्रम बेताल की कहानियां  :-

    बेताल ने राजा विक्रम को उस एक रात में 24 कहानियां सुनाई थी और अंतिम कहानी उस योगी की थी जिसके कारण बेताल विक्रम बेताल की कहानियों को एक जगह संग्रहित कर के उसको बेताल पच्चीसी नाम दिया गया।

    आगे आने वाले भाग में हम आपको विक्रम बेताल की कहानियां , Vikram Betal Ki Kahani के सभी भाग सुनाएंगे।जिसमे आपको पता चलेगा की बेताल ने कौन कौनसी ज्ञानवर्धक कहानियां राजा विक्रम को सुनाई थी। 

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